महाराष्ट्र में किसानों को लगातार विभिन्न संकटों का सामना करना पड़ता हैं. कभी बदलते मौसम की मार तो कभी उपज का सही दाम नहीं मिल पाता है. लेकिन, इन सभी संकटों का सामना करते हुए किसान अपनी उपज को अच्छा बनाने के लिए लगातार उचित योजना और आधुनिक तकनीक का उपयोग कर रहे है. वहीं जालना जिले के किसान नासिर शेख ने अपने दो एकड़ जमीन में पपीते की जैविक पद्धति से सफलतापूर्वक खेती कर अच्छी कमाई कर रहे हैं.
असल में राज्य में इस समय किसान पारंपरिक खेती को छोड़ बागवानी की ओर ज्यादा रुख कर रहे है. वहीं जिले के किसान नासिर शेख ने भी पारंपरिक खेती को छोड़ बागवानी की ओर ज़ोर दिया और अब इससे उन्हें अच्छा मुनाफा मिल रहा है. किसान ने बताया की उन्होंने इस खेती लिए मल्चिंग पेपर का उपयोग किया था. वहीं कुछ जिलों में जिन किसानों ने पारंपरिक तरीके से खेती है उनके बागों पर कीटों का अटैक देखा जा रहा है.
नासिर शेख का कहना है कि उन्होंने पिछले साल 2 एकड़ जमीन में पहले प्रयोग के तौर पर पारंपरिक फसलों के साथ पपीते के दो हजार पौधे रोपे गए थे. उन्होंने बताया की दो पौधों के बीच की कम से कम दूरी 8 बाय 6 फीट रखी गई थी. इसकी शुरुआत सितंबर और अक्टूबर में हुई थी और अभी तक वो करीब 32 से 35 टन पपीता बेच चुके. शेख ने बताया कि फरवरी की शुरुआत में उनको पपीता का 15 से 18 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिका था.
नासिर शेख ने बताया कि उन्होंने पपीते की खेती के लिए मल्चिंंग पेपर का प्रयोग किया था. किसान ने बताया कि इससे पानी की काफी बचत होती है, खाद प्रबंधन, कीट नियंत्रण, इंटरक्रॉपिंग जैसी योजनाओं पर वे करीब एक लाख रुपये खर्च कर चुके थे. इस इस मल्चिंग पद्धति से उन्हें कम लागत में 4 लाख रुपये की आय हो चुकी है और अभी भी लग भाग 35 टन पपीता और निकलने कि संभावना है. इससे उन्हें तीन लाख की आमदनी मिलने की उम्मीद है. शेख ने कहा कि उचित मार्गदर्शन और कड़ी मेहनत के कारण यह मीठा फल आया है. ऑर्गेनिक तरीके से की खेती से पपीते की काफी डिमांड है और इनकी मांग राज्य के साथ-साथ अन्य दूसरे राज्यों में भी बढ़ रहा है. इसलिए रेट बढ़ रहा है, और इससे किसानों को काफी फायदा हो रहा है.
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राज्य के कुछ हिस्सों में पपीते के बागों पर लीफ स्पॉट रोग का प्रकोप तेज़ी से बढ़ रहा है. इससे पपीते के पेड़ के पत्ते पीले होकर झड़ रहे हैं और साथ ही फल की वृद्धि भी प्रभावित हो रही है. जिससे उत्पादन में भारी गिरावट आ रही है. इस स्थिति से किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है इस बीच, नंदुरबार जिले में पपीते के बागानों में फंगल और वायरल रोगों का प्रकोप बढ़ देखया गाया था.
कृषि विभाग की ओर से पपीता कृषकों के क्षेत्र में इन रोगों को नियंत्रित करने के लिए जो उपाय किये जा रहे हैं, वे सीधे किये जायें.ऐसी मांग किसानों की ओर से की जा रही है. जिले के पपीता किसान तीन-चार वर्षों से पपीते को प्रभावित करने वाली विभिन्न बीमारियों से परेशानियों में है.
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