महंगाई को देखते हुए सेला चावल पर सरकार का बड़ा फैसला, लगी रहेगी 20 एक्सपोर्ट ड्यूटी

महंगाई को देखते हुए सेला चावल पर सरकार का बड़ा फैसला, लगी रहेगी 20 एक्सपोर्ट ड्यूटी

Export Duty of Rice: भारत ने प‍िछले साल 51 हजार करोड़ रुपये का गैर बासमती चावल और 38,500 करोड़ रुपये के बासमती चावल का एक्सपोर्ट क‍िया. लेक‍िन घरेलू बाजार में चावल काफी महंगा हो गया. इसील‍िए महंगाई से जूझने के ल‍िए सरकार ने अब हर तरह के चावल पर क‍िसी न क‍िसी तरह की कैप‍िंग कर दी है.

उबले चावल पर 31 मार्च 2024 तक लगी रहेगी 20 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी (Photo-Kisan Tak).  उबले चावल पर 31 मार्च 2024 तक लगी रहेगी 20 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी (Photo-Kisan Tak).
ओम प्रकाश
  • Oct 14, 2023,
  • Updated Oct 14, 2023, 12:09 AM IST


केंद्र सरकार ने एक अहम फैसला लेते हुए शुक्रवार को उबले चावल (Parboiled Rice ) के निर्यात पर शुल्क पांच महीने से अधिक समय के ल‍िए बढ़ा द‍िया है. वित्त मंत्रालय ने एक अधिसूचना के माध्यम से इस कैटेगरी के चावल पर शुल्क को 31 मार्च 2024 तक बढ़ाने का फैसला ल‍िया है. पर्याप्त स्थानीय स्टॉक बनाए रखने और घरेलू कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए सरकार ने 25 अगस्त को उबले चावल पर 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाया था. यह शुल्क 16 अक्टूबर तक प्रभावी था. लेक‍िन उससे पहले ही सरकार ने इसे आगे बढ़ाने का फैसला ले ल‍िया. ताक‍ि महंगाई के मोर्चे पर उसे ज्यादा न जूझना पड़े. पांच राज्यों में व‍िधानसभा चुनावों को देखते हुए यह अहम फैसला है. सरकार क‍िसी भी कीमत पर चावल का दाम और नहीं बढ़ने देना चाहती है. 
महंगाई पर काबू रखने के ल‍िए ही सरकार ने मई 2022 से गेहूं के एक्सपोर्ट पर रोक लगाई हुई है. भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक है. वैश्विक चावल व्यापार में हमारी ह‍िस्सेदारी लगभग 40 प्रतिशत है. हमने प‍िछले साल 51 हजार करोड़ रुपये का गैर बासमती चावल और 38500 करोड़ रुपये के बासमती चावल का एक्सपोर्ट क‍िया था. लेक‍िन दूसरी ओर घरेलू बाजार में चावल तेजी से महंगा हो रहा था. इसील‍िए महंगाई से जूझने के ल‍िए सरकार ने हर तरह के चावल पर क‍िसी न क‍िसी तरह की कैप‍िंग कर दी. दिल्ली में चावल की खुदरा कीमतें एक साल पहले की तुलना में 22 फीसदी बढ़ी हैं, जो सरकार के ल‍िए च‍िंता का सबब है. जबक‍ि वैश्विक कीमतें इस समय 15 साल के उच्चतम स्तर पर हैं. 

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महंगाई पर न‍ियंत्रण बनाए रखना चाहती है सरकार

सरकार की मंशा है क‍ि पांच राज्यों में व‍िधानसभा चुनावों और 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए क‍िसी भी सूरत में खाद्य पदार्थों की कीमतें न बढ़ें. वरना सत्ताधारी पार्टी को म‍िलने वाले वोट पर इसका असर पड़ सकता है. इसल‍िए एक्सपोर्टर छटपटा रहे हैं फ‍िर भी सरकार चावल के न‍िर्यात को लेकर क‍िसी तरह की ढील नहीं दे रही. हालांक‍ि, इस साल 2022 के मुकाबले धान का रकबा 7.68 लाख हेक्टेयर बढ़ गया है. ज‍िससे बंपर पैदावार की उम्मीद है. लेक‍िन व‍िशेषज्ञों को ऐसा लगता है क‍ि सरकार व‍िधानसभा चुनाव पर‍िणाम आने से पहले एक्सपोर्ट खोलने या एक्सपोर्ट ड्यूटी कम करने को लेकर कोई बड़ा फैसला नहीं लेगी. 

चावल एक्सपोर्ट पर कौन-कौन सी शर्त 

  • सरकार ने गैर बासमती सफेद चावल के एक्सपोर्ट पर 20 जुलाई से ही रोक लगाई हुई है. इसकी गैर बासमती चावल एक्सपोर्ट में करीब 36 फीसदी की ह‍िस्सेदारी है. 
  • टूटे चावल का एक्सपोर्ट 8 स‍ितंबर 2022 से ही बैन है. इसे आगे भी जारी रहने का अनुमान लगाया जा रहा है. सस्ता होने की वजह से कई गरीब मुल्क हमसे टूटा चावल खरीद रहे थे. 
  • बासमती को छोड़ दें तो अब स‍िर्फ सेला चावल ही एक्सपोर्ट हो सकता है. ज‍िसकी गैर बासमती चावल एक्सपोर्ट में ह‍िस्सेदारी लगभग 44 परसेंट है. लेक‍िन इस पर भी 20 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी लगी हुई है. सेला चावल को उबला, भुजिया या उसना चावल भी कहते हैं. 
  • सरकार ने  25 अगस्त को उबले चावल पर 20 फीसदी न‍िर्यात शुल्क लगाया था. उसी द‍िन बासमती एक्सपोर्ट पर भी बैर‍ियर लगा द‍िया था. सरकार ने शर्त लगा दी क‍ि 1200 डॉलर प्रत‍ि टन से कम कीमत पर बासमती चावल नहीं एक्सपोर्ट होगा. अभी तक एक्सपोर्टरों को इस शर्त को हटने का इंतजार है. 

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