अक्टूबर महीने में खाद्य मंहगाई दर रिकॉर्ड बनाते हुए 14 माह के हाईएस्ट लेवल पर पहुंच गई है. इसको बढ़ाने में सब्जियों, अनाज के साथ ही मीट और फिश के ऊंचे रहे दाम की भूमिका भी रही है. वहीं, ठंड को देखते हुए अंडों की खपत बढ़ने की संभावनाओं को देखते हुए कीमतों में का अनुमान है. वहीं, खरीफ और रबी फसलों की आवक शुरू होने के चलते आरबीआई ने चौथी तिमाही में खाद्य वस्तुओं की कीमतों से राहत मिलने का अनुमान जताया गया है.
सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर महीने में खुदरा महंगाई दर ने 14 माह के उच्चतम स्तर पार करते हुए 6.21 फीसदी पर पहुंच गई है. जबकि, खाद्य महंगाई दर भी 14 माह के उच्चतम स्तर को पार गई है और यह 10.87 फीसदी दर्ज की गई है. इतना ही नहीं ग्रामीण क्षेत्र की महंगाई दर में भी उछाल दर्ज किया गया है. अक्टूबर में ग्रामीण क्षेत्र की महंगाई दर बढ़कर 6.68 फीसदी पर पहुंच गई, जो सितंबर महीने में 5.87 फीसदी ही थी.
सब्जियों की ऊंची कीमतों ने खाद्य महंगाई दर के बढ़ने में बढ़ी भूमिका रही है. प्याज, टमाटर, आलू, लहसुन समेत अन्य सब्जियों की कीमतें खुदरा बाजार में उपभोक्ताओं के लिए परेशानी का कारण बनी हुई हैं.
अक्टबर महीने में फिश और मीट के दाम ने उपभोक्ता की जेब ढीली कराई है. मीट और फिश की महंगाई दर अक्टूबर में 3.17 फीसदी रही, जो सितंबर में 2.66 फीसदी थी. आगामी शादियों का सीजन और ठंड के दिनों में मीट और फिश की खपत बढ़ने वाली है. ऐसे में कीमतों उछाल देखने को मिल सकता है. वहीं, अंडे की महंगाई दर 6.31 फीसदी से घटकर अक्टूबर में 4.87 फीसदी दर्ज की गई.
हालिया कतर और मलेशिया ने मानक पूरा नहीं होने के चलते अंडा खरीद पर रोक लगा दी है. इससे अंडे की कीमतों के स्थिर रहने की संभावना जताई जा रही है. हालांकि, बांग्लादेश से डिमांड होने और सर्दियों में अधिक घरेलू खपत को ध्यान में रखें तो कीमतों में बढ़त को भी नकारा नहीं जा सकता है. एक्सपर्ट का मानना है कि दिसंबर में अंडे की कीमत पर असर दिख सकता है.