
देश के सबसे बड़े प्याज उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में किसानों को आंदोलन करने के बाद भी प्याज का सही दाम नहीं मिल रहा है. इसके बावजूद राज्य सरकार अप्रैल में की जाने वाली बिक्री पर प्याज सब्सिडी नहीं देगी. किसानों को राहत देने के लिए सिर्फ फरवरी और मार्च में ही की गई प्याज बिक्री पर सरकार ने 350 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर सब्सिडी देने की घोषणा की थी. इस समय राज्य की ज्यादातर मंडियों में प्याज का न्यूनतम दाम 100 से 500 और औसत भाव 500 से 600 रुपये प्रति क्विंटल तक है. किसानों को समझ में नहीं आ रहा है कि वो करें तो करें क्या.
प्याज को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के दायरे में लाने की मांग को लेकर किसानों ने मार्च में नासिक से मुंबई तक का पैदल मार्च निकाला था. प्याज के गिरते भाव को लेकर विपक्ष ने महाराष्ट्र विधानसभा में मुद्दा उठाया था. इसके बाद राज्य सरकार ने किसानों को 350 रुपये प्रति क्विंटल की दर से मदद करने का ऐलान किया. लेकिन शर्त यह रखी गई कि एक फरवरी से 31 मार्च तक बेची गई प्याज की पर्ची देने पर ही यह मदद मिलेगी. जबकि दाम तो अप्रैल में भी कम ही चल रहे हैं.
महाराष्ट्र कांदा उत्पादक संगठन के संस्थापक अध्यक्ष भारत दिघोले का कहना है कि जब तक दाम कम मिल रहा है तब तक 350 रुपये प्रति क्विंटल की मदद करने वाली योजना जारी रखनी चाहिए. सिर्फ दो महीने के लिए योजना लाने का क्या मतलब है. अप्रैल में ज्यादातर मंडियों में प्याज का दाम पांच रुपये प्रति किलो से कम है. इसलिए अप्रैल में होने वाली प्याज बिक्री पर भी यह मदद मिले. प्याज किसानों का स्थाई समाधान यही है कि उन्हें लागत के अनुसार एमएसपी दी जाए.