Krishna Valley Cow: कृष्णा वैली एक ब्यान्त में देती है 700 लीटर तक दूध, बैल होते हैं बहुत ताकतवर, जानें- पहचान और विशेषताएं 

Krishna Valley Cow: कृष्णा वैली एक ब्यान्त में देती है 700 लीटर तक दूध, बैल होते हैं बहुत ताकतवर, जानें- पहचान और विशेषताएं 

Krishna Valley Cow Dairy Farming: कृष्णा वैली एक देसी नस्ल की गाय है. इस नस्ल के मवेशी कर्नाटक के बीजापुर, बागलकोट और बेलगाम जिले; महाराष्ट्र के सतारा, सांगली और सोलापुर जिले में पाए जाते हैं. वहीं कृष्ण वैली गाय एक ब्यान्त में औसतन 400-700 लीटर तक दूध देती है. ऐसे में आइए कृष्णा वैली गाय की पहचान और विशेषताएं जानते हैं-

कृष्णा वैली गाय की पहचान और विशेषताएं, सांकेतिक तस्वीर कृष्णा वैली गाय की पहचान और विशेषताएं, सांकेतिक तस्वीर
व‍िवेक कुमार राय
  • Noida ,
  • Sep 13, 2023,
  • Updated Sep 13, 2023, 11:56 AM IST

Krishna Valley Cow Dairy Farming: कृष्णा वैली नस्ल के मवेशियों की उत्पत्ति कर्नाटक के बीजापुर, बागलकोट और बेलगाम जिले के उन क्षेत्रों में हुई है जहां से कृष्णा, घटप्रभा और मालाप्रभा नदियां होकर गुजरती हैं. कृष्णा वैली नस्ल के मवेशियों को हैदराबाद के दक्षिण-पश्चिमी भाग में भी पाला जाता है. इसके अलावा, महाराष्ट्र के सतारा, सांगली और सोलापुर जिले में भी पाला जाता है. कृष्णा वैली दोहरे उद्देश्य वाली नस्ल है. यानी इस नस्ल का पालन दूध के अलावा भारवाहक के लिए किया जाता है. दरअसल, कृष्णा वैली मवेशी एक भारवाहक नस्ल हैं और मुख्य रूप से कृषि उद्देश्यों के लिए पाले जाते हैं. गायें मध्यम दूध देने वाली होती हैं, जबकि बैल अपनी ताकत और सहनशक्ति के लिए जाने जाते हैं. ऐसा कहा जाता है कि यह नस्ल विभिन्न राज्यों की विभिन्न मवेशियों की नस्लों से विकसित हुई है, जैसे कि गुजरात के गिर और कांकरेज, आंध्र प्रदेश के ओंगोल और मैसूर के अन्य मवेशियों की नस्लों से.

वहीं सांगली के राजाओं ने गिर और कांकरेज, आंध्र प्रदेश के ओंगोल और मैसूर के अन्य मवेशियों की नस्लों से मवेशियों की इस संकर नस्ल को विकसित करने और उत्पादन करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था. हालांकि इसे एक बहुत ही महत्वपूर्ण नस्ल माना जाता था, लेकिन बाद में कृषि में मशीनीकरण की वजह से सीमित उपयोग और किसानों द्वारा अधिक दूध देने वाली मवेशी नस्लों को चुनने के कारण इस नस्ल का महत्व कम हो गया. इसके अलावा, मवेशियों के खुरों की कोमलता और उनके भारी वजन के कारण, इन मवेशियों को आमतौर पर कर्नाटक और महाराष्ट्र के अलावा अन्य क्षेत्रों में खेती करने वाले किसानों के द्वारा नहीं पाला जाता है. वहीं गाय की यह देसी नस्ल एक ब्यान्त में औसतन 400-700 लीटर तक दूध देती है. ऐसे में आइए कृष्णा वैली गाय की पहचान और विशेषताएं जानते हैं-

कृष्णा वैली गाय की पहचान और विशेषताएं-

कृष्णा वैली गाय की पहचान और विशेषताएं-

•    कृष्णा वैली नस्ल के मवेशी विनम्र और मिलनसार होते हैं.
•    इस नस्ल के मवेशी अत्यधिक गर्म जलवायु परिस्थितियों में आसानी से रह लेते हैं.
•    शरीर छोटा और अच्छी तरह से विकसित होता है.
•    पैर छोटे और मोटे होते हैं और शक्तिशाली दिखते हैं, जबकि खुर मुलायम होते हैं.
•    बैल की औसत ऊंचाई 145 सेमी और गाय की औसत ऊंचाई 122 सेमी होती है.
•    बैल के शरीर की औसत लंबाई 153 सेमी और गाय की औसत लंबाई 132 सेमी होती है.
•    बैल का औसत वजन 500-600 किलोग्राम होता है, और एक गाय का 300-350 किलोग्राम होता है.
•    मवेशियों का रंग अधिकतर धूसर-सफ़ेद होता है और बैले के अग्रभाग और पिछले भाग पर गहरे रंग होते हैं. गाय  ज्यादातर सफेद रंग की होती है.
•    कृष्णा वैली नस्ल के मवेशी अक्सर भूरे और सफेद, काले और सफेद और धब्बेदार रंगों के साथ पाए जाते हैं.
•    चेहरा चौड़ा और माथा उभरा हुआ होता है.
•    सींग विभिन्न आकार के छोटे और घुमावदार होते हैं.
•    कान छोटे और नुकीले होते हैं, जबकि गर्दन छोटी और मोटी होती है.
•    कृष्णा वैली नस्ल की गाय एक एक ब्यान्त में औसतन 400-700 लीटर तक दूध देती है.

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