देशभर के बारिश ने कहर बरपाया हुआ है. राजस्थान में भी कहीं जमकर तो कहीं रुक-रुककर बारिश हो रही है. कुछ ऐसा ही अलवर और इसके आसपास के इलाकों और धौलपुर में देखने को मिल रहा है, जिसके चलते कई इलाकों में लोगों को अब परेशानी काा सामना करना पड़ रहा है. साथ ही किसानों को भी नुकसान हो रहा है. दरअसल, अलवर और आसपास क्षेत्र में बीते दो दिन से लगातार रुक-रुक कर बारिश हो रही है. ऐसे में नदी नालों में तेज पानी की आवक हो रही है. सिलीसेढ़ बांध में पानी की उपरा चल रही है.
रूपारेल नदी में भी पानी की आवक हुई है. जयसमंद बांध में 10 फुट पानी आ चुका है. 1996 के बाद पहली बार जयसमंद बांध में इतना पानी आया है. ज्यादा पानी की आवक होने के कारण आसपास तीन गांवों की प्याज, बाजरा और अन्य फसल पूरी तरह से खराब हो चुकी है. जयसमंद बांध की भराव क्षमता करीब 23 फीट है, लेकिन अभी भरने में और भी अच्छी बरसात का इंतजार है.
जयसमंद बांध में पानी का लेवल बढ़ने के बाद जलभराव क्षेत्र में खेती करने वाले किसान अब सरकार और प्रशासन से मदद की गुहार लगा रहे हैं. लगातार होती बरसात से बांध के बीचों बीच बना जल महल जहां 1996 के बाद अब पानी पहुंचा है. किसानों के चेहरे पर पानी की आवक के साथ खुशी है, लेकिन फसल खराब होने से वे परेशान भी हैं. ग्रामीणों ने कहा कि बांध की सफाई कराई जाए, ताकि बांध में क्षमता के हिसाब से पानी जमा हो सके. वहीं, अलवर की सिलीसेढ़ झील लगातार ओवर फ्लो हो रही है और झील से पानी की चादर चल रही है.
सिलीसेढ़ झील का पानी भी जयसमंद बांध में पहुंच रहा है. साथ ही नथनी का बारा और सरिस्का के जंगल क्षेत्र में हो रही बारिश का पानी भी अब जयसमंद बांध में आने लगा है. इसलिए बंद में पानी की आवक बढ़ रही है. जयसमंद बांध के आसपास जलदाय विभाग नहीं 50 से ज्यादा बोरिंग को खोद रखा है. इन बोरिंगो का पानी अलवर शहर में सप्लाई होता है. ऐसे में हर साल जयसमंद बाद में पानी आने से शहर को पीने के लिए पानी मिलता है तो आसपास क्षेत्र के गांव को भी बड़ी राहत मिलती है.
वहीं, धौलपुर जिले में दो दिन से रुक-रुककर हो रही बारिश की वजह से सडकों पर जलभराव होने से लोगो को आवागमन में खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा हैं. पार्वती बांध से लगातार पानी छोड़े जाने से पार्वती नदी पांचवीं बार उफान पर आ गई है, जिसके कारण सैपऊ-बाड़ी रपट मार्ग, मालोनी खुर्द रपट मार्ग, सखवारा रपट मार्ग, ठेकुली रपट, जसूपुरा, नादौली रपट मार्ग पर करीब चार फीट पानी की चादर चलने से पचास से अधिक गांव और ढाणियों के सम्पर्क जिला मुख्यालय से कट गए हैं.