गन्ना किसान हमेशा से अपनी फसल को चोटी बेधक, तना छेदक, पाइरिल्ला और मिलीबग जैसे कीड़ों से बचाते आए हैं. गन्ना प्रजनन केंद्र कोयंबटूर के कृषि वैज्ञानिको ने बताया कि अब गन्ने के खेतों में एक नया, विदेशी और बहुत ही खतरनाक कीट आ गया है जो गन्ने की फसल के लिए एक बड़ा खतरा बन गया है. इस कीट का नाम फॉल आर्मीवर्म है. खतरनाक कीट बहुत भूखा है, बहुत तेजी से अपनी संख्या बढ़ाता है और हमारे गन्ने के खेतों के लिए खतरा बन गया है. यह मूल रूप से अमेरिका का रहने वाला है, लेकिन अब पूरी दुनिया में फैल चुका है. भारत में इसे पहली बार 2018 में मक्के की फसल पर देखा गया था, पर अब इसने गन्ने को भी अपना निशाना बनाना शुरू कर दिया है.
फॉल आर्मीवर्म कई कारणों से एक बहुत ही विनाशकारी कीट माना जाता है. इसकी मादा अपनी छोटी सी जिंदगी में 1000 तक अंडे दे सकती है. ये अंडे 50 से 200 के झुंड में होते हैं, जिससे खेत में इनकी संख्या रॉकेट की तरह बढ़ती है. अंडे से निकलने वाली सुंडी (लार्वा) पौधे के नरम हिस्सों, खासकर पत्तियों और पोंगली यानी गोभ को बड़ी तेजी से खाकर भारी नुकसान पहुंचाती है. यह कीट रासायनिक कीटनाशकों के खिलाफ बहुत जल्दी अपनी ताकत बना लेता है. इसका मतलब है कि जो दवा आज इस पर असर कर रही है, हो सकता है कल वो बेअसर हो जाए. इसकी सुंडी पौधे की गोभ के अंदर गहराई में छिपकर खाती है, जिससे उस पर कीटनाशक स्प्रे का असर होना मुश्किल हो जाता है.
किसी भी दुश्मन से लड़ने के लिए उसे पहचानना बहुत जरूरी है. फसल को नुकसान केवल सुंडी (लार्वा) ही पहुंचाती है, इसलिए इसे पहचानना सबसे अहम है. इसकी दो पक्की पहचान है. सुंडी के सिर पर आपको अंग्रेजी के अक्षर 'Y' का उल्टा निशान साफ दिखाई देगा. इसके शरीर के पिछले सिरे के पास वाले खंड पर चार काले बिंदु एक चौकोर आकार में बने होते हैं. इन दो निशानों से आप इस कीट की 100 फीसदी सही पहचान कर सकते हैं.
फॉल आर्मीवर्म का हमला पौधे की शुरुआती अवस्था में सबसे ज्यादा होता है. छोटी सुंडियां पत्तियों की ऊपरी सतह को खुरचकर खाती हैं, जिससे पत्ती पर एक पतली, सफेद झिल्ली जैसी परत बन जाती है. जैसे-जैसे सुंडी बड़ी होती है, वह पौधे की पोंगली (गोभ) में घुस जाती है और पत्तियों को खाने लगती है. इससे पत्तियों में गोली लगने जैसे "शॉट होल्स" दिखाई देते हैं. अगर हमला गंभीर हो, तो पौधे का मुख्य विकास बिंदु नष्ट हो जाता है, जिसे "डेड हार्ट" कहते हैं. इससे पौधा पूरी तरह से सूखकर बर्बाद हो सकता है.
समय पर निगरानी करके आप अपनी फसल को बड़े नुकसान से बचा सकते हैं. फसल के पहले 90 दिनों में, हफ्ते में कम से कम एक बार खेत का चक्कर जरूर लगाएं. यदि आपको 100 में से 5-10 पौधों पर नुकसान के ताजे निशान दिखें, तो तुरंत नियंत्रण के उपाय शुरू करें. खेत में प्रति हेक्टेयर 5 फेरोमोन ट्रैप लगाएं. ये ट्रैप नर कीड़ों को अपनी ओर खींचते हैं, जिससे आपको पता चल जाता है कि कीट का हमला शुरू हो गया है और आप समय पर रोकथाम कर सकते हैं.अगर आपको पत्तियों पर अंडे के झुंड दिखाई दें, तो उन पत्तियों को तोड़कर तुरंत नष्ट कर दें. यह सबसे सस्ता और असरदार तरीका है.
हमारे खेतों में कई ऐसे जीव होते हैं जो फॉल आर्मीवर्म को खाते हैं. इन्हें "मित्र कीट" कहते हैं. रासायनिक दवाओं की जगह इन प्राकृतिक तरीकों का इस्तेमाल करें. ये प्राकृतिक कीटनाशक होते हैं जो सिर्फ फॉल आर्मीवर्म को नुकसान पहुंचाते हैं. नीम आधारित कीटनाशक, जैसे एजाडिरेक्टिन 1500 ppm, का छिड़काव करें. यह कीड़ों को पौधे से दूर रखता है और उनकी भूख खत्म कर देता है.SfNPV (वायरस) या बैसिलस थुरिंजिएंसिस (बैक्टीरिया) पर आधारित कीटनाशकों का भी उपयोग किया जा सकता है.
अगर जैविक तरीकों से कीट नियंत्रित नहीं हो रहा हैं, तभी रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग करें और कुछ बातों का ध्यान रखें. जब सुंडी छोटी हो, तभी कीटनाशक सबसे ज्यादा असरदार होता है. दवा को पूरे पौधे पर छिड़कने के बजाय सीधे पौधे की पोंगली (गोभ) में डालें. इससे दवा सीधे कीट तक पहुंचेगी और असर भी ज्यादा होगा. केवल सरकार द्वारा सुझाए गए कीटनाशकों का ही प्रयोग करें, जैसे क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 18.5% SC, स्पिनेटोरम 11.7% SC, इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG आदि दवाओं का छिड़काव करना चाहिए. हमेशा दवा की सही मात्रा का उपयोग करें और सुरक्षा सावधानियों का पालन करें. सही समय पर पहचान और सही प्रबंधन से आप गन्ने की फसल को इस नए दुश्मन से बचा सकते हैं.