झारखंड में इन दिनों आम महोत्सव चला है और इसका आयोजन नाबार्ड की तरफ से किया गया है. आम्रपाली और मल्लिका जैसे जैविक, मीठे और सीधे बाग से आने वाले आमों के साथ-साथ आदिवासी उत्पादक शुक्रवार को यहां आम महोत्सव के केंद्र में रहे. देश के शीर्ष ग्रामीण विकास वित्तीय संस्थान नाबार्ड द्वारा आयोजित इस महोत्सव का यह तीसरा संस्करण था. महोत्सव ने आदिवासी उत्पादकों को स्थानीय किस्मों को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच प्रदान किया.
यह महोत्सव वाडी परियोजना के तहत आदिवासी किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) द्वारा उगाए गए केमिकल फ्री, ऑर्गेनिक जैविक आमों की थीम पर आधारित है. महोत्सव की शुरुआत शुक्रवार से हुई है और यह तीन दिनों तक चलेगा. नाबार्ड की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है कि महोत्सव का मकसद झारखंड के भूले-बिसरे स्वादों को सामने लाना है. लंगड़े की रसीली मिठास से लेकर गुलाबखास की समृद्ध सुगंध और आम्रपाली और मल्लिका के संकर पंच तक, विजिटर्स को स्थानीय तौर पर उगाए गए आमों की जीवंत प्रदर्शनी देखने को मिली. नाबार्ड की मानें तो हर किसी को बिना किसी रासायनिक कीटनाशक या उर्वरक के पोषित किए गए आम की एक झलक महोत्सव के जरिये मिली है.
61 WADI क्लस्टरों में फैले इस उत्पाद में झारखंड की समृद्ध कृषि विविधता का स्वाद मिलता है. नाबार्ड झारखंड के मुख्य महाप्रबंधक गौतम सिंह ने कहा, 'ये आम सिर्फ फल नहीं हैं- ये लचीलेपन, स्थिरता और बदलाव की कहानियां हैं.' उन्होंने कहा, 'यहां हर आम आदिवासी किसानों के समर्पण को दर्शाता है, जिन्होंने नाबार्ड समर्थित एफपीओ के माध्यम से जैविक पद्धतियों को अपनाया है और स्थायी आजीविका का निर्माण किया है. यह उत्सव उनके बागों को सीधे शहरी उपभोक्ताओं से जोड़ता है.'
बयान में कहा गया है कि चखने की मेजों और फलों की टोकरियों से परे, यह उत्सव बदलाव का एक शक्तिशाली मंच है- जहां आदिवासी किसान उद्यमियों की भूमिका में आते हैं और एफपीओ मुख्यधारा के बाजारों में दृश्यता प्राप्त करते हैं. नाबार्ड ने बयान में आगे कहा है, 'चाहे आप स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हों या विरासत के प्रति उत्सुक हों, यह आपके लिए झारखंड की आत्मा को समेटे आमों का आनंद लेते हुए टिकाऊ खेती का समर्थन करने का मौका है.' झारखंड राज्य सहकारी बैंक के मुख्यालय में आयोजित इस उत्सव का उद्घाटन भारतीय रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय निदेशक प्रेम रंजन प्रकाश सिंह ने किया.
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