इस साल मॉनसूनी बारिश ने कई राज्यों में फसलों को तबाह किया है और यही हाल झारखंड में भी देखने को मिल रहा है. इस बीच, झारखंड की कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने मंगलवार को विधानसभा में जानकारी दी कि इस साल मॉनसून के दौरान हुई अत्यधिक बारिश के चलते धान की लगभग 10 प्रतिशत फसल को नुकसान हुआ है, जबकि मोटे अनाज को और ज्यादा नुकसान पहुंचा है. उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जून में कृषि और संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक कर स्थिति की समीक्षा की थी.
इसके बाद सभी 24 जिलों से रिपोर्ट मंगाई गई, जिसमें यह नुकसान सामने आया. मंत्री ने कहा कि प्रभावित किसानों को आपदा राहत कोष से मुआवजा दिया जाएगा और बिरसा फसल बीमा योजना के तहत पंजीकरण भी जारी है. इस दौरान कृषि मंत्री नेहा तिर्की ने राज्य में खाद के संकट पर चिंता जताई.
उन्होंने कहा कि इस साल यूरिया की खपत ज्यादा रही है, लेकिन झारखंड को केंद्र से 1.60 लाख टन के मुकाबले केवल 1.13 लाख टन ही यूरिया मिला है और करीब 50 हजार टन यूरिया अब भी मिलना बाकी है. तिर्की ने आरोप लगाया कि देशभर में यूरिया की कमी केंद्र सरकार की विदेश नीति का नतीजा है.
वहीं, उन्होंने बताया कि यूरिया की जमाखोरी की शिकायतों पर कार्रवाई करते हुए करीब 500 छापेमार कार्रवाई की गईं. इस दौरान आठ लाइसेंस निलंबित, 21 रद्द किए गए और दो मामलों में एफआईआर दर्ज की गई है. तिर्की ने राज्य में बारिश की स्थिति का जिक्र करते हुए कहा कि झारखंड में इस साल 760 मिमी बारिश हुई है, जो पिछले साल से तीन गुना और सामान्य से 70 प्रतिशत ज्यादा है.
कई जिलों में आंकड़े बेहद चौंकाने वाले हैं. सरायकेला में 240 प्रतिशत, लोहरदगा में 300 प्रतिशत, रांची में 196 प्रतिशत, चतरा में 177 प्रतिशत और खूंटी में 153 प्रतिशत ज्यादा बारिश दर्ज की गई है. वहीं, बाद में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मीडिया से बातचीत में कहा कि बहुत ज्यादा बारिश ने राज्यभर में गंभीर स्थिति पैदा कर दी है. सरकार लगातार हालात की निगरानी कर रही है और प्रभावित क्षेत्रों को राहत देने के लिए हरसंभव कदम उठाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि विधानसभा सत्र की शुरुआत से ही इस मुद्दे को उठाया गया था और इस पर विस्तृत चर्चा की गई है. (पीटीआई)