कम पानी में भी टोकरी भरकर पैदावार देगी बैंगन की ये किस्म, खासियत जानकर हो जाएंगे हैरान

कम पानी में भी टोकरी भरकर पैदावार देगी बैंगन की ये किस्म, खासियत जानकर हो जाएंगे हैरान

अगर आप किसान हैं और इस दिसंबर महीने में बैंगन की खेती करना चाहते हैं तो कुछ उन्नत किस्मों की खेती कर सकते हैं. इन उन्नत किस्मों में पूसा हरा बैंगन -1, अर्का नवनीत, पूसा पर्पल लॉन्ग, स्वर्ण शक्ति, पूसा पर्पल राउंड और पूसा पर्पल क्लस्टर किस्में शामिल हैं.

बैंगन की खेतीबैंगन की खेती
संदीप कुमार
  • Noida,
  • Dec 25, 2024,
  • Updated Dec 25, 2024, 5:46 PM IST

भारत में बैंगन की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. वहीं, बैंगन आम लोगों के बीच एक लोकप्रिय सब्जी है. आपको बता दें कि बैंगन लंबे समय तक उपज देता है. सरल शब्दों में कहा जाए तो बैंगन एक बारहमासी पौधा है, लेकिन ज्यादातर किसान इसकी खेती पूरे साल करते हैं. लेकिन कई बार किसान इसकी खेती करते समय बहुत ज्यादा कंफ्यूज रहते हैं कि कौन सी किस्मों की खेती करके अधिक उपज पा सकते हैं. ऐसे में आज हम आपको एक ऐसी किस्म के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी खेती कम पानी वाले इलाकों में भी करने पर भरपूर पैदावार मिलती है. साथ ही इस किस्म में बीमारी भी नहीं लगती है. आइए जानते हैं इस किस्म की खासियत.

बैंगन किस्म की खासियत

भारतीय क़ृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा ने बैंगन की एक नई किस्म, ‘पूसा हरा बैंगन -1 का विकास किया है, जिसमें कई पोषक तत्त्व पाए जाते हैं. एक्सपर्ट की मानें तो इस किस्म को खाने से चेहरे पर चमक बढ़ती है. वहीं, इसकी खेती उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्र में पूरे साल की जा सकती है. इसकी एक विशेषता ये भी है कि इसे गमले में लगाया जा सकता है. गोल हरे रंग के इसके फल पर हल्के बैंगनी रंग के धब्बे होते हैं. यह किस्म रोपाई के 55 से 60 दिनों में फल देने लगती है. इस किस्म की खेती किसान कम पानी वाले इलाकों में भी कर सकते हैं. साथ ही इसमें वायरस और बीमारी भी नहीं लगती है.

बैंगन की अन्य उन्नत किस्में

अगर आप किसान हैं और इस दिसंबर महीने में बैंगन की खेती करना चाहते हैं तो कुछ उन्नत किस्मों की खेती कर सकते हैं. इन उन्नत किस्मों में पूसा हरा बैंगन -1, अर्का नवनीत, पूसा पर्पल लॉन्ग, स्वर्ण शक्ति, पूसा पर्पल राउंड और पूसा पर्पल क्लस्टर किस्में शामिल हैं. इन किस्मों की खेती करके अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है.

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कैसे करें बैंगन की खेती?

बैंगन की खेती के लिए रेतीली दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है और इसमें पैदावार अधिक होती है. साथ ही जल निकासी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए. फसल के अच्छे विकास के लिए भूमि का पी.एच. मान 5.5-6.6 के बीच में होनी चाहिए. इसके अलावा सिंचाई की उचित व्यवस्था होना भी जरूरी है. वहीं, बैंगन की खेती किसी भी जलवायु में आसानी से की जा सकती है.

कैसे करें बैंगन की बुवाई?

अधिक पैदावार के लिए बैंगन के बीजों की सही तरीके से बुवाई करनी चाहिए. पौधा या बीज लगते समय दो पौधों और दो क्यारियों के बीच करीब 60 सेंटीमीटर की दूरी होनी चाहिए. साथ ही बीज बोने से पहले 4 से 5 बार खेत की अच्छी तरह से जुताई करके उसे समतल कर लें. प्रति एकड़ 300 से 400 ग्राम बीज डालना चाहिए. बीजों को 1 सेंटीमीटर की गहराई में बोने के बाद मिट्टी से ढक दें. आमतौर पर बुवाई के 35-40 दिनों में भी फसल तैयार हो जाती है.

खेती में खाद का उपयोग

बैंगन की खेती में किसानों को मिट्टी की जांच के अनुसार खाद और उर्वरक डालनी चाहिए. अगर मिट्टी की जांच नहीं हो पाती है तो खेत तैयार करते समय 20-30 टन गोबर की सड़ी खाद मिट्टी में मिला देनी चाहिए. इसके बाद 200 किलोग्राम यूरिया, 370 किलो ग्राम सुपर फॉस्फेट और 100 किलोग्राम पोटेशियम सल्फेट का इस्तेमाल करना चाहिए. इससे उत्पादन और क्वालिटी बेहतर होती है.

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