महाराष्ट्र के यवतमाल डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक (वाईडीसीसीबी) की तरफ से किसानों के लिए क्रेडिट अप्रेजल सिस्टम शुरू किया गया है. बैंक को खराब ऋण वसूली के कारण फंड संकट का सामना करना पड़ रहा है. यह बैंक मुख्यतौर पर फसल ऋण वितरित करने के व्यवसाय में है. लेकिन अब बैंक किसानों को ऋण देने के मामले में काफी चयनात्मक हो गया है. किसान अपनी बुआई के खर्चों को पूरा करने के लिए हर साल मिलने वाले फसल ऋण को हासिल करने के लिए कतार में खड़े हैं. इसलिए बैंक सिर्फ उन्हीं को प्राथमिकता दे रहा है जो नई ऋण मूल्यांकन प्रणाली को पूरा करेंगे.
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार क्षेत्र में अभी बुवाई का मौसम शुरू हो चुका है और किसान काफी परेशान हैं. बैंक ने किसानों को उनकी कर्ज अदायगी के आधार पर वर्गीकृत किया है और इन्हीं किसानों को कर्ज वितरण में प्राथमिकता दी जा रही है. ऐसे किसान जिन्होंने पिछले पांच सालों में अपने कर्ज की अदायगी उन्हें सबसे ऊपर रखा गया है. इसके बाद उन किसानों का नंबर है जिनका पिछले तीन सालों का ट्रैक रिकॉर्ड काफी अच्छा है. इसके बाद एक साल के बेहतर ट्रैक रिकॉर्ड वाले किसानों को रखा गया है. सूत्रों की मानें तो बैंक को ऐसा करना पड़ा क्योंकि उसके पास फंड की कमी है. फंड की इस कमी की सबसे बड़ी वजह है नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स यानी एनपीए और जो बहुत ही उच्च स्तर पर है.
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अखबार ने एक्टिवस्टि मनीष जाधव के हवाले से लिखा है कि जो नियम बनाए गए हैं वो किसानों के लिए कर्ज हासिल करने में काफी बड़ी मुश्किल हैं. उनका कहना था कि यह बुवाई का समय है और किसानों को फंड की सख्त जरूरत है. अब वह निजी देनदारों की तरफ रुख कर रहे हैं. वहीं बैंक के अधिकारियों की तरफ से कहा गया है कि बैंक का शुद्ध एनपीए 1187 करोड़ रुपये है और यह रकम बैंक की तरफ से दिए गए टोटल एडवांस का 40 फीसदी है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के नियमों के अनुसार शुद्ध एनपीए 15 फीसदी तक ही होना चाहिए.
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बैंक के चेयरमैन मनीष पाटिल की मानें तो YDCCB के एनपीए 2012 तक मैनेज करने लायक थे लेकिन उसके बाद स्थिति खराब हो गई. साल 2023 किसानों के लिए बेहद खराब था जब सोयाबीन और कपास के दाम बहुत ज्यादा होने के बाद भी आधे ही रह गए. पाटिल की मानें तो कम रिटर्न की वजह से कर्ज अदायगी प्रभावित हुई है. पाटिल ने बैंक में कैश संकट की बात मानी है. उन्होंने कहा कि अभी भी बैंक ने फसल ऋण के रूप में 512 करोड़ रुपए उधार दिए हैं. साथ ही 100 करोड़ रुपए और वितरित करने का लक्ष्य रखा गया है. अभी 10,000 से 12,000 किसान फसल ऋण का इंतजार कर रहे हैं. बैंक को कृषि ऋण माफी के एवज में अभी तक 290 करोड़ रुपये नहीं मिले हैं.