Meat Export: मीट एक्सपोर्ट बढ़ाने के लिए स्लॉटर हाउस में पशुओं की होगी ये खास जांच, पढ़ें डिटेल 

Meat Export: मीट एक्सपोर्ट बढ़ाने के लिए स्लॉटर हाउस में पशुओं की होगी ये खास जांच, पढ़ें डिटेल 

जानकारों की मानें तो कुछ वक्त पहले ही भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) की पहल पर एक नियम लागू किया गया है. इससे पहले हुए मीटिंग में स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग (DHR), ICMR  की ओर से महानिदेशक, भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार और डीडीजी (पशु विज्ञान) मौजूद थे. 

ICAS halal Meat CertificationICAS halal Meat Certification
नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • May 01, 2025,
  • Updated May 01, 2025, 1:22 PM IST

डेयरी प्रोडक्ट के साथ ही केन्द्र सरकार की पूरी कोशि‍श मीट एक्सपोर्ट को भी बढ़ाने की है. लेकिन मीट एक्सपोर्ट की राह में जूनोटिक बीमारियां एक बड़ा रोड़ा बनी हुई हैं. पशुओं से इंसानों को होने वाली बीमारियों को जूनोटिक बीमारी कहा जाता है. एक्सपर्ट की मानें तो 70 फीसद बीमारियां ऐसी हैं जो पशुओं से इंसानों को होती हैं. हालांकि इस तरह की बीमारियों से निपटने के लिए केन्द्र सरकार नेशनल वन हैल्थ मिशन (NOHM) चला रही है. एक्सपर्ट का ये भी कहना है कि मीट का इस्तेमाल करने पर खासतौर से खुरपका-मुंहपका (एफएमडी) और ब्रेसोलिसिस बीमारी का खतरा बना रहता है. 

इसी खतरे के चलते बहुत सारे देश चाहते हुए भी भारत से मीट इंपोर्ट नहीं करते हैं. इस खतरे से निपटने के लिए ही स्लॉटर हाउस के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं. पशु भैंस हो या भेड़-बकरी, स्लॉटरिंग से पहले उनकी खासतौर पर दो जूनोटिक बीमारी एफएमडी और ब्रेसोलिसिस की जांच की जाएगी. और जांच में सही पाए जाने के बाद ही पशु काटे जाएंगे.

 सरकार की इस पहल से बढ़ेगा मीट एक्सपोर्ट

एक्सपर्ट की मानें तो अभी हमारे देश से जितना मीट एक्सपोर्ट होता है वो मात्रा बहुत कम है. मात्रा का ये आंकड़ा और भी बढ़ सकता है. भारतीय बफैलो मीट को दुनियाभर के देशों में पसंद किया जाता है. लेकिन खासतौर पर भैंसों में खुरपका-मुंहपका (एफएमडी) और ब्रेसोलिसिस बीमारी के चलते बहुत सारे देश चाहते हुए भी भारत से मीट नहीं खरीदते हैं. अगर सरकार की इस कोशि‍श के बाद मीट एक्सपोर्टर जब खरीदारों को ये सर्टिफिकेट देने में कामयाब हो जाएंगे कि पशु को काटने से पहले उसके जूनोटिक रोगों की जांच कर ली गई है और काटा गया पशु पूरी तरह से बीमारी रहित है, इससे एक्सपोर्ट के ऑर्डर बढ़ने लगेंगे. अभी खासतौर पर एफएमडी और ब्रेसोलिसिस बीमारी के चलते यूरोपिय देश भारत से मीट नहीं खरीदते हैं. 

क्या हैं और कैसे फैलती हैं जूनोटिक बीमारियां

एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो पशुओं से इंसानों में होने वालीं बीमारियों को जूनोटिक का जाता है. ये बीमारियां ज्यादातर कीट-पतंगों से होती हैं. इसमे सबसे बड़ा रोल मच्छर का है. कोविड, स्वाइन फ्लू, एशियन फ्लू, इबोला, जीका वायरस, एवियन इंफ्लूंजा समेत और भी न जानें ऐसी कितनी महामारी हैं जो पशु-पक्षियों से इंसानों में आई हैं. इसकी पूरी एक लम्बी फेहरिस्त है. हालांकि एक रिपोर्ट की मानें तो 1.7 मिलियन वायरस जंगल में फैले होते हैं. इसमे से बहुत सारे ऐसे हैं जो जूनोटिक हैं. जूनोटिक के ही दुनिया में हर साल एक बिलियन केस सामने आते हैं और इससे एक मिलियन मौत हो जाती हैं. 

ये भी पढ़ें- Animal Care: मई से सितम्बर तक गाय-भैंस के बाड़े में जरूर करें ये खास 15 काम, नहीं होंगी बीमार  

ये भी पढ़ें-Artificial Insemination: अप्रैल से जून तक हीट में आएंगी बकरियां, 25 रुपये में ऐसे पाएं मनपसंद बच्चा

 

MORE NEWS

Read more!