महाराष्ट्र में लगातार हुई भारी बारिश ने किसानों की कमर तोड़ दी है. राज्य के कृषि मंत्री दत्तात्रेय भरणे ने शुक्रवार को जानकारी दी कि पिछले कुछ दिनों में 29 जिलों में 14.44 लाख हेक्टेयर फसलें पानी में डूबने से भारी नुकसान पहुंचा है. सबसे ज्यादा नुकसान 15 से 20 अगस्त के बीच दर्ज हुआ, जब मॉनसून चरम पर था. इस दौरान 191 तहसीलों (तालुकाओं) में अतिरिक्त बारिश हुई, जिससे खरीफ की फसलें 654 राजस्व मंडलों में प्रभावित हुईं. 12 जिलों में तो अकेले 10,000 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन पर फसलें नष्ट हो गईं.
सबसे बुरी तरह प्रभावित जिलों में नांदेड़ (6.20 लाख हेक्टेयर), वाशिम और यवतमाल (1.64-1.64 लाख हेक्टेयर), धाराशिव (1.50 लाख हेक्टेयर), बुलढाणा (89,782 हेक्टेयर), सोलापुर (47,266 हेक्टेयर), अकोला (43,828 हेक्टेयर) और हिंगोली (40,000 हेक्टेयर) शामिल हैं.
कृषि मंत्री भरणे के मुताबिक, जिन फसलों को नुकसान पहुंचा है, उनमें सोयाबीन, कपास, मक्का, उड़द, तुअर, मूंग के अलावा सब्जियां, फल, बाजरा, गन्ना, प्याज, ज्वार और हल्दी शामिल हैं. मंत्री भरणे ने किसानों को आश्वासन दिया है कि फसल नुकसान का पंचनामा अंतिम चरण में है और हर किसान को त्वरित राहत दी जाएगी. एक भी किसान को सहायता से वंचित नहीं रखा जाएगा.
उन्होंने कहा कि यह पूरी प्रक्रिया मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ओर अजित पवार के मार्गदर्शन में की जा रही है. प्रभावित जिलों में नांदेड़, वाशिम, यवतमाल, बुलढाणा, अकोला, सोलापुर, हिंगोली, धाराशिव, परभणी, अमरावती, जलगांव, वर्धा, सांगली, अहमदनगर, छत्रपति संभाजीनगर, जालना, बीड, लातूर, धुले, रत्नागिरी, चंद्रपुर, सतारा, नाशिक, कोल्हापुर, सिंधुदुर्ग, गढ़चिरौली, रायगढ़ और नागपुर शामिल हैं.
इससे पहले बुधवार को महाराष्ट्र सरकार ने किसानों को राहत देने के लिए बड़ा कदम उठाते हुए मुख्यमंत्री बालिराजा मुफ्त बिजली योजना के तहत कृषि पंपधारक किसानों के लिए बिजली बिल का बोझ कम करने का फैसला लिया. इसके लिए राज्य विद्युत वितरण कंपनी महाडिस्कॉम को 2,172 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं.
सरकार की ओर से बताया गया कि योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को सिंचाई पंपों के लिए मुफ्त बिजली उपलब्ध कराना है, ताकि वे बिना अतिरिक्त लागत की चिंता किए अपनी फसलों की सिंचाई कर सकें और उत्पादन बढ़ा सकें. योजना अप्रैल 2024 से मार्च 2029 तक लागू रहेगी और इसमें 7.5 एचपी तक क्षमता वाले कृषि पंप शामिल किए जाएंगे. (पीटीआई)