Bihar News: पांच साल में गुड़ उद्योग को मिलेगी नई उड़ान, गन्ने की खेती का बढ़ेगा रकबा

Bihar News: पांच साल में गुड़ उद्योग को मिलेगी नई उड़ान, गन्ने की खेती का बढ़ेगा रकबा

बिहार में आने वाले पांच साल के दौरान गुड़ उद्योग को बढ़ाने के लिए खोली जाएंगी लगभग 405 इकाइयां. चीनी मिल को लेकर सरकार देगी अनुदान. चतुर्थ रोडमैप के तहत साढ़े तीन लाख हेक्टेयर गन्ना की खेती बढ़ाने का लक्ष्य. लेकिन खेती में बढ़ते खर्च को देख कई किसान खेती में कर रहे बदलाव.  

Sugarcane production reduced due to droughtSugarcane production reduced due to drought
अंक‍ित कुमार स‍िंह
  • PATNA,
  • Jan 25, 2024,
  • Updated Jan 25, 2024, 2:14 PM IST

बिहार की राजनीति में इन दिनों काफी हलचल है. इन हलचलों के बीच बीते दिनों गन्ना उद्योग विभाग के मंत्रालय में भी काफी उथल पुथल देखने को मिली. जहां राज्य की सरकार ने शिक्षा मंत्री रहे चंद्रशेखर को गन्ना उद्योग विभाग की जिम्मेदारी दी. वहीं इन जिम्मेदारी के बीच तीन लाख हेक्टेयर में हो रही गन्ने की खेती को बढ़ाना भी मंत्री चंद्रशेखर के लिए एक बड़ी चुनौती होगी. पिछले साल चतुर्थ कृषि रोडमैप की शुरुआत हुई. इसमें गन्ना उद्योग विभाग के द्वारा पांच साल के दौरान किए जाने वाले कार्यों को चार पेज में बताने का प्रयास किया गया है. अगर इन चार पेजों में मुख्य कुछ बिंदुओं पर प्रकाश डाला जाए तो उनमें चीनी मील, गुड़ उद्योग को बढ़ावा देने की बात का ज़िक्र विशेष रूप से किया गया है. 

बता दें कि राज्य में कई किसान ऐसे भी हैं, जिन्होंने अधिक खर्च, मजदूरी सहित चालान की बढ़ती समस्या को देखते हुए खेती का रकबा कम किया है. वहीं गन्ने की खेती से नाता तोड़ धान और गेहूं की खेती में रुचि दिखा रहे हैं. लेकिन सरकारी आंकड़ों पर नजर डाला जाए तो 2012 के दौरान गन्ने की खेती 2.49 लाख हेक्टेयर में हुई थी. वहीं चतुर्थ रोडमैप लागू होने से पहले तीन लाख हेक्टर पहुंच चुकी है. इसके साथ ही 2028 तक साढ़े तीन लाख हेक्टेयर करने का प्रस्ताव है जबकि राज्य में कई चीनी मिलें फिर से शुरू होने के लिए सरकारी घोषणा के इंतजार में हैं.

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बिहार के इन जिलों में होती है गन्ने की खेती

वैसे बिहार के कई जिलों में गन्ने की खेती होती है. लेकिन विशेष रूप से उत्तरी बिहार के जिलों में सबसे अधिक गन्ने की खेती की जाती है. इनमें सीतामढ़ी, समस्तीपुर, भागलपुर, दरभंगा, गोपालगंज, पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, सहरसा और पूर्णिया जिला शामिल हैं. इसके अलावा पटना, भोजपुर और गया में भी गन्ने की खेती की जाती है. वहीं सूबे के कैमूर जिला, रोहतास, बक्सर जिले के कुछ भागों में भी बड़े पैमाने पर गन्ने की खेती होती थी. लेकिन बीते दो दशक से नहर की सुविधा सहित सिंचाई की बेहतर सुविधा होने से इन इलाकों में अब गन्ने की जगह धान और गेहूं की खेती हो रही है. 

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गुड़ उद्योग के जरिये रोजगार बढ़ाने की योजना

बिहार सरकार आने वाले पांच साल के दौरान गुड़ उद्योग के माध्यम से करीब 10,775 लोगों को रोजगार देने की बात कह रही है. साथ ही प्रशिक्षण के जरिये किसानों को गन्ने की खेती से आय बढ़ाने की योजना है. इंक्यूबेशन सेंटर की स्थापना के माध्यम से किसानों और उद्यमियों को प्रशिक्षण और जूस विश्लेषण प्रयोगशाला का निर्माण करना प्राथमिकताओं में शामिल है. रोजगार का बेहतर विकल्प बने इसके लिए गुड़ उद्योग प्रोत्साहन कार्यक्रम के तहत विभिन्न क्षमताओं वाली लगभग 405 इकाइयां स्थापित करने की योजना है. इनमें 70 प्रतिशत गुड़ इकाई गैर चीनी मिल क्षेत्रों में और तीस प्रतिशत चीनी मिल क्षेत्र में स्थापित की जाएंगी. इस कार्यक्रम पर सरकार करीब 6325 लाख रुपये व्यय करेगी. 

नई चीनी मिल शुरू करने पर अनुदान

बिहार में हाल के समय में करीब 9 चीनी मिलें कार्यरत हैं, जो पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, गोपालगंज और समस्तीपुर में स्थित हैं जहां कुछ मिलों में इथानॉल उत्पादन भी हो रहा है. वहीं सूबे में 2500TCD क्षमता की नई चीनी मिल और 10MW क्षमता के कोजेन शुरू करने के लिए और 5MW क्षमता की विस्तार और 1500TCD क्षमता विस्तार पर अधिकतम 1500 लाख रुपये अनुदान मिलेगा. लेकिन हाल के समय में कई किसान गन्ना लागत की तुलना में कम दाम मिलने से नाराज हैं. हालांकि बीते दिनों सरकार ने गन्ने के दाम में प्रति क्विंटल बीस रुपये का इजाफा किया है. इससे करीब तीन लाख किसानों को फायदा मिलने की उम्मीद है.

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