अब रोटी में बढ़ेगी पोषक तत्वों की मात्रा, कृषि वैज्ञानिकों ने कर दिया जुगाड़

अब रोटी में बढ़ेगी पोषक तत्वों की मात्रा, कृषि वैज्ञानिकों ने कर दिया जुगाड़

भारत में अब पोषण के लिहाज से फसलों में सुधार किया जा रहा है. भारत में बड़ी संख्‍या में लोग अनाज के तौर पर गेहूं का इस्‍तेमाल करते हैं. अब बाजार में ज्‍यादा पोषण से भरपूर गेहूं की किस्‍में आ गई हैं, जिनसे रोटी में पोषक तत्‍व बढ़ेंगे लोगों को फायदा होगा. जानिए वो कौन-सी किस्‍में हैं...

गेहूं की इन किस्‍मों से बढ़ेगा रोटी का पोषण. (सांकेतिक फोटो)गेहूं की इन किस्‍मों से बढ़ेगा रोटी का पोषण. (सांकेतिक फोटो)
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Nov 15, 2024,
  • Updated Nov 15, 2024, 6:59 PM IST

रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं की बुवाई का काम इस वक्त तेजी से चल रहा है. कृष‍ि वैज्ञान‍िकों का कहना है क‍ि क‍िसान उन्हीं क‍िस्मों का चयन करें, ज‍िनमें पैदावार अच्छी हो, पोषक तत्व ज्यादा हों, रोगों से लड़ने की क्षमता हो और वो लू का सामना कर सकें. सरकार का जोर गेहूं की बायो-फोर्टिफाइड क‍िस्मों की खेती बढ़ाने पर भी है, ताक‍ि रोटी और पोषक बने. कृष‍ि वैज्ञान‍िकों ने गेहूं की ऐसी क‍िस्मों को तैयार क‍िया है, ज‍िनमें सामान्य गेहूं के मुकाबले पोषण गुण अध‍िक हैं. गेहूं में अब 13 फीसदी तक प्रोटीन और 42 फीसदी से ज्यादा जिंक होगा साथ ही आयरन की मात्रा भी बढ़ गई है. ऐसे में जानिए इस ल‍िस्ट में क‍िन क‍िस्मों के नाम हैं?

लिस्‍ट में है ये नाम

कृष‍ि वैज्ञान‍िकों के मुताब‍िक, गेहूं की कई बायो-फोर्टिफाइड क‍िस्में तैयार हैं. कुछ में उपज भी अच्छी है. इन क‍िस्मों में एचडी 3386 (प्रोटीन 11.07 प्रतिशत), एचडी 3410 (उच्च प्रोटीन 12.6 प्रतिशत), पूसा गेहूं 8802 (उच्च प्रोटीन 13.3 प्रतिशत), पूसा गेहूं 8805 (उच्च प्रोटीन 12.4 प्रतिशत और आयरन 40.4 पीपीएम), एचडी 3298 (आयरन 43.1 पीपीएम और प्रोटीन 12.12 प्रतिशत), एचडी 3249 (उच्च जिंक 42.5 प्रतिशत) आदि प्रमुख हैं. इन सबमें प्रोटीन, ज‍िंक और आयरन सामान्य गेहूं के मुकाबले अध‍िक है. गेहूं में पोषक तत्वों, खासतौर पर जिंक, प्रोटीन और आयरन बढ़ने के बाद इससे कुपोषण पर काबू करने में मदद म‍िलेगी. बायोफोर्टिफाइड बीजों को इस तरह तैयार किया जाता है कि उनसे पैदा होने वाली फसल में अधिक पोषक तत्व हों.  

हीट टॉलरेंट क‍िस्में

साल 2022 में लू की वजह से भारत में गेहूं के उत्पादन पर बुरा असर पड़ा था. ऐसे में गेहूं की ऐसी क‍िस्मों की बुवाई करना ज्यादा फायदेमंद होगा, जो हीट टॉलरेंट यानी गर्मी सहनशील हैं. इनमें पूसा गेहूं 1612 (एचआई 1612), पूसा गेहूं 8777 (एचआई 8777), एचडी 3293, सीजी 1029 (कनिष्का), डीबीडब्ल्यू 327 (करण शिवानी), एचडी 3388, बादशाह (एनडब्ल्यूएस 2194), मावंती (सीजी 1040) आदि प्रमुख हैं. 

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क‍ितना बीज लगेगा?

बीज दर म‍िट्टी की दशा, दानों के आकार, अंकुरण, बोने का समय एवं बुआई विधि पर निर्भर करती है. यदि दानों का आकार बड़ा या छोटा है तो उसी अनुपात में बीज दर घटाई या बढ़ाई जा सकती है. इसी प्रकार सिंचित क्षेत्रों में समय से बुवाई के लिए 100 क‍िलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज पर्याप्त होता है. सिंचित क्षेत्रों में देरी से बोने के लिए 125 क‍िलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज की आवश्यकता होती है.

बारानी क्षेत्रों में समय से बुवाई के लिए 75 क‍िलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज की आवश्यकता होती है. लवणीय क्षारीय म‍िट्टी के लिए बीज दर 125 क‍िलोग्राम प्रति हेक्टेयर रखनी चाहिए. इसी प्रकार उत्तरी-पूर्वी मैदानी क्षेत्र (जहां धान के बाद गेहूं बोया जाता है) के लिए 125 क‍िलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज की आवश्यकता होती है.

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