राजस्थान के नागौर की मेड़ता अनाज मंडी में शनिवार को रिकॉर्ड संख्या में जीरा, ईसबगोल, सौंफ सहित अन्य उपज लेकर किसान पहुंचे. किसानों की संख्या अधिक होने से शहर में जाम की स्थिति बन गई. हजारों की संख्या में चारों तरफ ट्रैक्टर ही ट्रैक्टर दिखाई दे रहे थे. इससे शहर में करीब 15 किलोमीटर लंबा जाम लग गया. रिकॉर्ड संख्या में किसानों के आने से मंडी में एक ही दिन में 60 हजार बोरी जीरे की आवक हुई. अलग-अलग मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मंडी में जीरे का अधिकतम भाव 46 हजार रुपये प्रति क्विंटल और कम से कम भाव 24,500 रुपये रहा.
शनिवार सुबह 10 बजे से ही मंडी और आसपास के क्षेत्र में जाम के हालात बनने लगे थे. दोपहर होते-होते करीब 15-17 किलोमीटर में जाम लग गया. इसमें किसान जीरा, ईसबगोल, सौंफ, राहड़ा और अन्य कृषि जिंस ट्रैक्टर ट्रॉलियों में लादकर लाए थे. मेड़ता मंडी के सचिव राजेन्द्र कुमार रियाड़ ने किसान तक को बताया कि शनिवार के दिन करीब चार हजार से अधिक ट्रैक्टर और अन्य लोडिंग वाहन मंडी में पहुंचे थे. इससे पहले कभी इतनी आवक जीरे, ईसबगोल की नहीं हुई थी. जाम के हालातों से निपटने के लिए यातायात पुलिस के अलावा मेड़ता थाने की पुलिस को भी आना पड़ा.
मेड़ता मंडी में शनिवार को जीरे की 60 हजार बोरी की आवक हुई. वहीं, ईसबगोल 20 हजार, रायड़ा 30 हजार, सौंफ 20 हजार और अन्य कृषि जिंसों की करीब 20 हजार बोरी की आवक हुई. ये इस सीजन की सबसे रिकॉर्ड आवक है. जीरे की एक बोरी में औसतन 50 किलो वजन होता है.
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बता दें कि मेड़ता कृषि मंडी जीरे के लिए राजस्थान की सबसे बड़ी मंडियों में से एक है. मंडी सूत्रों के मुताबिक पिछले सात दिन में मेड़ता मंडी में एक महीने के बराबर उपज पहुंची है. इन सात दिनों में करीब एक लाख क्विंटल जीरा मंडी में पहुंचा है. मेड़ता मंडी के सचिव राजेन्द्र कुमार रियाड़ कहते हैं कि पिछले सात दिनों में एक लाख क्विंटल जीरे सहित 2.17 लाख क्विंटल उपज मंडी में पहुंची है. जबकि पिछले महीने 57 हजार क्विंटल जीरे सहित कुल 1.47 लाख क्विंटल अनाज ही मंडी में पहुंचा था.
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इस आंकड़े से ही आप समझ सकते हैं कि जीरे के बढ़े हुए भावों के कारण इस महीने सबसे अधिक उपज मंडी में बिकने आ रही है. मार्च के महीने की तुलना में अप्रैल के इन 15 दिनों में ही डेढ़ गुना अनाज बिकने के लिए आ चुका है. रियाड़ कहते हैं कि मेड़ता और इसके आसपास के क्षेत्र में सबसे अच्छी क्वालिटी का जीरा पैदा होता है. क्योंकि यहां की जलवायु जीरे के लिए मुफीद है. अच्छी जलवायु के कारण जीरे की गुणवत्ता भी अच्छी होती है. इसीलिए हमारे रिकॉर्ड के मुताबिक कल तीन हजार ट्रैक्टर-ट्रॉली मंडी में पहुंचे थे. इसके अलावा कुछ ऐसे भी किसान थे जो गेट पर बिना पर्ची कटाए मंडी में आ गए.
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