Onion MSP: किसानों की प्याज पर एमएसपी की मांग तेज, मौसम और बाजार की मार से बढ़ी मुश्किलें

Onion MSP: किसानों की प्याज पर एमएसपी की मांग तेज, मौसम और बाजार की मार से बढ़ी मुश्किलें

खराब मौसम, एक्सपोर्ट पॉलिसी में बदलाव और कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव से प्याज की खेती संकट में है. महाराष्ट्र के किसान संगठनों ने सरकार से प्याज को भी एमएसपी फ्रेमवर्क में शामिल करने की मांग की है ताकि उन्हें स्थिर दाम और सुरक्षा मिल सके.

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क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Nov 11, 2025,
  • Updated Nov 11, 2025, 3:08 PM IST

भारत की प्याज की राजधानी और एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी वाला नासिक पिछले तीन साल से मुश्किल दौर से गुजर रहा है. खराब मौसम, लगातार बदलती एक्सपोर्ट पॉलिसी और कीमतों में अचानक उतार-चढ़ाव ने प्याज की खेती को एक जुआ बना दिया है. इससे किसानों को एकजुट होकर इस फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की मांग करनी पड़ रही है. अनाज और दलहन-तिलहन की तरह किसानों ने प्याज के लिए भी एमएसपी की मांग उठाई है.

महाराष्ट्र राज्य प्याज उत्पादक किसान संगठन के अध्यक्ष भरत दिघोले ने 'बिजनेसलाइन' से कहा, "खराब मौसम के कारण बुवाई और कटाई का सिस्टम पूरी तरह से बिगड़ गया है. लगातार बदलती पॉलिसी के कारण एक्सपोर्ट लिंक खराब हो गए हैं, और बाजार दरें इतनी तेजी से ऊपर-नीचे हो रही हैं कि अब व्यापारी और किसान दोनों ही प्याज उगाने या उसका व्यापार करने से डर रहे हैं. अगर सरकार प्याज के बढ़ते संकट पर ध्यान नहीं देगी तो स्थिति और खराब हो जाएगी."

प्याज के लिए एमएसपी की मांग

संगठन ने सरकार से किसानों को अस्थिर बाजार और बढ़ते नुकसान से बचाने के लिए तुरंत प्याज के लिए MSP घोषित करने का आग्रह किया है.

कृषि मंत्रालय के अनुसार, MSP फ्रेमवर्क के तहत फसलों को शामिल करना कई फैक्टर पर निर्भर करता है, जिसमें लंबी शेल्फ लाइफ, बड़े पैमाने पर खेती, बड़े पैमाने पर खपत और खाद्य सुरक्षा के लिए महत्व शामिल है. मंत्रालय ने यह भी साफ किया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत, संबंधित राज्य सरकार की ओर से प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान के खिलाफ बीमा कवरेज के लिए प्याज की फसल को नोटिफाई किया जा सकता है. यह स्पष्टीकरण लोकसभा में महाराष्ट्र के सांसदों के उठाए गए सवालों के जवाब में आया.

लागत को लेकर भी संशय

महाराष्ट्र में प्याज की खेती तीन मुख्य मौसमों में की जाती है - रबी, खरीफ और लेट खरीफ. अक्टूबर-नवंबर में बोई जाने वाली और मार्च-मई में काटी जाने वाली रबी की फसल कुल उत्पादन का लगभग 70 प्रतिशत होती है, जबकि मई और सितंबर के बीच बोई जाने वाली खरीफ और लेट खरीफ की फसलें मिलकर लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा देती हैं. खरीफ प्याज रबी और खरीफ की फसल आने के बीच के महीनों में कीमतों में स्थिरता बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है.

अहमदनगर के एक किसान बी. के. पाटिल ने कहा, "हमें अब पता नहीं चलता कि हमें अपनी उपज का क्या दाम मिलेगा या हम खेती की लागत भी वसूल कर पाएंगे या नहीं. MSP से कम से कम कुछ राहत तो मिलेगी." उन्होंने आगे कहा कि प्याज सबसे ज्यादा मौसम के प्रति संवेदनशील फसलों में से एक है - जब मौसम की स्थिति अनुकूल होती है, तो पैदावार बहुत ज्यादा होती है, जिससे बाजार में प्याज भर जाता है और कीमतें गिर जाती हैं. लेकिन एक बार भी पाला पड़ने, बेमौसम बारिश या बहुत अधिक गर्मी से पूरी फसल बर्बाद हो सकती है, जिससे सप्लाई में कमी और कीमतों में भारी उछाल आ सकता है.

प्याज की खेती में कमी

महाराष्ट्र के सांसदों ने यह भी चेतावनी दी है कि नासिक, पुणे और डिंडोरी जिलों के किसान - जो राज्य के सबसे बड़े प्याज उत्पादक क्षेत्र हैं - गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं. कई किसानों ने नुकसान वाली कीमतों के कारण अपनी खेती का रकबा डेढ़ एकड़ से घटाकर सिर्फ आधा एकड़ कर दिया है.

नासिक के एक और किसान राहुल पाटिल ने कहा, "यह सच है कि किसान धीरे-धीरे प्याज की खेती से दूर हो रहे हैं. संख्या अभी कम हो सकती है, लेकिन यह ट्रेंड शुरू हो गया है." "युवा किसान अब कम जोखिम वाली फसलों की तरफ रुख कर रहे हैं." वे कहते हैं, महाराष्ट्र के किसानों के लिए, MSP की मांग सिर्फ बेहतर मुनाफे के बारे में नहीं है - यह लगातार बदलते मौसम और बाजार के माहौल में जिंदा रहने के बारे में है.

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