एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) की समस्या से डेयरी ही नहीं मीट बाजार भी परेशान है. इसके चलते सबसे ज्यादा परेशानी डेयरी प्रोडक्ट और मीट एक्सपोर्ट में आ रही है. इस परेशानी के लिए पशुपालक, मछली पालक और मुर्गी पालकों को जिम्मेदार ठहराया जाता है. ऐसे आरोप लगाए जाते हैं कि पशुपालक गाय-भैंस, भेड़-बकरी और पोल्ट्री फार्म में मुर्गियों से ज्यादा प्रोडक्शन लेने के लिए एंटीबायोटिक्स का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल करते हैं. जिसका पशु-पक्षियों पर सीधा असर पड़ता है. और जब इन्हीं मछली-मुर्गियों को इंसान खाते हैं तो ये परेशानी उनके शरीर में भी होने लगती है.
डेयरी प्रोडक्ट के साथ भी कुछ ऐसा ही है. इसी वजह के चलते एनिमल प्रोडक्ट को एक्सपोर्ट करने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इसी से निपटने के लिए केन्द्रीय मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय एएमआर के बारे में खासतौर पर लाइव स्टॉक सेक्टर से जुड़े लोगों को जागरुक कर रहा है. इसके लिए मंत्रालय सोशल मीडिया पर एडवाइजरी भी जारी करता है. मंत्रालय का कहना है कि एएमआर से निपटने के लिए, संक्रमण नियंत्रण, स्वच्छ जल, स्वच्छता और टीकाकरण पर बहुत काम करने की जरूरत है.
बायो सिक्योरिटी एक्सपर्ट इब्ने अली का कहना है कि पशुओं और इंसानों के साथ ही एंटीबायोटिक दवाएं पर्यावरण के लिए भी बेहद खतरनाक होती हैं. होता ये है कि ज्यादा एंटीबायोटिक देने से जानवरों में एंटी माइक्रोबायल रेजिस्टेंस पैदा हो जाता है. एंटी माइक्रोबायल रेजिस्टेंस एक ऐसी स्टेज है जिसमें किसी बीमारी को ठीक करने के लिए जो दवा या एंटीबायोटिक दी जाती है वो काम करना बंद कर देती है. कुछ बैक्टीरिया कई दवाओं के प्रति प्रतिरोधक क्षमता डवलप कर लेते हैं जिससे वो दवाएं असर करना बंद कर देती हैं. इस कंडीशन को सुपर बग कहा जाता है.
एनीमल एक्सपर्ट का कहना है कि एंटीबायोटिक का इस्तेमाल सिर्फ बीमार मुर्गी का इलाज करने और उसके संपर्क में आई मुर्गियों पर ही करें. बीमारी की रोकथाम के लिए पहले से न खिलाएं. बायो सिक्योरिटी का पालन अच्छे से करें. बीमारी को रोकने और उसे फैलने से रोकने के लिए फार्म में धूप अच्छे से आए इसका इंतजाम रखें. हवा के लिए वेंटीलेशन भी अच्छा हो. फार्म पर क्षमता से ज्यादा मुर्गी की भीड़भाड़ न हो. सप्लीमेंट्री फीड के साथ स्पेशल एडीटिव जैसे, प्री बायोटिक, प्रो बायोटिक, आर्गेनिक एसिड, एसेंशियल ऑयल्स और इन्सूलेशन फाइबर दें. साथ ही यह पक्का कर लें कि मुर्गी को जरूरत का खाना और विपरीत मौसम से बचाने के उपाय अपनाए जा रहे हैं या नहीं. हर रोज पोल्ट्री फार्म पर बराबर नजर रखें. इस बात की तसल्ली करें कि मुर्गियों की हैल्थ ठीक है. उनके व्यवहार में कोई बदलाव नहीं आ रहा है.
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