National Milk Day: कुल दूध उत्पादन में विदेशी गायों से आगे हैं भारतीय नस्ल की बकरियां, पढ़ें डिटेल

National Milk Day: कुल दूध उत्पादन में विदेशी गायों से आगे हैं भारतीय नस्ल की बकरियां, पढ़ें डिटेल

भारत में 37 नस्ल के बकरे-बकरी पाले जाते हैं. किसी को सिर्फ दूध के लिए पाला जाता है तो किसी को मीट के लिए. कुछ खास नस्ल ऐसी भी हैं जो दूध-मीट दोनों के लिए ही पाली जाती हैं. पहाड़ी और ठंडे इलाके की गद्दी समेत दो से तीन नस्ल महंगे पश्मीना ऊन के लिए भी पाली जाती हैं. 

नासि‍र हुसैन
  • नई दिल्ली,
  • Nov 26, 2023,
  • Updated Nov 26, 2023, 11:26 AM IST

विदेशों में भी भारतीय नस्ल के बकरे-बकरियां पसंद किए जा रहे हैं तो इसके पीछे भी कई बड़ी वजह हैं. अगर सिर्फ दूध की ही बात करें तो भारत में बकरियों ने दूध के मामले में विदेशी गायों को पीछे छोड़ दिया है. बकरियों की एक नस्ल बीटल तो ऐसी है जो देसी नस्ल की गाय से भी ज्यादा दूध देती है. इसीलिए शायद बकरियों को गरीब की गाय भी कहा जाता है. देश के कुल दूध उत्पादन में जहां बकरी के दूध की हिस्सेदारी तीन फीसद है तो देसी नस्ल की गाय की हिस्सेदारी सिर्फ दो फीसद है. ये बकरी का ही दूध है जो कुछ मौकों पर 600 से 800 रुपये और कभी-कभी तो एक हजार रुपये लीटर तक बिक जाता है. 

भारत में लगातार बकरी पालन करने वालों की संख्या बढ़ रही है. सरकारी स्कीम का फायदा लेने के लिए आने वाले आवेदनों की संख्या में 60 से 70 फीसद बकरी पालन के लिए आते हैं. आयुर्वेद में बकरी के दूध को दवाई माना जाता है. डेगूं की बीमारी में बकरी के दूध के फायदे किसी से छिपे नहीं हैं. मीट के मामले में भारतीय नस्ल के बकरे अरब तक खूब पसंद किए जाते हैं. नस्ल सुधार के लिए कई दूसरे देश कुछ खास नस्ल के बकरे भारत से लेते हैं. 

इसे भी पढ़ें: Goat Milk: दूध के लिए पाली जाने वालीं बकरियों की नस्ल और उनकी कीमत, पढ़ें पूरी डिटेल 

इसलिए महंगा बिकता है बकरी का दूध 

बकरी का दूध सिर्फ दूध ही नहीं है. ये दूध कई तरह की बीमारियों में भी फायदा पहुंचाता है. यही वजह है कि यूरोपीय देशों में आज भी बच्चों की 95 फीसद दवाई बकरी के दूध से बनाई जाती हैं. ये कहना है केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा के डायरेक्टर मनीष कुमार चेटली का. उन्होंने किसान तक को बताया कि ऐसा नहीं है कि बकरियों का दूध सिर्फ डेंगू में ही फायदेमंद है.

ये कैंसर और हार्ट के मरीजों को भी फायदा पहुंचाता है. लेक्टोज की मात्रा कम होने के चलते डायबिटीज के मरीजों के लिए भी ये दवाई का काम करता है. पेट की कई बीमारियों में इसे पीने से आराम मिलता है. खासतौर पर आंत की बीमारी कोलाइटिस में तो बकरी का दूध बहुत ही फायदेमंद है. जानकारों की मानें तो अभी आनलाइन ही बकरी का दूध 300 से 350 रुपये लीटर तक बिक रहा है. 

10 साल में 10 लाख टन बढ़ा बकरी का दूध उत्पादन 

केन्द्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2021 में बकरी के दूध का 62.61 लाख मिट्रिक टन उत्पादन हुआ था. यह भारत में कुल दूध उत्पादन का तीन फीसद हिस्सा है. जबकि साल 2014-15 में 51.80 लाख मीट्रिक टन दूध का उत्पादन हुआ था. साल 2018 से 2020 तक जरूर बकरी के दूध उत्पादन में मामूली गिरावट आई थी. लेकिन फिर से बकरी का दूध कारोबार अपनी रफ्तार पर है.

इसे भी पढ़ें: National Milk Day: घी को लेकर अमूल के पूर्व एमडी आरएस सोढ़ी ने कही बड़ी बात, पढ़ें डिटेल

गौरतलब रहे 2021 में देश में दूध का कुल उत्पादन 210 मिलियन मीट्रिक टन हुआ है. गुरू अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी (गडवासु), लुधियाना के वाइस चांसलर डॉ. इन्द्रजीत सिंह का कहना है कि डॉक्टर भी दवाई के रूप में बकरी का दूध पीने की सलाह दे रहे हैं. बकरी के चरने की व्यवस्था को देखकर इसके दूध को ऑर्गेनिक भी कहा जा सकता है.

 

MORE NEWS

Read more!