महाराष्ट्र में सोयाबीन की खेती करने वाले किसान परेशानी में नजर आ रहे हैं,राज्य की मंडियों में सोयाबीन दाम सिर्फ 3000 से लेकर 4000रुपये प्रति क्विंटल तक मिल रहा है. ऐसे में किसान परेशान है उनका कहना है कि मिल रहे कम भाव में हम अपनी लागत तक नहीं निकाल पाते है घाटे में सोयाबीन बेचने पर मजबूर है.महाराष्ट्र सोयाबीन का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है, लेकिन यहां के किसान इसकी खेती करके इस साल बहुत पछता रहे हैं. क्योंकि दाम एमएसपी से भी बहुत कम मिल रहा है. लासालगाँव मंडी में सोयाबीन का न्यूनतम दाम सिर्फ 3000 रुपये प्रति क्विंटल रह गया है.
जबकि केंद्र सरकार ने एमएसपी घोषित करते हुए माना था कि किसानों को इसकी उत्पादन लागत 3029 रुपये प्रति क्विंटल पड़ती है. यानी उत्पादन लागत के ही जितना दाम मिल रहा है. उसे बाजार तक ले जाने का खर्च अलग है. इसकी एमएसपी 4600 रुपये है. इसलिए किसानों को इस साल सोयाबीन की खेती में काफी घाटा हो रहा है.
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इस समय किसानों को सोयाबीन का सही दाम भले ही न मिल रहा हो लेकिन यह खाद्य तेलों के दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण फसल है. यह भारत में 70 के दशक में आई थी और अपनी खासियत की वजह से बहुत तेजी से आगे बढ़ी. भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान के अनुसार वर्तमान में सोयाबीन देश में कुल तिलहन फसलों का 42 प्रतिशत और कुल खाद्य तेल उत्पादन में 22 प्रतिशत का योगदान दे रहा है. सभी तिलहन फसलों में सोयाबीन ही ऐसी है जो भारत को खाद्य तेल के मामले में आत्मनिर्भर बनाने की सबसे ज्यादा क्षमता रखती है.
राज्य के किसानों का कहना है कि 2021 में उन्हें सोयाबीन का सबसे ज्यादा 11 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक का दाम मिला था. उसके बाद कभी इतना पैसा नहीं नहीं मिला. किसानों का कहना है कि दाम 7000 से ज्यादा मिले तब फायदा होगा. महाराष्ट्र स्टेट एग्रीकल्चर प्राइस कमीशन के चेयरमैन पाशा पटेल के अनुसार महाराष्ट्र में सोयाबीन उत्पादन की लागत प्रति क्विंटल 6234 रुपये आती है. यह लागत चार कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा दी गई रिपोर्ट पर आधारित है. इसलिए इससे ज्यादा दाम मिलने पर ही फायदा है.
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