
गुजरात के अमरेली जिले में बेमौसम बारिश और सरकारी नीतियों से परेशान किसानों ने गुरुवार को अपना गुस्सा जाहिर करते हुए मूंगफली की फसल जला दी. सावरकुंडला तालुका के शांतिनगर और जबल गांवों में किसानों ने खेतों में लगी मूंगफली की क्यारियों को आग के हवाले कर सरकार के खिलाफ विरोध दर्ज कराया. किसानों का कहना है कि लगातार हो रही बारिश से उनकी मेहनत पर पानी फिर गया है, जबकि सरकारी मदद और बाजार से उन्हें कोई राहत नहीं मिल रही.
शांतिनगर गांव के किसान मुकेश भेसनिया ने बताया कि उन्होंने 10 बीघा में मूंगफली की बुवाई की थी, जिस पर लगभग 90 हजार रुपये खर्च हुए. लेकिन, बेमौसम बारिश से पूरी फसल खराब हो गई. उन्होंने कहा कि सरकार ने भले ही मूंगफली का समर्थन मूल्य 125 मन घोषित किया हो, लेकिन व्यापारी इस कीमत पर खरीदने को तैयार नहीं हैं. खराब फसल जानवरों के लिए भी ज़हरीली हो चुकी है, इसलिए मजबूर होकर हमने मूंगफली जला दी.
किसानों का कहना है कि अब उनकी कटाई का खर्च उठाने की स्थिति भी नहीं बची है. बारिश के कारण खेतों में पानी भर गया है और मूंगफली सड़ चुकी है. किसान भेसनिया ने कहा, “मैंने पहले ही दोगुना खर्च कर दिया है. अब फिर से खेत तैयार करने और अगली फसल बोने के लिए पैसे चाहिए. ऐसे में अगर सरकार मदद नहीं करती है तो किसान कर्ज में डूब जाएगा.”
इसी तरह गांव के एक और किसान मावजीभाई कनानी ने भी यही दर्द बयां किया. उन्होंने कहा कि सरकार केवल समर्थन मूल्य घोषित कर अपनी जिम्मेदारी से मुक्त नहीं हो सकती. जरूरत है कि प्रभावित किसानों को तुरंत मुआवजा दिया जाए, ताकि वे अगली फसल बो सकें.
किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने जल्द राहत पैकेज की घोषणा नहीं की तो वे बड़े पैमाने पर आंदोलन करेंगे. अमरेली में लगातार हो रही बारिश से सैकड़ों किसानों की मूंगफली की फसल बर्बाद हो चुकी है. क्षेत्र के किसान सरकार की मदद की उम्मीद में हैं.
इधर, गुजरात में किसानों की कर्ज माफी की मांग को लेकर कांग्रेस ने 6 नवंबर से ‘किसान जन आक्रोश यात्रा’ की शुरुआत सोमनाथ से की, जो 13 नवंबर को द्वारका में खत्म होगी. 800 किमी की यह यात्रा सौराष्ट्र के उन इलाकों से गुजरेगी, जहां बेमौसम बारिश से मूंगफली, कपास और तिल जैसी फसलें बर्बाद हुई हैं.
कांग्रेस ने किसानों के लिए पूर्ण कर्ज माफी, त्वरित मुआवजा, सरल फसल बीमा प्रक्रिया और विशेष राहत पैकेज की मांग की है. तुषार चौधरी और शक्तिसिंह गोहिल समेत कई नेता प्रभावित इलाकों का दौरा कर किसानों की समस्याएं जान रहे हैं. (फारूकभाई दादामियां सैयदकादरी की रिपोर्ट)