Street Dog Issue: आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मिलेगी राहत, देश में 36 फीसद मौत रेबीज से 

Street Dog Issue: आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मिलेगी राहत, देश में 36 फीसद मौत रेबीज से 

Street Dog Issue आक्रामक होती कुत्तों की संख्या पर नियंत्रण पाने के लिए ही सुप्रीम कोर्ट ने उनकी नसबंदी कराने का आदेश जारी किया है. हालांकि मंत्रालय की ओर से कुत्तों की नसबंदी कार्यक्रम चल रहा है. लेकिन उसे और गति देने के लिए ये आदेश आया है. साल 2021 से नेशनल रेबीज कंट्रोल प्रोग्राम भी चलाया जा रहा है. 

Stray dogStray dog
नासि‍र हुसैन
  • Delhi,
  • Nov 08, 2025,
  • Updated Nov 08, 2025, 7:39 AM IST

Street Dog Issue सात नवंबर को सुप्रीम कोर्ट आवारा कुत्तों के मामले में एक बड़ा आदेश दिया है. आदेश के मुताबिक कुत्तों की नसबंदी कराई जाएगी. नसबंदी कराने के बाद उन्हें वापस उसी जगह पर छोड़ दिया जाएगा. नसबंदी भी एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर पर की जाएगी. नसबंदी के लिए सेंटर पर नियमों के मुताबिक सभी सुविधाओं का होना जरूरी है. इतना ही नहीं स्कूल-कॉलेज और अस्पतालों के आसपास से कुत्तों को हटाया जाएगा. जिन स्कूल-कॉलेज और अस्पतालों में कुत्ते अंदर घुसते हैं वहां तारबंदी कराने का आदेश दिया गया है. कोर्ट के इस आदेश को बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है. 

क्योंकि आजकल बच्चा हो या बूढ़ा, महिला हो या पुरूष आजकल सभी कुत्तों का शिकार हो रहे हैं. गली-मोहल्ले और कलोनियों में कुत्तों का झुंड पहले अकेले पा कर घेर लेता है और फिर हमला कर जान ले रहा है. नोएडा-ग्रेटर नोएडा, अलीगढ़, सीतापुर, बिजनौर आदि जगहों पर कुछ इसी तरह के हमले हुए. हाल ही में पशुपालन मंत्रालय ने जानकारी दी है कि विश्व में रेबीज से होने वाली मौतों की 36 फीसदी मौत भारत में हो रही हैं. 

एक साल में 22 लाख लोगों को काटा 

केन्द्रीय पशुपालन मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2022 में कुत्तों द्वारा इंसानों को काटने के 22 लाख केस सामने आए हैं. साल 2021 के मुकाबले कुत्तों द्वारा काटने के मामले में 2022 में बढ़ोतरी हुई है. 2021 में 17 लाख मामले सामने आए थे. जबकि 2022 में 21.80 लाख मामले दर्ज किए गए हैं. लेकिन साल 2018 से 2020 तक के आंकड़ों पर नजर डाले तो वो नंबर बहुत ज्यादा है. 2018 में 75 लाख, 2019 में 72 लाख और 2020 में 46 लाख केस दर्ज किए गए थे.  

गली-मोहल्ले के कुत्ते के लिए करें ये चार काम 

डॉग एक्सपर्ट और गडवासु, लुधि‍याना के डॉ. अश्वनी कुमार शर्मा का कहना है कि खासतौर पर गर्मी के मौसम में कुत्ते बहुत आक्रामक हो जाते हैं. उसकी वजह ये है कि 40 से 45 डिग्री तापमान होने पर उनकी यह गर्मी और बढ़ जाती है. इंसानों की तरह से कुत्तों की गर्मी पसीने की तरह से नहीं निकलती है. मुंह के रास्ते ली जाने वाली सांस से वो अपने शरीर की गर्मी को मेंटेन करते हैं. जब गर्मी बहुत बढ़ जाती है तो ऐसा करने में उन्हें बहुत तकलीफ होती है. इसके चलते उनके अंदर चिढ़ चिढ़ापन आ जाता है. 
आसपास घने पेड़ न होने के चलते उन्हें छांव भी नहीं मिल पाती है. घर के आसपास ठंडी जगह में हम उन्हें बैठने नहीं देते हैं. कार के नीचे बैठें तो हम उन्हें मारने लगते हैं. ऐसे वक्त न तो उन्हें खाना ही मिल पाता है और ना ही पानी. ऐसा भी नहीं होता है कि कोई उनके बदन पर पानी डाल दे तो उन्हें कुछ राहत मिले. जागरुकता की कमी के चलते लोग गली के कुत्तों की परेशानी को समझ नहीं पाते हैं.

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