Hybrid Fodder : यूपी की ये घास अपने पशुओं के लिए उगायेंगे अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के किसान

Hybrid Fodder : यूपी की ये घास अपने पशुओं के लिए उगायेंगे अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के किसान

दुनिया के वे तमाम देश जो कल तक Modern Farming Technology के मामले में काफी आगे थे, आज इस मामले में भारत की उन्नत खेती की तकनीक का लोहा मानने को मजबूर हैं. भारत में उन्नत बीज बनाने के मामले में ही नहीं, बल्कि पशुओं के लिए उन्नत चारे की ऐसी किस्में विकसित हुई हैं, जिन्हें अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे विकसित देशों ने अपनाया है.

Hybrid Fodder Hybrid Fodder
न‍िर्मल यादव
  • Jhansi,
  • Jan 13, 2024,
  • Updated Jan 13, 2024, 8:47 AM IST

भारतीय वैज्ञानिकों ने Climate Change के अनुकूल फसलों की उन्नत किस्में विकसित करने के साथ Fodder Research को भी व्यापक पैमाने पर प्रोत्साहन दिया है. किसानों को पशु धन के लिए उन्नत चारा मुहैया कराकर Dairy से आय के अतिरिक्त साधन मुहैया कराए जा रहे हैं. इसके लिए यूपी में झांसी स्थित चारा अनुसंधान संस्थान (Grassland) में पशुओं के लिए चारे की उन्नत किस्में विकसित की जाती हैं. जिससे गोवंश सहित अन्य पशुओं की सेहत बेहतर हो और किसानों को पशु धन से ज्यादा दूध मिल सके. ग्रासलैंड में वैज्ञानिकों ने किसानों द्वारा पालतू पशुओं को सबसे ज्यादा खिलाई जाने वाली बरसीम और जई की घास की नई किस्में विकसित की हैं. इनकी उपयोगिता से प्रभावित हाेकर अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के किसान भी इन दोनों घास के बीज मंगा रहे हैं.

कई गुना लाभकारी है नई किस्में

ग्रासलैंड के वैज्ञानिकों ने Berseem और जई यानी Oats की जो उन्नत तकनीक विकसित की है, वह सामान्य किस्म की तुलना में दुधारू पशुओं के लिए कई गुना ज्यादा लाभकारी है. ग्रासलैंड की Seeds Production Unit के नोडल अध‍िकारी डॉ राजीव अग्रवाल ने बताया कि संस्थान में बरसीम और ओट्स की उन्नत प्रजातियों को कई साल के शोध के बाद विकसित किया गया है. इससे किसानों और मवेशियों का लाभ होगा.

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कम पानी में लग जाएगी

डाॅ अग्रवाल ने बताया कि आमतौर पर बरसीम और जई उगाने के लिए किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी की जरूरत होती है. ग्रासलैंड द्वारा विकसित नई किस्मों को गर्म वातावरण के अलावा किसी भी तरह की विपरीत जलवायु में उगाया जा सकता है. साथ ही इसमें सिंचाई के लिए बहुत कम जरूरत होगी. इतना ही नहीं इसकी उपज भी सामान्य किस्म की तुलना में लगभग दोगुनी होती है.

डॉ अग्रवाल ने बताया कि इन दोनों हाइब्रिड किस्मों को ग्रासलैंड के Research Farm में रखी गई भदावरी नस्ल की 140 भैंसों को एक साल तक खि‍लाया गया. इसकी रिपोर्ट में उत्साहजनक परिणाम देखने को मिले. रिपोर्ट के मुताबिक इस घास को खाने के बाद भैंस में Fat Level बढ़ गया. इससे इनकी दूध देने की क्षमता भी बढ़ी है. इसमें Solid Not Fat (SNF) की मात्रा बहुत ज्यादा पाए जाने के कारण यह दुधारू पशुओं के लिए Energy Booster साबित हुई ह‍ै.

उन्होंने बताया कि दूध से दो खास प्रोडक्ट खोया और घी मिलते हैं. नए चारे को खाने वाले मवेशी में एसएनएफ अधिक बनता है, जिससे दूध में प्रोटीन और फैट की मात्रा बढ़ जाती है. नतीजतन, इनके दूध से खोया और घी ज्यादा मिलता है.

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इन कंपनियों ने किया संपर्क

संस्थान के निदेशक डॉ अमरेश चंद्रा ने बताया कि हाइब्रिड बरसीम और जई के उत्साहजनक परिणाम मिलने के बाद देश विदेश की कंपनियों ने इनका बीज खरीदने के लिए करार किया है. डॉ चंद्रा ने बताया कि गुजरात की कंपनी Alamdar Seeds और आंध्र प्रदेश की कंपनी Foragen Seeds ने ग्रासलैंड द्वारा विकसित चारे की इन दोनों किस्मों के बीज को सरकारी कीमत से 20 गुना ज्यादा कीमत पर खरीदने के लिए करार किया है.

इसके अलावा विदेशों में चारे के बीज का निर्यात करने वाली कंपनी Rumi Berseem Seeds और Advanta Seeds ने भी करार किया है. इन कंपनियों के माध्यम से अमेरिका, फिनलैंड, तुर्की और ऑस्ट्रेलिया सहित देशों ने इन घास के बीज मंगाने की पेशकश है. इन कंपनियों के साथ किए गए करार में यह शर्त भी रखी गई है कि बीज किसानों को बेचने वाले देश इसकी पैकिंग पर इनके उत्पादक संस्थान के रूप में ग्रासलैंड का नाम भी दर्ज करेंगे.

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