Gorakhpur News: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने बुधवार को गोरखपुर (Gorakhpur) के रजही आजादनगर (वनटांगिया गांव) पहुंचकर उन्होंने घर-घर दस्तक दी. जनसमूह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि डबल इंजन की सरकार आने के बाद देश और प्रदेश में व्यापक परिवर्तन हुआ है. 2014 के पहले गांव को कोई पूछता नहीं था. गरीबों के बारे में कोई सोचने वाला नहीं था. किसान तबाह था, गरीब भूखों मरता था, किसान आत्महत्या करता था. उन्होंने कहा कि जबकि आज गांव, गरीब, किसान, महिला, नौजवान समेत समाज के हरेक तबके के लिए सरकारी योजनाएं बेहद प्रभावी ढंग से आगे बढ़ रही हैं.
शासन की योजनाओं पर चर्चा करने के साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रजही गांव के लोगों को समृद्धि का नया मंत्र भी दिया. उन्होंने कहा कि यहां के लोग सब्जी की खेती को आगे बढ़कर एक्सपोर्टर बन सकते हैं. सीएम ने समझाया कि रजही में समूह बनाकर सब्जी की खेती करेंगे, पॉली हाउस बनाएंगे तो हर सीजन में सब्जी उपलब्ध होगी और आपकी आमदनी भी बढ़ेगी. इसके लिए शहर का इतना बड़ा मार्केट आपके पास पड़ा है. यहां एफपीओ बनाकर कोल्ड स्टोरेज का निर्माण कर देंगे तो कई कई दिनों तक आप सब्जी को सुरक्षित रख सकेंगे. इससे मार्केट की मांग के अनुसार सप्लाई कर पाएंगे. उन्होंने कहा कि एयरपोर्ट यहां पर है पर है, कार्गो की सेवा यहां पर शुरू हो जाएगी. दुनिया के बाजार में भी आपकी सब्जी पहुंच जाएगी और आपको कई गुना लाभ मिलेगा.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ग्रामीणों को यह भी बताया कि योजनाओं का लाभ देने के साथ ही सरकार सरकार एक नया कार्ड यानी फैमिली आईडी कार्ड जारी करने वाली है. हम फैमिली आईडी कार्ड हर परिवार को देंगे. इसमें जिन लोगों को योजनाओं का लाभ मिला है, उनका उल्लेख होगा और जिनको नहीं मिला है उनको आने वाले समय में जरूर मिलेगा. उन्होंने कहा कि यही रामराज्य है जहां बिना भेदभाव के शासन की योजना का लाभ हर गरीब, किसान, नौजवान, महिला को उपलब्ध हो रहा है.
सीएम योगी ने कहा कि इसी माह की 19 तारीख को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लखनऊ आ रहे हैं. यहां होने वाले ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी में हम 10 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाओं को धरातल पर उतारेंगे. आप कल्पना करिए कितने नौजवानों को नौकरी और रोजगार मिलेंगे. गोरखपुर में नौकरियां आएंगी. गोरखपुर के नौजवानों को रोजगार और नौकरी के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा।.
मुख्यमंत्री ने वनटांगिया गांवों में आए बदलाव की चर्चा करते हुए कहा कि अयोध्या में तो भगवान रामलला 500 वर्ष के बाद अपने मंदिर में विराजमान हुए लेकिन वनटांगिया गांव में रामराज्य पहले ही आ गया. इस दौरान उन्होंने वनटांगिया बस्तियां के पूर्व के हालात और वर्तमान के विकास का तुलनात्मक खाका भी सबके सामने रखा. कहा कि यह रजही गांव 2009 में गोरखपुर संसदीय क्षेत्र में आया. इससे पहले यह बांसगांव संसदीय क्षेत्र का हिस्सा था. गोरखपुर महानगर क्षेत्र से सटे होने के बावजूद यह सुविधाओं से पूरी तरह वंचित था. न सड़क थी, न बिजली, न पानी, न स्कूल था और न ही यहां पर किसी प्रकार की कोई सुविधा थी. यहां पक्का मकान बनाना भी लोगों के लिए कठिन था.
सीएम ने कहा कि 10-15 साल पहले आरपीएसएफ के साथ एक विवाद हुआ था तब भी हम लोग आए थे और उस समय आंदोलन करना पड़ा था. कभी वन विभाग तो कभी पुलिस या प्रशासन के लोग यहां के लोगों को परेशान करते थे .इन वनटांगिया गांव में जहां पहले कोई जाता नहीं था, आज उनकी अपनी ग्राम पंचायतें हैं. वहां पर हर योजना का लाभ मिल रहा है. 1000 से ज्यादा आवास यहां ही मिले हैं. उज्ज्वला योजना में रसोई गैस के सिलेंडर मिले हैं, बिजली मिली है, अच्छी-खासी सड़क बन गई है. महिला स्वयं समूह भी आत्मनिर्भर बनकर कार्य कर रही हैं. राशन की सुविधा का लाभ सभी गरीबों को मिल रहा है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आज वह इस गांव में यह जानकारी लेने आए हैं कि कितने लोगों को योजनाओं का लाभ मिल गया है और कितने लोग बाकी हैं। जिन लोगों को योजनाओं का लाभ नहीं मिला है उनका भी पंजीकरण कराकर उन्हें लाभ दिलाया जाएगा.
करीब 100 साल तक उपेक्षा का दंश झेलने को अभिशप्त रहे वनटांगिया लोगों और योगी आदित्यनाथ के बीच बेहद आत्मीय नाता है. कभी ये लोग हद दर्जे की उपेक्षा के शिकार थे. योगी के कदम पड़ने के साथ ही वनटांगियों की बदहाली खुशहाली में बदलती चली गई. बतौर सांसद उन्होंने लोकसभा में वनटांगिया अधिकारों के लिए लड़कर 2010 में अपने स्थान पर बने रहने का अधिकार पत्र दिलाया. 2017 में मुख्यमंत्री बने तो वनटांगिया गांवों को राजस्व ग्राम का दर्जा देकर उन्हें शासन प्रदत्त सभी सुविधाओं का हकदार बना दिया. वनटांगिया गांवों को आवास, सड़क, बिजली, पानी, स्कूल, जैसे संसाधनों के साथ ही यहां रहने वालों को जनहित की सभी योजनाओं से आच्छादित कर दिया. योगी यहां वर्ष 2009 से ही बतौर सांसद यहां दीपावली मनाते रहे हैं और सात साल पहले मुख्यमंत्री बनने के बाद भी उन्होंने खुद द्वारा शुरू की गई परंपरा में रुकावट नहीं आने दी.
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