देश में जितनी भूमि पर अनाज वाली फसलों की खेती होती है, उसके पांच फीसद हिस्से पर कृषि वानिकी (agro forestry) से जुड़े पौधों को लगाने की मांग की गई है. इससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी. साथ ही, अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत लकड़ियों का बड़ा सप्लायर साबित हो सकता है. यहां एग्रो फॉरेस्ट्री या कृषि वानिकी का अर्थ है ऐसी खेती-बाड़ी जिसमें पेड़ों को लगाना शामिल हो. आम भाषा में समझना चाहें तो अगर कोई किसान अपने खेतों में चिनार का पेड़ लगाता है, तो यह एग्रो फॉरेस्ट्री में आएगा. एग्रो फॉरेस्ट्री में कमाई की बहुत संभावनाएं हैं.
अनाज वाली फसलों की खेती बड़े पैमाने पर होती है और अधिकांश रकबा इसी में शामिल है. लेकिन किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार से एग्रो फॉरेस्ट्री (agro forestry) पर जोर देने का आग्रह किया गया है. यह मांग सेंचुरी प्लाईवुड के प्रमुख सज्जन भजनका ने की है. उन्होंने सरकार से मांग की है कि फसलों की खेती के रबके का पांच फीसद हिस्सा एग्रो फॉरेस्ट्री में शामिल किया जाए जिससे किसानों की आमदनी बढ़ाने में मदद मिलेगी. साथ ही लकड़ी के अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत की जगह बनेगी.
ये भी पढ़ें: Bihar: सुपौल में खाद के लिए मारामारी, दुकान-दुकान भटक रहे किसान
सज्जन भजनका ने 'बिजनेसलाइन' से कहा, देश की 60 फीसद आबादी कृषि कार्यों में लगी है. इससे 16 फीसद लोगों को फायदा होता है. इतनी बड़ी आबादी खेती में लगने के बावजूद किसान आर्थिक तौर पर मजबूत नहीं हैं. अगर सरकार फसलों की खेती की 5 फीसद जमीन एग्रो फॉरेस्ट्री (agro forestry) के लिए शिफ्ट कर दे तो एक बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा. ग्रामीण इलाकों के किसानों को इससे बहुत अधिक फायदा होगा.
एग्रो फॉरेस्ट्री में जमीन शिफ्ट करने का फायदा ये होगा कि नकदी फसलों में लगी अतिरिक्त जमीन का और अच्छा उपयोग हो सकेगा. डिमांड और सप्लाई में तालमेल बनाया जा सकेगा. एग्रो फॉरेस्ट्री बढ़ने से किसानों की आमदनी बढ़ेगी. मात्र 5 परसेंट एग्रो फॉरेस्ट्री से किसानों की आय बढ़ाई जा सकती है.
ये भी पढ़ें: नागौरी मेथी के बारे में जानते हैं आप, अब बनेगी देश की शान, देखें वीडियो
अभी 1400 लाख हेक्टेयर में खेती होती है. अगर इसका 5 परसेंट हिस्सा एग्रो फॉरेस्ट्री (agro forestry) में शामिल कर दें तो 70 लाख हेक्टेयर लकड़ियों की खेती के लिए उपयोग में लिया जा सकेगा. इस जमीन पर लकड़ी आधारित खेती जैसे चिनार या प्लाईवुड की खेती की जा सकेगी. इससे फायरबोर्ड और पार्टिकल बोर्ड जैसे प्रोडक्ट बनाए जा सकेंगे. प्लाईवुड मार्केट में अभी चीन का कब्जा है और 75 फीसद प्रोडक्ट यहीं पैदा होते हैं. भारत में अगर एग्रो फॉरेस्ट्री के लिए किसानों को वित्तीय मदद दी जाए तो इस क्षेत्र में बड़ा बदलाव हो सकता है.