नारी गाय या सिरोही गाय गुजरात राज्य के बनासकांठा और साबरकांठा से उत्पन्न मवेशियों की एक शुद्ध भारतीय नस्ल है. नारी नाम ‘नार’ शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ है पहाड़. वहीं नारी या सिरोही नस्ल के मवेशी ज्यादातर गुजरात के बनासकांठा और साबरकांठा, जबकि राजस्थान के पाली और सिरोही जिले के आसपास के क्षेत्रों में पाए जाते हैं. इसके अलावा, नारी मवेशी दोहरे उद्देश्य वाली मवेशी नस्ल है यानी गायों को दूध उत्पादन के लिए पाला जाता है, जबकि बैलों को खेतों की जुताई और भारवाहक के लिए पाला जाता है. इस नस्ल के मवेशी काफी मजबूत होते हैं. दरअसल, इस नस्ल की गायों को जंगल में जानवरों से लड़ते और अपने बछड़ो को बचाते हुए देखा जाता है. कई बार अपने मालिक को वन्यजीव से मुठभेड़ में फंसा देख, यह वन्य जीव पर टूट पड़ती है. यदि इन पर वन्य जीव हमला करते हैं तो यह आवाज निकाल कर अन्य गायों को अपने पास बुला लेती है, जबकि सामान्यतः अन्य गायों की नस्लें दूर भाग जाती हैं.
अगर दूध उत्पादन क्षमता की बात करें तो नारी गाय या सिरोही गाय आमतौर पर 8 से 10 लीटर दूध रोजाना देती हैं. एनडीडीबी के अनुसार, नारी या सिरोही नस्ल की गायें एक ब्यान्त में औसतन 1647 लीटर तक दूध देती है, जबकि न्यूनतम 1118 लीटर और अधिकतम 2222 लीटर तक दूध देती है. ऐसे में आइए नारी गाय या सिरोही गाय की पहचान और विशेषताएं जानते हैं-
• प्रौढ़ गायों की ऊंचाई लगभग 120.9 सेमी. और प्रौढ़ बैलों की ऊंचाई 130.6 सेमी. होती है.
• गायों के शरीर की औसतन लंबाई 119.3 सेमी., जबकि बैलों की 129.2 सेमी. होती है.
• नारी या सिरोही गायों का वजन औसतन 250-280 किलोग्राम, जबकि बैलों का वजन 350-400 किलोग्राम होता है.
• गायों की ऊंचाई औसतन 120.9 सेमी., जबकि बैलों की ऊंचाई 130.6 सेमी होती है.
• नारी या सिरोही नस्ल की गायें एक ब्यान्त में औसतन 1647 लीटर तक दूध देती हैं.
• न्यूनतम 1118 लीटर और अधिकतम 2222 लीटर तक दूध देती हैं.
• लगभग चार साल पर प्रथम ब्यान्त की होती है.
• दूध में फैट 4.64 प्रतिशत पाया जाता है.
• दूध में फैट न्यूनतम 3.1 प्रतिशत और अधिकतम 8.3 प्रतिशत पाया जाता है.
• अधिकांश जानवरों और बैलों का रंग सफेद या भूरा-सफेद होता है और वे या तो सफेद, भूरे सफेद या काले होते हैं.
• नारी मवेशी दोहरे उद्देश्य वाली मवेशी नस्ल है.
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गाभिन पशुओं का अच्छे से ध्यान रखना चाहिए. दरअसल, अच्छा प्रबंधन करने से अच्छे बछड़े जन्म लेते हैं और दूध की मात्रा भी अधिक मिलती है. इसके अलावा, बछड़े को सिफारिश किए गए टीके लगवाएं और रहने के लिए उचित आवास की व्यवस्था करें.