Poultry Feed Issue आज पोल्ट्री का हाल दो कदम आगे और चार कदम पीछे वाला जैसा है. देश में आत्मनिर्भरता की बात की जा रही है, लेकिन पोल्ट्री के मामले में एक राज्य दूसरे राज्य पर निर्भर है. देश में कुल फीड उत्पादन छह करोड़ टन है. इसमे से करीब चार करोड़ टन से ज्यादाकी खपत पोल्ट्री में हो जाती है. मक्का और सोयामील फीड के मुख्य तत्व हैं. लेकिन आज बाजार में मक्का का क्या हाल है ये सबको पता है. ऐसे में बात हो रही है विकसित भारत 2047 की. इस मिशन में उत्पादन बढ़ेगा. उत्पादन बढ़ेगा तो कच्चे माल की जरूरत भी होगी. और कच्चे माल के रूप में अभी से हमारे पास फीड की कमी है. तो ऐसे में मुर्गियों को फीड कैसे मिलेगा.
अब सवाल है कि क्या कच्चा माल हमारे पास है. नई फसल में उम्मीद लगाई जा रही है कि चार से सवा चार करोड़ टन के आसपास मक्का मिलेगी. इसमे से 80 लाख से एक करोड़ टन मक्का इथेनाल में चली जाएगी. ऐसे में फीड की दिक्कत तो आएगी ही आएगी. ये कहना है कंपाउंड लाइव स्टॉक फीड मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (CLFMA) के प्रेसिडेंट दिव्य कुमार गुलाटी का. पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया (PFI) की लखनऊ में आयोजित 36वीं एजीएम के मौके पर उन्होंने ये बात कही है.
डीन, दुवासू और पूर्व ज्वाइंट कमिश्नर, एनिमल हसबेंडरी, डॉ. पीके शुक्ला का कहना है कि जब देश को जरूरत पड़ी तो गेहूं उत्पादन को बढ़ाया और उसे हरित क्रांति का नाम मिला. वहीं दूध उत्पादन को बढ़ाया तो वो श्वेत क्रांति कहलाई. वहीं साल 1950 से लेकर अब तक पोल्ट्री का 70 गुना उत्पादन बढ़ चुका है. लेकिन पोल्ट्री की इस कामयाबी को आज तक कोई नाम नहीं मिला है. हालांकि इसके लिए कोई और नहीं पोल्ट्री वाले खुद जिम्मेदार हैं. उन्होंने इस तरफ कभी सोचा ही नहीं. दूसरा ये कि आज देश में 5 करोड़ से ज्यादा बच्चे कुपोषण का शिकार हैं. लेकिन सिर्फ चावल देकर कुपोषण से नहीं निपटा जा सकता है. जरूरत इस बात की है कि पॉलिसी मेकर कुपोषण से लड़ने के लिए पोल्ट्री प्रोडक्ट को बढ़ावा दें.
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