गेंदा की फसल से अधिक लाभ कमाने के लिए करें इन किस्मों का चयन, होगा डबल मुनाफा

गेंदा की फसल से अधिक लाभ कमाने के लिए करें इन किस्मों का चयन, होगा डबल मुनाफा

कृषि जानकारों के मुताबिक गेंदे के फूलों की खेती मौसम के अनुसार की जाती है. गर्मी के मौसम में जनवरी माह में फूल लगाए जाते हैं. जिसका उपयोग नवरात्रि के दिनों में पूजा-पाठ में खूब किया जाता है और यह बाजार में अच्छे दाम पर भी उपलब्ध होता है. इसके बाद अप्रैल-मई में और फिर अगस्त-सितंबर में सर्दी शुरू होने से पहले फूलों की बुआई की जाती है.

गेंदे के फूल की खेती
प्राची वत्स
  • Noida,
  • May 09, 2024,
  • Updated May 09, 2024, 12:45 PM IST

यदि किसान पारंपरिक खेती के साथ-साथ अधिक आय कमाना चाहते हैं तो खाली जमीन पर गेंदा की खेती कर अच्छी आमदनी कर सकते हैं. गेंदे के फूल की बाजार मांग को देखते हुए इसका उत्पादन किसानों के लिए काफी लाभदायक साबित हो सकता है. खास बात यह है कि इसकी खेती छोटे क्षेत्र में भी आसानी से की जा सकती है. अगर आपके पास 1 हेक्टेयर भी जमीन है तो आप इसकी खेती करके हर साल करीब लाख रुपये कमा सकते हैं. लेकिन इसके लिए सबसे जरूरी है कि आप गेंदा की उन्नत किस्मों का चयन करें.

किस मौसम में करें गेंदा की खेती

कृषि जानकारों के मुताबिक गेंदे के फूलों की खेती मौसम के अनुसार की जाती है. गर्मी के मौसम में जनवरी माह में फूल लगाए जाते हैं. जिसका उपयोग नवरात्रि के दिनों में पूजा-पाठ में खूब किया जाता है और यह बाजार में अच्छे दाम पर भी उपलब्ध होता है. इसके बाद अप्रैल-मई में और फिर अगस्त-सितंबर में सर्दी शुरू होने से पहले फूलों की बुआई की जाती है. गेंदे का फूल पूरे देश में एक महत्वपूर्ण फूल है. इन फूलों का व्यापक रूप से मालाओं और सजावट के लिए उपयोग किया जाता है. कई राज्यों में गेंदा की खेती तीनों ऋतुओं में की जाती है. जिसकी मदद से इसकी खेती कर रहे किसान अच्छा मुनाफा कमा पाते हैं. अब आइए जानते हैं गेंदा कि उन्नत किस्मों और उसकी खासियत के बारे में.

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पूसा ऑरेंज मैरीगोल्ड

इस किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली द्वारा वर्ष 1995 में पूरे भारत में उगाने के लिए जारी किया गया था. इसमें बुआई के 125-136 दिन बाद फूल आना प्रारम्भ हो जाता है. फूल आकार में बड़े और गहरे नारंगी रंग के होते हैं. यह कैरोटीनॉयड (329 मिलीग्राम/1000 ग्राम पंखुड़ियां) से भी समृद्ध है, जिसका व्यापक रूप से पोल्ट्री, भोजन, फार्मास्युटिकल और न्यूट्रास्युटिकल उद्योगों में उपयोग किया जाता है. ताजे फूलों की उपज 25 से 30 टन प्रति हेक्टेयर होने का अनुमान है. यदि फसल को बीज उत्पादन के लिए उगाया जाए तो इसकी पैदावार 100-125 किलोग्राम होती है. बीज प्रति हेक्टेयर भी प्राप्त किया जा सकता है.

पूसा बसंती गेंदा 

यह किस्म बुआई के 135-145 दिन बाद मध्यम आकार के पीले फूल देती है. बगीचों और गमलों में उगाने के लिए यह एक आदर्श किस्म है. ताजे फूलों की उपज 20 से 25 टन प्रति हेक्टेयर और बीजों की उपज 0.7-1.0 टन प्रति हेक्टेयर हो सकती है.

पूसा अर्पिता 

यह फ्रेंच गेंदा की एक किस्म है और इसे भी भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली द्वारा वर्ष 2009 में जारी किया गया था. यह उत्तरी मैदानी इलाकों में उगाने के लिए एक अच्छी किस्म है. भारत के उत्तरी मैदानी इलाकों में मध्य दिसंबर से मध्य फरवरी तक मध्यम आकार के हल्के नारंगी फूल पैदा होते हैं. इससे ताजे फूलों की उपज 18 से 20 टन प्रति हेक्टेयर आंकी गई है.

पूसा दीप

यह फ्रेंच गेंदा की शुरुआती किस्म है, जिसमें रोपाई के 85-95 दिन बाद फूल आना शुरू हो जाता है. उत्तरी मैदानी इलाकों में यह किस्म अक्टूबर-नवंबर के महीनों में फूलती है. पौधे मध्यम आकार के और फैले हुए होते हैं, जिनकी ऊंचाई 55-65 सेमी होती है. इसमें ठोस और गहरे भूरे रंग के मध्यम आकार के फूल लगते हैं. इस किस्म की उपज 18-20 टन प्रति हेक्टेयर आंकी गई है.

पूसा बहार

अफ़्रीकी गेंदा की इस किस्म में बुआई के 90-100 दिन बाद फूल आना शुरू हो जाता है. पौधों की ऊंचाई 75-85 सेमी. तक होती है. फूल पीले रंग के, सघन, आकर्षक और आकार में बड़े (8-9 सेमी) होते हैं. इसमें सर्दी में जनवरी से मध्य मार्च तक फूल अधिक आते हैं.

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