बिहार के किसानों के बीच बागवानी तेजी से लोकप्रिय हो रही है. अब यहां के किसान पारंपरिक फसलों के साथ-साथ बड़े स्तर पर फूलों की भी खेती कर रहे हैं. इससे उन्हें अच्छी कमाई भी हो रही है. खास बात यह है कि राज्य सरकार की ओर से भी प्रदेश में बागवानी को बढ़ावा दिया जा रहा है. इसके लिए किसानों को सब्सिडी दी जा रही है. सरकार का मानना है कि बागवानी से किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार आएगी. धान-गेहूं जैसी पारंपरिक फसलों के मुकाबले बागवानी से उनकी कमाई में बढ़ोतरी होगी. यही वजह है कि राज्य सरकार ने प्रदेश में गेंदे के फूल की खेती पर सब्सिडी देना का फैसला किया है.
दरअसल, बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है. यहां पर 75 फीसदी से अधिक आबादी की आजीविका कृषि पर ही निर्भर है. पहले यहां के किसान सिर्फ पारंपरिक फसलों की ही खेती करते थे. ऐसे में उन्हें अधिक बारिश होने और सूखे जैसी स्थिति उत्पन्न होने पर फसलों को नुकसान पहुंचने का भी डर रहता था. लेकिन अब बागवानी फसलों की खेती से उन्हें मौसम को लेकर चिंता नहीं रही. फिलहाल राज्य में किसान अमरूद, आवला, जामुन, आम, लीची, पपीता, केला और मशरूम की खेती से अच्छी कमाई कर रहे हैं. वहीं, राज्य में फूल का रकबा बढ़ाने के लिए अभी कृषि विभाग किसानों को गेंदे पर सब्सिडी दे रही है.
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बिहार उद्यान निदेशालय के मुताबिक, एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के तहत किसानों को गेंदे की खेती पर सब्सिडी दी जा रही है. कृषि विभाग का मानना है कि बरसात के मौसम में फूलों की खेती करना बेहतर है. क्योंकि इस मौसम में पौधों को लगने की उम्मीद ज्यादा रहती है. अभी कृषि विभाग ने गेंदे के फूल की खेती करने पर 70 फीसदी सब्सिडी देने का फैसला किया है. अगर आप सब्सिडी का लाभ उठाना चाहते हैं, तो उद्यान निदेशालय की आधिकारिक वेबसाइट https://horticulture.bihar.gov.in/ पर जाकर आवेदन कर सकते हैं.
खास बात यह है कि अभी कृषि विभाग ने गेंदे की खेती के लिए 40 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर इकाई लागत तय की है. इसके ऊपर आपको 70 फीसदी की सब्सिडी मिलेगी. यानी अगर आप एक हेक्टेयर में गेंदे के फूल की खेती करते हैं, तो आपको एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के तहत 40 हजार रुपये का लोन पास होगा. इसके ऊपर आपको 70 प्रतिशत की सब्सिडी मिलेगी. यानी आपको 28 हजार रुपये फ्री में मिलेंग. आपको सिर्फ 12 हजार रुपये ही बैंक को देना पड़ेगा.
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