भारत के प्रमुख कॉटन उत्पादक महाराष्ट्र की मंडियों में कॉटन की आवक काफी कम हो गई है, इसके बावजूद दाम स्थिर है. किसी भी मंडी में दाम इस 8000 रुपये क्विंटल तक भी नहीं पहुंचा है, जबकि वर्ष 2021 और 2022 में दाम 9000 से 12000 रुपये प्रति क्विंटल तक मिल रहा था. किसानों की लागत बढ़ी है लेकिन दाम घट गया है. हालांकि अभी मिल रहा दाम इसके न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से अधिक है. लेकिन जिन किसानों को पिछले वर्षों में बहुत अच्छा दाम मिल चुका है अब उन्हें पहले से कम दाम पर बेचने पर अच्छा नहीं लग रहा है. किसान इस साल भी कम उत्पादन की वजह से दाम बढ़ने की उम्मीद कर रहे थे लेकिन अब यह गिरकर 7000 से 7800 रुपये प्रति क्विंटल तक के रेट पर स्थिर है.
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महाराष्ट्र एग्रीकल्चरल मार्केटिंग बोर्ड के अनुसार 25 जून को राज्य की सिर्फ 6 मंडियों में कॉटन की नीलामी हुई. एक भी मंडी में आवक एक हजार क्विंटल भी नहीं रही. इसके बावजूद दाम 8000 रुपये के पार भी नहीं पहुंचा. वर्धा जिले की हिंगणघाट मंडी में राज्य में सबसे अधिक 900 क्विंटल कॉटन बिकने को आया. इसके बावजूद मध्यम रेशे वाले का न्यूनतम दाम सिर्फ 6000 रुपये प्रति क्विंटल ही रहा, जो एमएसपी से भी कम है. केंद्र सरकार ने 2023-24 के लिए मध्यम रेशे वाले कॉटन की एमएसपी 6620 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है. हालांकि अधिकतम दाम 7805 रुपये प्रति क्विंटल रहा, जो एमएसपी से अधिक है.
बोर्ड के अनुसार 26 जून को अमरावती मंडी में सिर्फ 85 क्विंटल कॉटन बिकने आया. इससे पहले 25 जून को यहां 75 क्विंटल की आवक हुई थी. इसी प्रकार 25 जून को नागपुर की सावनेर मंडी में 500, नागपुर की ही पर्शिवनी में 92, बुलढाणा जिले कीखामगांव में 95 और वर्धा जिले की पुलगांव मंडी में 100 क्विंटल कॉटन बिकने आया. कम आवक की वजह से ऐसा लगता है कि अच्छे दाम की उम्मीद में कुछ किसानों ने कॉटन स्टोर करके रख लिया है.
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