अंबाला में गुरुवार को बारिश हुई. इससे अंबाला की अनाज मंडियों में रखा सैकड़ों टन गेहूं प्रशासनिक लापरवाहियों की वजह से भीग गया. अब इस गेहूं के खराब होने का अंदेशा जताया जा रहा है. इसको लेकर किसानों का कहना है कि इसका ठीकरा आढ़ती या किसान पर नहीं फोड़ा जाना चाहिए क्योंकि ये लापरवाही अधिकारियों और लिफ्टर की है. किसानों की मांग है कि अधिकारियों और गेहूं उठान करने वाली एजेंसी के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए. इससे पहले भी बारिश के चलते मंडियों में गेहूं को भारी नुकसान देखा गया है. खुले में पड़े गेहूं बारिश में भीगने के बाद खराब होने की कगार पर पहुंच गए हैं.
मौसम विभाग ने हरियाणा में दो से तीन दिन मौसम खराब रहने और बारिश होने का अंदेशा जताया था. इसके बावजूद मंडियों में प्रशासन ने कोई व्यवस्था नहीं की. इसके चलते अंबाला की मंडियों में सैकड़ों टन गेहूं भीग गया. अंबाला की अनाज मंडियों में लिफ्टिंग ढीली होने और ड्रेनेज सिस्टम ठीक न होने के चलते अनाज की बोरियां भीग गईं. गुरुवार सुबह मौसम ठीक होने के बाद किसान गेहूं की बोरियों को सुखाते नजर आए.
इस पूरे मामले को लेकर किसानों का कहना है कि गेहूं भीगने की गलती किसान या आढ़ती की बिल्कुल भी नहीं है. यह लापरवाही प्रशासनिक अधिकारियों और लिफ्टिंग करने वालों की है. अधिकारियों और लिफ्टिंग करने वालों की वजह से गेहूं की बोरियां मंडी में भीग गईं. किसानों का कहना है कि गेहूं का दाना इससे काला हो जाएगा और वो खराब हो जाएगा. किसानों ने कहा इस बार खरीद देरी से शुरू हुई और आवक तेजी से हुई. साथ ही गेहूं का उठान समय पर नहीं किया गया. इसके चलते गेहूं की बोरियां भीग गई हैं. इसके लिए लापरवाही करने वालों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए.
ये भी पढ़ें: Heat Wave Alert: भीषण गर्मी और लू से तप रहा पूरा उत्तर भारत, घरों में दुबकने को मजबूर हुए लोग
मंडी में पहुंचे एक किसान ने कहा कि हरियाणा में एक अप्रैल से गेहूं की खरीद शुरू हुई है, लेकिन सरकार ने इसमें देरी की. गेहूं के दाने को पतला और छोटा बताकर खरीदने में देरी की जबकि दाना छोटा होने के पीछे किसान की कोई गलती नहीं होती बल्कि कुदरत की मार होती है. अब जब देर से गेहूं की खरीद शुरू भी हुई तो मंडी में उसे रखने की जगह नहीं. खुले में गेहूं रखने से भीग गया जिसके लिए न तो आढ़ती जिम्मेदार है और न ही किसान. इसके लिए मंडी प्रशासन पूरी तरह से जिम्मेदार है.
किसान ने कहा, अगर मंडी में समय से गेहूं की खरीद होती, समय से गेहूं का उठान हो जाता तो आज ये हालत नहीं होती. अगर समय से गेहूं खरीदी हो गई रहती और उसे सुरक्षित जगह पकड़ दी गई रहती तो आज बारिश से भीगने और खराब होने का खतरा नहीं रहता. प्रदेश में 18 तारीख से थोड़ी-थोड़ी बारिश शुरू हुई है. अगर उससे पहले गेहूं की खरीद हो जाती और उसका उठान हो जाता तो आज किसानों का इतना बड़ा नुकसान नहीं होता.
ये भी पढ़ें: Weather Update : चिलचिलाती गर्मी से मिलेगी राहत, इन राज्यों में आज होगी बारिश
किसान ने कहा, अगर मंडी में ड्रेनेज की सही व्यवस्था होती तो गेहूं में पानी नहीं लगता और उसके सड़ने का खतरा नहीं होता. लेकिन सरकार इसका ठीकरा आढ़तियों और किसानों पर फोड़ेगी जो कि ठीक नहीं है. सरकार ने जिन लोगों को गेहूं खरीद की ठेकेदारी दी है, गेहूं भीगने और खराब होने में उन लोगों का कसूर है. सरकार को उन लोगों से हर्जाना वसूलना चाहिए. एक और किसान ने कहा कि इश बार बारिश से गेहूं का भारी नुकसान है क्योंकि सरकार ने जिन लोगों को ठेकेदारी दी है, उन्होंने समय पर गेहूं का उठान नहीं किया और गेहूं भीग गया.