नारियल उत्पादन में नंबर वन बनने के लिए सरकार ने कमर कस ली है. नारियल खेती के लिए अनुकूल जलवायु वाले देश के 27 राज्यों में किसानों को इसकी खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. फिलहाल भारत नारियल अर्थव्यवस्था में दूसरे और तीसरे स्थान के बीच है. जबकि, भारत से छोटे देश फिलीपींस और इंडोनेशिया इसकी खेती और उत्पादन में आगे हैं. कृषि एक्सपर्ट ने कहा कि हमें ताड़ की खेती की जगह नारियल की खेती को बढ़ावा देना होगा.
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के उप महानिदेशक बागवानी विज्ञान एसके सिंह ने केरल के कासरगोड में केंद्रीय रोपण फसल अनुसंधान संस्थान (Central Plantation Crops Research Institute) के कार्यक्रम में कहा कि भारत को वैश्विक नारियल अर्थव्यवस्था में शीर्ष पर पहुंचने के लिए नारियल आधारित उत्पादों की विशाल क्षमता का पता लगाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि किसानों को नारियल की खेती के लिए प्रोत्साहित करने के साथ ही जलवायु अनुकूल बीजों को विकसित करने की जरूरत है.
उप महानिदेशक बागवानी विज्ञान एसके सिंह ने कहा कि भारत वैश्विक नारियल अर्थव्यवस्था में दूसरे और तीसरे स्थान के बीच झूल रहा है. देश को नंबर एक बनाने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि हमारे पास वनस्पति तेल की भारी मांग है. लेकिन, तेल सिर्फ एक क्षेत्र है. हमारे पास प्रॉसेसिंग के रूप में दुनिया को देने के लिए लगभग 200 उत्पाद हैं, जहां हम अग्रणी हो सकते हैं.
कृषि वैज्ञानिक ने कहा कि फिलीपींस और इंडोनेशिया जैसे छोटे देश इस मामले में शीर्ष पर हैं. उन्होंने कहा कि जब देश के 27 राज्य नारियल की फसल उगा सकते हैं तो भारत तालिका में शीर्ष स्थान पर क्यों नहीं हो सकता. नारियल की खेती के विस्तार के लिए सरकार जलवायु अनुकूल बीजों पर काम कर रही है. जबकि, कुछ सप्ताह पहले पीएम मोदी ने नारियल की कुछ किस्मों को लॉन्च भी किया है. इसके अलावा किसानों को प्रोत्साहन देने के लिए एक्शन प्लान पर काम किया जा रहा है.
एसके सिंह ने कहा कि कुछ राज्यों में नारियल की फसल की जगह पाम ऑयल के लिए ताड़ की खेती की खेती की जा रही है. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि नारियल एक पारंपरिक फसल है और इसकी सभी खेती योग्य भूमि को ताड़ की खेती के रूप में नहीं बदला जाना चाहिए. कहा कि ताड़ को बंजर भूमि में उगाया जाना चाहिए, क्योंकि वहां नारियल की तुलना में वह आसानी से पैदावार दे सकता है.
उन्होंने कहा कि नारियल एक ऐसी फसल है जो किसी भी रूप में शून्य बर्बादी श्रेणी में आती है. यानी फसल बर्बाद नहीं होती है और किसान को नुकसान का खतरा नहीं होता है. उन्होंने कहा कि नारियल के पौधे का हर भाग किसान की कमाई कराता है. कृषि वैज्ञानिक ने कहा कि वैज्ञानिक रूप से नारियल की खेती की जानी चाहिए ताकि लागत कम और मुनाफा ज्यादा हो सके.