कांतिमुंडी बैंगन को मिला GI Tag, पढ़ें क्या है इस 100 साल पुरानी वैरायटी की खासियत

कांतिमुंडी बैंगन को मिला GI Tag, पढ़ें क्या है इस 100 साल पुरानी वैरायटी की खासियत

नयागढ़ कांतिमुंडी बैंगन की खासियत यह है कि बैंगन की अन्य किस्मों की तुलना में इसका स्वाद सबसे अलग होता है, साथ ही इसका एक और गुण यह है कि यह जल्दी पक जाता है.

बैंगन की तस्वीर                                  फोटोः ट्विटरबैंगन की तस्वीर फोटोः ट्विटर
पवन कुमार
  • Ranchi,
  • Sep 03, 2023,
  • Updated Sep 03, 2023, 5:12 PM IST

ओडिशा में उगने वाले बैंगन को अब एक खास पहचान मिल गई है. जी हां इसके क्षेत्रीय गुणों और बेहतरीन स्वाद  के लिए ओडिशा की स्थानय वेरायटी वाले बैगन को जीआई टैग दिया गया है. इसके मिल जाने से बैगन की इस वेरायटी को एक वैश्विक पहचान मिलेगी. बैगन की इस ब्रीड का नाम कांतिमुंडी है. यह नयागढ़ जिले की ब्रीड है. कांतिमुंडी बैगन को जीआई टैग दिलाने में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के संवर्धन और आंतरिक व्यापारा विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका रही. इसके सहयोग से ही इस बैगन को जीआई टैग प्राप्त हुआ. रिपोर्टों के अनुसार, नीलमाधव कृषि संगठन ने ओडिशा कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (ओयूएटी) की मदद से 2021 में इस बैगन के जीआई टैग के लिए आवेदन किया था.

नयागढ़ कांतिमुंडी बैंगन की खासियत यह है कि बैंगन की अन्य किस्मों की तुलना में इसका स्वाद सबसे अलग होता है, साथ ही इसका एक और गुण यह है कि यह जल्दी पक जाता है. इसके अलावा शुद्ध देसी ब्रीड होने का एक फायदा यह भी होता है कि इसके पौधों में रोग प्रतिरोधन क्षमता अच्छी होती है और इसमें कीट और बीमारियों का प्रभाव नहीं के बराबर होता है. इतना ही नहीं इस बैंगन की खेती खरीफ और रबी दोनों ही सीजन में की जा सकती है. यह नयागढ़ जिले में यह जिले में उगाई जाने वाली स्थानीय किस्मों के अलावा अद्वितीय विशेषताओं वाली एक स्वदेशी किस्म है.

14 दिनों तक खराब नहीं होता है फल

इस बैंगन में भौगोलिक स्थिति जैसे जलवायु, वर्षा, तापमान, मिट्टी की गुणवत्ता, प्रबंधन प्रथाओं, आदि का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है और इसका अद्वितीय स्वाद, आकार, पैदावार आदि सहित इसकी गुणवत्ता को बरकरार रहती है. पूरा पौधा तना, पत्ती और कैलीक्स सहित कांटेदार कांटों से ढका होता है. साथ ही फल की तुड़ाई के बाद बाद, नयागढ़ कांतिमुंडी बैंगन को बिना खराब हुए विपरित परिस्थितियों में 10-14 दिनों तक रखा जा सकता है. कांतिमुंडी बैंगन की खेती मूल रूप से खंडपाड़ा ब्लॉक के बदाबनापुर और रतनपुर क्षेत्रों और भापुर ब्लॉक के धनचांगदा, लक्ष्मीप्रसाद, कुमुंडी और फतेगढ़ क्षेत्रों में की जाती थी. अब यह पूरे ओडिशा के नयागढ़ जिले में उगाया जाता है.

100 साल से पहले हुई है इस बैंगन की उत्पति

बेसलाइन सर्वेक्षण के जरिए प्राप्त की गई स्थानीय जानकारी के अनुसार, इस बैंगन की उत्पत्ति 100 साल से भी अधिक पुरानी है. यह पाया गया कि स्थानीय लोगों को बैंगन की खेती के दौरान पहाड़ी से यह नुकीला बैंगन मिला और उन्होंने इसके बीज एकत्र किए और पौध उगाना शुरू कर दिया. इसके बाद उन्होंने बैंगन की ऐसी ही किस्म उगाई और बेहतर उपज प्राप्त की. बैंगन का नाम कांतिमुंडी उन स्थानीय उत्पादकों द्वारा उस इलाके कांति के अनुसार दिया गया था और तने और कैलीक्स के साथ-साथ फल पर भी छोटे कांटेदार कांटे थे. इसके अनूठे स्वाद की बाजार में अधिक मांग और स्वीकार्यता के कारण उत्पादन का क्षेत्र धीरे-धीरे बढ़ रहा है.
 

 

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