गर्मी के बढ़ते तापमान के बीच बिहार की शाही लीची बाजार में पहुंच रही है. इस दौरान फलों के कारोबार से जुड़ी कई कंपनियां मुजफ्फरपुर के लीची बागानों में किसानों से फसल खरीदने में जुटी हैं. इसी कड़ी में पहली बार एग्री सप्लाई चेन स्टार्टअप कंपनी सुपरप्लम ने मंगलवार को मुजफ्फरपुर की लीची को समुद्री मार्ग से दुबई भेजी है, जो 15 दिनों में ताजगी और गुणवत्ता के साथ वहां पहुंचेगी, नहीं तो इससे पहले तक सिर्फ हवाई मार्ग से ही लीची एक्सपोर्ट की जा रही थी. हाल ही में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लीची की शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए वैज्ञानिकों से शोध करने की बात कही थी. यह स्टार्टअप कंपनी लीची की गुणवत्ता बनाए रखते हुए विभिन्न देशों में इसका निर्यात कर रही है.
जलवायु परिवर्तन के बीच लीची की शेल्फ लाइफ बढ़ाना एक बड़ी चुनौती है. कंपनी के मुख्य प्रबंधक बसंत झां कहते हैं कि पिछले पांच वर्षों से पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, बिहार और पंजाब जैसे लीची उत्पादक राज्यों में किसानों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. कंपनी न केवल किसानों से सीधे लीची खरीद रही है, बल्कि गुणवत्ता सुधारने और बर्बादी कम करने के लिए लैटेस्ट तकनीकों का इस्तेमाल भी कर रही है.
उन्होंने बताया कि किसानों को कीटनाशकों का इस्तेमाल कम करने के लिए पर्यावरण-अनुकूल समाधान प्रदान किए गए हैं. कंपनी ने विदेशी एग्रोनॉमी और पोस्ट-हार्वेस्ट तकनीकों को अपनाकर 25 साल से अधिक पुराने बागानों की चुनौतियों का समाधान किया है, जो जलवायु परिवर्तन के कारण गुणवत्ता बनाए रखने में कठिनाई का सामना कर रहे थे.
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मुख्य प्रबंधक के अनुसार, पहले लीची की कम शेल्फ लाइफ और सीमित हवाई लॉजिस्टिक्स के कारण लंबी दूरी तक निर्यात करना मुश्किल था. अब आधुनिक कोल्ड चेन और डिजिटल रूप से प्रबंधित सप्लाई चेन ने इसे देश के हर कोने में सड़क मार्ग से पहुंचाना संभव बनाया है.
बिहार की लीची अब यूरोप, दुबई और कनाडा जैसे देशों में निर्यात की जा रही है. वहीं,पहली बार समुद्री मार्ग से दुबई लीची भेजी गई है, जो 15 दिनों में ताजगी और गुणवत्ता के साथ वहां पहुंचेगी. अब तक लीची का निर्यात हवाई मार्ग से होता था, लेकिन इस बार कंपनी ने मुंबई से दुबई के लिए समुद्री मार्ग का इस्तेमाल किया है.
सुपरप्लम के अधिकारी बताते हैं कि कंपनी निर्यात के लिए फार्मों को सर्टिफाई कराने में वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है और खेती के संचालन में सुधार कर रही है. पिछले पांच वर्षों के निवेश से बेहतर गुणवत्ता, अधिक उत्पादन और 40% बर्बादी में कमी आई है. रेफ्रिजरेटेड ट्रकों के जरिए लीची दक्षिण और पश्चिम भारत में बिना किसी हानिकारक रसायन या सल्फाइट्स के ताजा पहुंच रही है. हर पैक में QR कोड होता है, जिससे उपभोक्ता यह जान सकते हैं कि उनका फल किस फार्म से आया है.