महाराष्ट्र में इस मॉनसून सीजन भारी बारिश, बाढ़ की घटनाओं ने आम जनजीवन और खेतों में लगी फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है. खासकर राज्य के मराठवाड़ा इलाके में भारी तबाही मची है. इस क्षेत्र के हिंगोली जिले में बाढ़ और बारिश नें किसानों का जीना दूभर कर दिया है. किसानों को सरकार से मदद की आस थी, लेकिन वह भी अब खत्म होती दिखाई दे रही है. कुदरत के आगे बेबस किसान सरकार की घोषणा के अनुसार मिलने वाले मुआवजे से नाराज है और उचित मुआवजे की मांग कर रहे हैं.
किसानों का कहना है कि हमारा जितना नुकसान हुआ है यानी लागत जितनी लगी है है, उसकी भरपाई की जाए. हिंगोली के किसान बालू राठोड ने बताया कि उनके पास 11 एकड़ पुश्तैनी जमीन है. इस साल खरीफ सीजन में उन्होंने कपास, तुअर और सोयाबीन की फसल लगाई थी. इसके लिए उन्होंने साहूकार और बैंक से कर्जा लिया था. उन्हें सोयाबीन की एक एकड़ फसल के लिए जुताई-बुवाई से लेकर अब तक 35 हजार के करीब खर्च आया है.
वहीं, तुअर के लिए 10 हजार, कपास के लिए 20 हजार के करीब खर्च आया था. उन्हें इस बार अच्छी फसल और की उम्मीद थी. उनकी अनुमान के अनुसार फसल भी सही से बढ़ रही थी, लेकिन, कुदरत ने ऐसा कहर ढाया कि उनके सारे अरमान पानी में बह गए.
किसानों ने कहा कि अब सरकार से मदद की आस है. लेकिन, सरकार किसानों को सोयाबीन के लिए 3400 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब सें मुआवजा दे रही है, जबकि हमारा प्रति एकड़ पर 35 हजार रुपये खर्च आता है. ऐसे में हमारी मांग है कि किसान का जिस फसल पर जितनी लागत आती है, उन्हें उतना मुआवजा मिलना चाहिए.
यही हाल किसान बालासाहेब बोंगाने का है. उन्होंने अपने तीन एकड में केले और दो एकड में पपीता के पौधे लगाए थे. केले की फसल लगाने पर उनके करीब 80 हजार रुपये खर्च हुए थे. अगले महीने फसल मार्केट में जाने वाली थी, मगर लगातार हो रही बारिश के कारण पूरी फसल बर्बाद हो गई.
किसान ने कहा कि सरकार मुआवजे के तौर पर 22 हजार रुपये देने वाली है, मगर इतने में खर्च भी वसूल नहीं होगा. उन्होंने भी बैंक सें कर्जा लिया है उनके सामने यह संकट है कि बैंक का कर्जा और परिवार का सालभर भरण पोषण कैसे होगा.
बता दें कि हिंगोली में इस साल 2 लाख 75 हजार के ऊपर फसलों का नुकसान हुआ है. इसके लिए जिले के किसानों को सरकार प्रति एकड 3400 रुपये यानी सभी किसानों 131 करोड़ रूपये मुआवजा देने जा रही है. किसानों नें सरकार के कम मुआवजा देने के फैसले की निंदा की है और मांग की है कि उनका जितना नुकसान हुआ है, उतना मुआवजा उन्हें मिलाना चाहिए.