देशभर में खरीफ सीजन में किसानों ने धान की बंपर बुवाई की है. इस वजह से कुल रकबे में 13 लाख हेक्टेयर की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है. वहीं, पंजाब में बासमती धान की बुवाई इस बार किसानों ने ज्यादा की है. यहां बासमती का रकबे में 13 फीसदी का उछाल दर्ज किया गया है. अमृतसर और मुक्तसर के ज्यादातर किसानों ने बासमती धान की रोपाई की है. इसके अलावा फाजिल्का और तरनतारन जिले में भी ज्यादातर हिस्से में सुगंधित चावल की खेती की गई है. वहीं, डीएसआर विधि यानी बिना रोपाई के सीधे धान बीज की बुवाई करने का रकबा 46 फीसदी बढ़ा है.
पंजाब धान और गेंहू उत्पादन के मामले में काफी आगे है. एजेंसी के अनुसार पंजाब सरकार के फसल विविधीकरण अभियान ने राज्य को इस खरीफ सीजन के दौरान बासमती की खेती के क्षेत्र में 12.58 फीसदी की बढ़ोत्तरी करने में मदद की है. पंजाब के कृषि और किसान कल्याण मंत्री गुरमीत सिंह खुदियान ने रविवार को कहा कि लंबे दाने वाले चावल की खेती वर्तमान में 6.71 लाख हेक्टेयर तक बढ़ गई है, जो पिछले खरीफ सीजन के 5.96 लाख हेक्टेयर की तुलना में काफी ज्यादा है.
कृषि और किसान कल्याण मंत्री गुरमीत सिंह खुदियान ने बासमती की खेती के जिलेवार आंकड़े जारी करते हुए कहा कि अमृतसर इस सुगंधित बासमती चावल के लिए 1.46 लाख हेक्टेयर में बुवाई के साथ सबसे आगे है. अमृतसर के बाद मुक्तसर में 1.10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बासमती की बुवाई की गई है. इसके अलावा फाजिल्का में 84.9 हजार हेक्टेयर में रोपाई हुई और तरनतारन जिले में 72.5 हजार हेक्टेयर, संगरूर में 49.8 हजार हेक्टेयर में बासमती धान की खेती की गई है. पंजाब राज्य के इन जिलों में सबसे ज्यादा बासमती की बुवाई की गई है.
राज्य के कृषि मंत्री ने पिछले वर्ष की तुलना में चावल की सीधी बुवाई (डीएसआर) के तहत क्षेत्र में 46.5 फीसदी के इजाफे पर खुशी जताई. उन्होंने यहां एक बयान में कहा कि पानी की बचत करने वाली डीएसआर पद्धति का उपयोग करके खेती का रकबा 2023 के खरीफ सीजन में 1.72 लाख एकड़ से बढ़कर 2.52 लाख एकड़ से अधिक हो गया है. राज्य के कृषि मंत्री ने कहा कि राज्य ने सुगंधित धान फसल की निर्यात गुणवत्ता को विश्व स्तरीय मानक तक बढ़ाने के लिए बासमती पर 10 कीटनाशकों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है.