Goat Milk: बकरी के दूध को इसलिए कहा जाता है दवाई, बढ़ रही डिमांड, पढ़ें डिटेल

Goat Milk: बकरी के दूध को इसलिए कहा जाता है दवाई, बढ़ रही डिमांड, पढ़ें डिटेल

आज देश में तमाम छोटी-छोटी कंपनियां बकरी के दूध और उससे बने प्रोडक्ट का आनलाइन करोबार कर रही हैं. 200 एमएल से लेकर 500 एमएल और एक लीटर के पैक में बकरी का दूध बेचा जा रहा है. बकरी के दूध से बने चीज और पनीर की भी आनलाइन खासी डिमांड है. बकरी के दूध से प्रोडक्ट कैसे तैयार हों इसकी ट्रेनिंग भी केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा करा रहा है. 

बकरी का दूध है पोषण का भंडारबकरी का दूध है पोषण का भंडार
नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • Aug 29, 2024,
  • Updated Aug 29, 2024, 11:46 AM IST

छह से ज्यादा बीमारियों में दवाई की तरह से काम करता है बकरी का दूध. और अगर बच्चों की बात करें तो उनके लिए ये अमृत के जैसा है. केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा के डायरेक्टर मनीष कुमार चेटली की मानें तो यूरोपीय देशों में आज भी बच्चों की 95 फीसद दवाईयां बनाने में बकरी के दूध का इस्तेमाल किया जाता है. शायद यही वजह है कि बीते कुछ साल से लगातार बकरी के दूध का उत्पादन बढ़ रहा है. जिस तरह से डिमांड बढ़ रही है तो बकरी का दूध अब सिर्फ दूध ही नहीं रह गया है, ये दवाई बन चुका है. 

दूध की डिमांड के चलते ही देशभर में बकरी पालन भी बढ़ रहा है. सीआईआरजी साइंटीफिक तरीके बकरी पालन की ट्रेनिंग देता है. डेयरी और पशुपालन मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक बकरी के दूध उत्पादन में भारत का विश्व में पहला स्थान है. बकरी पालन को बढ़ावा देने के लिए केन्द्र और राज्य सरकारें भी तमाम तरह की योजनाएं चला रही हैं. 

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तीन बड़ी बीमारियों में फायदा दे रहा है बकरी का दूध 

सीआईआरजी के प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. एमके सिंह ने बताया कि डेंगू-चिकनगुनिया में बकरी का दूध बेहद असरदार है यह तो सभी जानते हैं. लेकिन इसके साथ ही बकरी का दूध कैंसर-हार्ट के मरीजों को भी बकरी का दूध फायदा पहुंचा रहा है. वहीं दूध में लेक्टोज की मात्रा कम होने के चलते डायबिटीज के मरीजों को भी इससे खूब फायदा हो रहा है. और अगर पेट संबंधी बीमारियों की बात करें तो खासतौर पर आंत की बीमारी कोलाइटिस में भी बकरी का दूध बहुत फायदेमंद साबित हो रहा है.

वाइस चांसलर गडवासु ने बताया नेचुरल ऑर्गेनिक दूध 

गुरू अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी (गडवासु), लुधियाना के वाइस चांसलर डॉ. इन्द्रजीत सिंह का कहना है कि डॉक्टर भी दवाई के रूप में बकरी का दूध पीने की सलाह दे रहे हैं. बकरी के चरने की व्यवस्था को देखकर इसके दूध को ऑर्गेनिक भी कहा जा सकता है. क्योंकि बकरी के हरे चारे में एक-दो नहीं कई तरह के अलग-अलग पेड़ों के पत्ते भी शामिल रहते हैं. 

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वहीं गोट एक्सपर्ट फहीम खान का कहना है कि देश में आनलाइन बकरी का पाश्चराइज्ड दूध 200 ग्राम की बंद बोतल में 35 से 40 रुपये का बिक रहा है. कई लोग इसे ऑर्गेनिक कहकर भी बेच रहे हैं. इंडियन डेयरी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट डॉ. आरएस सेठी का कहना है कि डिमांड को देखते हुए अब बड़ी कंपनियों ने बकरी के दूध कारोबार में कदम बढ़ाने शुरू कर दिए हैं. गुजरात में बकरियों के दो-तीन बड़े फार्म पर काम चल रहा है. 

 

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