शकरकंद जैसी दिखने वाली ये फसल देती है तगड़ी कमाई, जानिए खेती करने का तरीका

शकरकंद जैसी दिखने वाली ये फसल देती है तगड़ी कमाई, जानिए खेती करने का तरीका

कसावा कंद वाली एक फसल है, जिसकी जड़ें स्टार्च से भरपूर होती हैं. कसावा की बनावट शकरकंद की तरह होती है, लेकिन इसकी लंबाई ज्यादा होती है. जमीन में उगने वाली इस फसल से भरपूर मात्रा में स्टार्च पाया जाता है, जिससे साबूदाना बनाने के लिए गूदा तैयार किया जाता है.

शकरकंद की तरह दिखती है ये फसलशकरकंद की तरह दिखती है ये फसल
संदीप कुमार
  • Noida,
  • Aug 03, 2024,
  • Updated Aug 03, 2024, 11:08 AM IST

वर्तमान सनय की खेती किसानों के लिए पहले के मुकाबले ज्यादा फायदेमंद साबित हो रही है. किसान अब नई-नई फसलों की वैज्ञानिक तरीके से खेती करने की तरफ रुख कर रहे हैं. वहीं, बेहतर उत्पादन के लिए किसान उन्नत तकनीकों और उन्नत किस्मों पर भी काम कर रहे हैं. वैसे पारंपरिक फसलों का काफी महत्व है, लेकिन बागवानी फसलें भी किसानों को काफी अच्छा मुनाफा दे रही है. इन्हीं बागवानी फसलों में शामिल है कसावा. बहुत ही कम लोग जानते हैं कि कसावा का इस्तेमाल साबूदाना बनाने में किया जाता है. ऐसे में आइए जानते हैं कैसे की जाती है कसावा की खेती.

क्या है कसावा, जानिए खासियत

कसावा कंद वाली एक फसल है, जिसकी जड़ें स्टार्च से भरपूर होती हैं. कसावा की बनावट शकरकंद की तरह होती है, लेकिन इसकी लंबाई ज्यादा होती है. जमीन में उगने वाली इस फसल से भरपूर मात्रा में स्टार्च पाया जाता है, जिससे साबूदाना बनाने के लिए गूदा तैयार किया जाता है. वहीं, इसकी खेती ज्यादातर तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल में बड़े पैमाने पर की जाती है.

ये हैं कसावा की उन्नत किस्में

कसावा की खेती से पहले इसकी उन्नत किस्मों का चुनाव करना बेहद जरूरी होता है. वहीं भारत में कसावा की किस्मों की बात करें तो इसमें श्री सहया, श्री प्रकाश, श्री हर्षा, श्री जया, श्री रक्षा, श्री विजया किस्में पाई जाती हैं. इसके अलावा श्री विसखाम, एच-97, एच-165, एच226 आदि किस्में भी किसानों के बीच काफी मशहूर है. कई किसान साबूदाना उद्योग के लिहाज से कसावा की व्यावसायिक खेती भी करते हैं.

ये भी पढ़ें:- UP News: फसल मुआवजे के लिए किसानों को तहसीलों के नहीं काटने होंगे चक्कर, सरकार ने लिया बड़ा फैसला

इस तरह होती है कसावा की खेती

कंद वाली फसलों की तरह कसावा की खेती भी इसकी जड़ों की रोपाई करके ही की जाती है. वैसे तो हर तरह की जलवायु और मिट्टी में इसकी खेती कर सकते हैं. समतल से लेकर ढलान वाले स्थानों तक इसकी खेती करना बेहद आसान है, लेकिन खेत में जल निकासी का इंतजाम होना चाहिए. इसके अलावा इसकी खेती कम पानी और बिना उपजाऊ मिट्टी में भी आसानी से की जा सकती है.

चारे में भी कर सकते हैं उपयोग

साबूदाना बनाने के अलावा कसावा का इस्तेमाल पशुओं के चारे के तौर पर किया जाता है. विशेषज्ञों के अनुसार, इसके सेवन से पशुओं का स्वास्थ्य बेहतर बनता है और दूध देने की छमता बढ़ जाती है. बता दें कि कंद वाले फसलों की तरह कसावा की खेती की भी जड़ों की रोपाई करके ही किया जाता है.

फायदे का सौदा है कसावा की खेती

भारत में व्रत-उपवास और कई इलाकों में साबूदाने का सेवन बड़े पैमाने पर किया जाता है, इसलिए किसानों को कसावा की खेती एक मुनाफे का सौदा साबित हो सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि देश में साबूदाने का सेवन बड़े पैमाने पर किया जाता किया जाता है. यही वजह है कसावा की खेती बेहद तेजी से फल-फूल रही है. कई कंपनियां किसानों से जुड़कर अब इस फसल की कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कराने लगी है. इसके अलावा कसावा का निर्यात दूसरे देशों में भी बड़े पैमाने पर किया जाता है. जिससे किसान अधिक मुनाफा कमा सकते हैं.

MORE NEWS

Read more!