‘देश में सुनियोजित तरीके से डेयरी प्रोडक्ट के खिलाफ एजेंडा चलाया जा रहा है. युवाओं को दूध पीने से रोका जा रहा है. साजिशन बाजार में खराब क्वालिटी का दूध लाया जा रहा है. इतना ही नहीं ऐनालॉग डेयरी प्रोडक्ट को बाजार में लाने के लिए प्रचार-प्रसार करने के साथ ही डेयरी प्रोडक्ट का दुष्प्रचार किया जा रहा है. बाजार में डेयरी प्रोडक्ट की नकल करते हुए प्लांट बेस्ड ऐनालॉग डेयरी प्रोडक्ट लाए जा रहे हैं. डेयरी प्रोडक्ट की तुलना में ये सस्ते होते हैं, लेकिन क्वालिटी के मामले में ये कमजोर हैं.’ ऐनालॉग डेयरी प्रोडक्ट से लड़ने के लिए अमूल इस मामले में लगातार अभियान चला रहा है.
ये कहना है केन्द्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्रालय की सेक्रेटरी अलका उपाध्याय का. तीन मार्च को आनंद, गुजरात में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान बोलते हुए उन्होंने ये बात कही. गौरतलब रहे नेशनल डेयरी डवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) की ओर से आनंद में 'द इंटरनेशनल कमेटी फॉर एनिमल रिकॉर्डिंग (आईसीएआर) और इंटरनेशनल डेयरी फेडरेशन (आईडीएफ)/इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर स्टैंडर्डाइजेशन (आईएसओ) एनालिटिकल वीक 2025' का आयोजन किया जा रहा है.
सेक्रेटरी अलका उपाध्याय ने कांफ्रेंस के दौरान ये भी कहा कि आज देश में दूध उत्पादन लगातार बढ़ रहा है. दूध उत्पादन के मामले में वर्ल्ड लेवल पर हम पहले नंबर पर हैं. हमारी तैयारी उस लेवल की है कि कभी भी जरूरत के हिसाब से और उत्पादन बढ़ाया जा सकता है. लेकिन अब जरूरत मिल्क एक्सपोर्ट की है. हमारी कोशिश एक्सपोर्ट करने की होनी चाहिए. एक्सपोर्ट की राह में आने वाली रुकावटों को दूर करने के लिए ही हम प्राथमिकता के आधार पर नौ राज्यों में एफएमडी-मुक्त (खुरपका और मुंहपका रोग) जोन बना रहे हैं, जहां इस बीमारी का असर बहुत कम यानि न के बराबर है. तैयारियों के हिसाब से हम साल 2028 तक ये जोन बना लेंगे.
सेक्रेटरी अलका उपाध्याय ने सहकारी डेयरी आंदोलन को मजबूत करने में एनडीडीबी के योगदान को स्वीकार करते हुए कहा कि आज एनडीडीबी ने आठ करोड़ छोटे और सीमांत किसानों की जिंदगी को बदल दिया है. वहीं भारत के डेयरी विकास पर चर्चा करते हुए कहा कि प्रति व्यक्ति प्रति दिन दूध की उपलब्धता बढ़ी है और डेयरी अब कृषि जीवीए में 30 फीसद का योगदान देती है. हालांकि, मिलावट, असंगठित डेयरी प्रथाओं और दूध की खपत पर वैश्विक गलत सूचना अभी भी चुनौतियां बनी हुई हैं. उन्होंने विशेष रूप से एएमआर और नकली डेयरी विकल्पों जैसी चिंताओं के बीच दूध की गुणवत्ता, पता लगाने की क्षमता और उपभोक्ता विश्वास को बढ़ाने की जरूरत पर दिया.
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