राजस्थान में बढ़ रहा अंजीर की खेती का रकबा, क‍िसानों के ल‍िए फायदेमंद साब‍ित हो रही 'डायना'

राजस्थान में बढ़ रहा अंजीर की खेती का रकबा, क‍िसानों के ल‍िए फायदेमंद साब‍ित हो रही 'डायना'

वर्ष 2019-20 में कृषि विज्ञान केंद्र ने बाड़मेर केंद्र में 5 हेक्टेयर क्षेत्र में अंजीर की खेती देखी गई और अब यह 200 हेक्टेयर क्षेत्र तक पहुंच गई है इसकी मुख्य किस्म "डायना" है जो जिसे पौधों के बीच 4x4 मीटर की दूरी पर लगाया जाता है, सिंचाई के लिए ड्रिप सिंचाई प्रणाली का उपयोग किया जाता है. वर्तमान में अंजीर की खेती करने वाले मुख्य ब्लाक शिवना, सिंदरी, चौहटन, गुडामालानी, शिव और बाडमेर हैं. 

राजस्थान के रेगिस्तान में दिया जा रहा है अंजीर की खेती को बढ़ावा, फोटो साभार: Freepikराजस्थान के रेगिस्तान में दिया जा रहा है अंजीर की खेती को बढ़ावा, फोटो साभार: Freepik
नयन त‍िवारी
  • Noida,
  • Dec 13, 2022,
  • Updated Dec 13, 2022, 7:31 AM IST

अंजीर अपने पोषक गुणों के लिए जाना जाता है, इसमें कई तरह के विटामिन, कैल्शियम और फाइबर पाए जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होते हैं. इसके अलावा व्यापार के तौर पर भी अंजीर काफी फायदेमंद होता है. मसलन, अंजीर को देश-व‍िदेश में काफी अच्छा दाम म‍िलता है. नतीजतन इससे क‍िसनों को भी आय में बढ़ोतरी होती है. इन सभी को ध्यान में रखते हुए राजस्थान के शुष्क इलाके में अंजीर की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. कुल म‍िलाकर कह जाए तो राजस्थान के बाड़मेर जिले में अंजीर की खेती का रकबा बढ़ रहा है. ज‍िसमें अंजीर की एक व‍िशेष क‍िस्म डायना क‍िसानों के ल‍िए फायदेमंद साब‍ित हो रही है.   

असल में बाड़मेर में पीली, दोमट, महीन से लेकर चूने वाली मिट्टी पाई जाती है, कम बारिश होने की वजह से यहां सूखे जैसी घटना सामान्य है, यहां के जलवायु की आवश्यकता के अनुसार मुख्य रूप से, खजूर, बेर और अनार की बागवानी की जाती है. 

अंजीर उत्पादन में 12वें स्थान में है भारत  

अंजीर दुन‍िया के प्राचीन फलों में से एक है, जिसका उल्लेख बाइबिल में भी मिलता है, अंजीर का उत्पादन मुख्य रूप से मध्य पूर्व के देशों में किया जाता है. भारत अंजीर उत्पादन में 12 वें स्थान पर है. यहां अंजीर को एक मामूली फल की फसल माना जाता है. अंजीर की व्यावसायिक खेती ज्यादातर महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश (लखनऊ और सहारनपुर) कर्नाटक (बेल्लारी, चित्रदुर्ग और श्रीरंगपटना) और तमिलनाडु के पश्चिमी हिस्सों (कोयम्बटूर) तक ही सीमित है. अंजीर की खेती को शुष्क वातावरण, तेज गर्म तापमान वाले इलाके, भरपूर धूप और मध्यम पानी वाले इलाके में की जाती है.

तीन साल 39 गुना बढ़ा रकबा

 कृषि विज्ञान केंद्र(केवीके) गुड़ामालानी, बाड़मेर की वजह से राजस्थान में अंजीर की खेती का रकबा बढ़ रहा है. असल में केवीके क्षेत्र के कृषि से जुड़े लोगों की आर्थिक स्थिति बढ़ाने का काम करता है. कृषि विज्ञान केंद्र प्रशिक्षण आयोजित करके जानकारी और स्किल्स को बढ़ाता है. यह केंद्र समय- समय पर सर्वे करके उन फसलों की खेती को बढ़ावा देता है, जो यहां की जलवायु के लिए उपयुक्त हैं. वर्ष 2019-20 में कृषि विज्ञान केंद्र ने बाड़मेर केंद्र में 5 हेक्टेयर क्षेत्र में अंजीर की खेती शुरू की थी, जो मौजूदा समय में अब 200 हेक्टेयर क्षेत्र तक पहुंच गई है. इस तरह तीन साल में 39 गुना रकबे की बढ़ोतरी हुई है. 

केवीके क्षेत्र में अंजीर के "डायना" क‍िस्म की खेती करवा रहा है, जो क‍िसानों को मालामाल कर रही है. इस क‍िस्म के पौधे खेत में 4x4 मीटर की दूरी पर लगाए जाते हैं, सिंचाई के लिए ड्रिप सिंचाई प्रणाली का उपयोग किया जाता है. वर्तमान में अंजीर की खेती करने वाले मुख्य ब्लाक शिवना, सिंदरी, चौहटन, गुडामालानी, शिव और बाडमेर हैं. 

 

Fig Cultivation: Pursuit of Profit in Thar Region of Rajasthan. #ICAR @PMOIndia @nstomar @KailashBaytu @ShobhaBJP @PIB_India @DDKisanChannel @AgriGoI @mygovindia
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— Indian Council of Agricultural Research. (@icarindia) December 12, 2022

अंजीर की उपज और लाभ

अंजीर का पौधा लगभग 3 वर्ष में ही फल देना शुरू कर देता है. इसके 1 पौधे से लगभग 15 किलो फल प्राप्त होते हैं. अंजीर की मांग बाजारों और उद्योगों में बनी रहती है. अंजीर के फल औसतन 100 रुपये किलो तक बेचे जाते हैं. अंजीर के 1 पेड़ 1500-200 रुपये तक मिलने की संभावना होती है. इस तरह से 1 हेक्टेयर में खेती करके सालाना 5 लाख रुपये तक का मुनाफा कमाया जा सकता है. अंजीर की खेती से किसानों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में काफी सुधार देखने को मिला है.  

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