अभी गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर रोक लगी हुई है. घरेलू बाजार में महंगाई को देखते हुए सरकार ने यह फैसला लिया है. प्रतिबंध लगते ही दुनिया के अलग-अलग देशों में सफेद चावल की मांग बढ़ गई है. जिन देशों में भारत के लोग अधिक हैं, वहां सफेद चावल की मांग और भी ज्यादा देखी जा रही है. इस मांग को पूरा करने के लिए बासमती चावल के व्यापारियों ने तैयारी शुरू कर दी है. इन व्यापारियों को पता है कि आने वाले दिनों में विदेशों से सफेद चावल की मांग बढ़ेगी. इसे देखते हुए व्यापारियों ने देश के बड़े बंदरगाहों पर बासमती चावल का स्टॉक जमा करना शुरू कर दिया है.
हालांकि बासमती चावल किसी भी स्थिति में गैर-बासमती चावल का विकल्प नहीं हो सकता, लेकिन एक्सपर्ट का मानना है कि निर्यात पर बैन यूं ही चलता रहा तो बासमती चावल की विदेशों में और मांग बढ़ेगी. बासमती चावल के व्यापारी इस उम्मीद में बंदरगाहों पर गोदामों में बासमती चावल का स्टॉक जमा कर रहे हैं. सरकार ने 20 जुलाई को देश से गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर बैन लगा दिया है. देश में चावल की बढ़ती महंगाई को देखते हुए यह फैसला लिया गया. इस बैन के बाद दुनिया के कई देशों में अफरा-तफरी की स्थिति है. यह भी कहा जा रहा है कि कई देशों में इससे खाद्य सुरक्षा खतरे में आ सकता है.
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एक्सपर्ट बताते हैं कि हाल के दिनों में बासमती के व्यापारी बहुत एक्टिव हुए हैं क्योंकि पहले की तुलना में विदेशों में बासमती की सप्लाई बढ़ी है. इसे देखते हुए बंदरगाहों पर व्यापारियों ने बासमती चावल का स्टॉक तेजी से बढ़ाना शुरू कर दिया है. व्यापारियों का मानना है कि जैसे-जैसे बैन के दिन बढ़ेंगे, बासमती चावल की मांग तेजी से बढ़ेगी. कांडला और मुंद्रा पोर्ट इसी में शामिल है जहां से कई देशों में सप्लाई भेजी जाती है. यहां उत्तर भारत के कई व्यापारियों ने अपना स्टॉक जमा करना शुरू कर दिया है.
एक्सपर्ट का कहना है कि गैर-बासमती की तुलना में बासमती चावल का निर्यात कम होगा क्योंकि यह प्रीमियम चावल की श्रेणी में आता है और महंगा भी होता है. एक आंकड़ा बताता है कि अप्रैल से जून तिमाही के बीच बासमती चावल के निर्यात में 12 परसेंट का उछाल दर्ज किया गया है. यह वृद्धि आगे भी बढ़े रहने की संभावना है क्योंकि देश से गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर बैन लगा है.
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बासमती चावल से अधिक सोना मसूरी और पोन्नी चावल का निर्यात दर्ज किया जाता है. सोना मसूरी छोटा और पतले दाने वाला चावल है, इसलिए अधिक से अधिक लोग इसे खाने में इस्तेमाल करते हैं. इसी तरह मट्टा चावल की मांग भी बहुत अधिक है क्योंकि वह डबल बॉयल्ड होता है और उसका टेस्ट भी अच्छा होता है. दूसरी ओर, दुनिया में जहां-जहां दक्षिण भारत के एनआरआई हैं, वे बासमती चावल पसंद नहीं करते बल्कि सोना मसूरी और पोन्नी चावल को पसंद करते हैं.