'फसल नुकसान पर मिले 50 हजार रुपये प्रति एकड़ मुआवजा', कुमारी शैलजा ने CM नायब सैनी से की मांग

'फसल नुकसान पर मिले 50 हजार रुपये प्रति एकड़ मुआवजा', कुमारी शैलजा ने CM नायब सैनी से की मांग

Haryana Crop Compensation: कांग्रेस नेता कुमारी शैलजा ने हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से बाढ़ और जलजमाव से प्रभावित किसानों के लिए प्रति एकड़ 50,000 रुपये मुआवजे की मांग की. उन्होंने स्थायी तटबंध और जलनिकासी प्रणाली बनाने की भी सिफारिश की ताकि भविष्य में फसल नुकसान न हो.

Congress leader and Lok Sabha MP Kumari SeljaCongress leader and Lok Sabha MP Kumari Selja
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Sep 19, 2025,
  • Updated Sep 19, 2025, 8:01 PM IST

कांग्रेस की सीनियर लीडर और सिरसा सांसद कुमारी शैलजा ने हरियाणा सरकार से हाल ही में हुई बाढ़ और जलजमाव से प्रभावित किसानों के लिए विशेष मुआवजा पैकेज की घोषणा करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए और किसानों को राहत देने के लिए अलग से मुआवजा पैकेज जारी करना चाहिए. शैलजा ने किसानों के लिए प्रति एकड़ 50 हजार रुपये की मांग का समर्थन किया. उन्‍होंने कहा कि इस बार मॉनसून और भारी बारिश के कारण फसलों को व्यापक नुकसान हुआ है. बाढ़-जलभराव की वजह से खासकर धान की खेती पर असर पड़ा है.

'इन जिलों में धान फसल को ज्‍यादा नुकसान'

शैलजा ने कहा कि हरियाणा के कई जिले- करनाल, कुरुक्षेत्र, कैथल, अंबाला, जींद, यमुनानगर, पानीपत, सिरसा और सोनीपत इसमें शामिल हैं, जो धान उत्पादन के लिए प्रसिद्ध हैं. इनमें करनाल विशेष रूप से बासमती धान के उत्पादन के लिए जाना जाता है और इसे ‘धान का कटोरा’ कहा जाता है. कुरुक्षेत्र और कैथल भी बासमती और सामान्य धान उत्पादन में महत्वपूर्ण जिले हैं, जबकि अंबाला और यमुनानगर में भी धान बड़े पैमाने पर उगाई जाती है. सिरसा में भी धान की खेती व्यापक रूप से की जाती है, जहां डायरेक्ट-सीडिंग तकनीक का इस्‍तेमाल किया जाता है.

इस साल धान की उपज घटी: कुमारी शैलजा

उन्होंने बताया कि इस वर्ष किसानों की स्थिति गंभीर है, क्योंकि खेत लंबे समय तक जलमग्न रहे और इससे धान की पैदावार प्रभावित हुई है. अनाज छोटे और काले हो गए हैं, जिससे गुणवत्ता पर असर पड़ा है और पूसा बासमती 1509 किस्म की कीमत और उत्पादन दोनों को लेकर किसान चिंतित हैं. इस साल धान की पैदावार पिछले साल की तुलना में काफी कम हो रही है. पहले उपज प्रति एकड़ लगभग 30 क्विंटल थी, जबकि अब यह 20-25 क्विंटल तक घट गई है और कुछ जिलों में यह 15 क्विंटल तक पहुंच गई है.

कांग्रेस नेत्री ने हिसार में गांवों का दौरा किया

शैलजा ने हाल ही में हिसार-ड्रेन के आसपास के गांवों का दौरा किया और जलजमाव और बाढ़ से हुए नुकसान को देखा. उन्होंने 15 सितंबर को हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को पत्र लिखकर स्थायी समाधान की मांग की. उन्होंने बताया कि हिसार-घग्गर ड्रेन के टूटने और भारी बारिश के कारण हजारों एकड़ फसल, विशेषकर धान, कपास और बाजरा, बर्बाद हो गई है. कई गांवों को खाली करना पड़ा और कुछ स्थानों पर घरों को भी नुकसान हुआ है.

'सब्ज्यिों की फसल जलमग्‍न हुई'

शैलजा ने कहा कि किसानों को वित्तीय नुकसान हुआ है और वे सरकार से मुआवजे की मांग कर रहे हैं. जिला प्रशासन जल निकासी और मरम्मत कार्य कर रहा है, लेकिन किसानों को अब भी राहत की जरूरत है. सब्जियों की फसल भी जलमग्न हो गई है. गंगवा जैसे गांवों में सैकड़ों घर खाली किए गए और कुछ घर भी प्रभावित हुए. इस बार भारी बारिश और ड्रेन की क्षमता से अधिक जल प्रवाह ने खेतों और गांवों में पानी भर दिया, जिससे व्यापक जलजमाव हुआ.

50 हजार प्रति एकड़ मुआवजे की मांग

उन्होंने कहा कि कि समय पर ड्रेन की सफाई न होने के कारण कचरा जमा हो गया, जिसने पानी के प्रवाह में बाधा डाली और तटबंधों को कमजोर किया. किसान संगठनों की मांग है कि प्रत्येक एकड़ पर 50,000 रुपये का मुआवजा दिया जाए, जो उचित है. शैलजा ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि ड्रेन के दोनों किनारों पर मजबूत तटबंध और स्थायी जलनिकासी प्रणाली बनाई जाए, ताकि भविष्य में किसानों को इस तरह की समस्याओं का सामना न करना पड़े.

उन्होंने कहा कि अगर ये उपाय किए जाएं तो किसानों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी और कृषि उत्पादन को नुकसान से बचाया जा सकेगा. इस समय किसान अपने खेतों और फसलों की सुरक्षा के लिए अत्यंत चिंतित हैं और सरकारी सहायता की प्रतीक्षा कर रहे हैं.

कुमारी शैलजा ने कहा कि राज्य सरकार को तुरंत मुआवजा राशि जारी करनी चाहिए और स्थायी समाधान के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए. उन्होंने कहा कि इस प्रकार की आपदाओं से निपटने के लिए मजबूत और दीर्घकालिक योजनाओं की आवश्यकता है, ताकि किसानों का आर्थिक नुकसान कम हो और वे भविष्य में आत्मनिर्भर रह सकें. (पीटीआई)

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