Animal Disease FMD: पशुओं की इस बीमारी से होता है 24 हजार करोड़ का नुकसान, यहां करती है असर

Animal Disease FMD: पशुओं की इस बीमारी से होता है 24 हजार करोड़ का नुकसान, यहां करती है असर

Animal Disease FMD खुरपका-मुंहपका (एफएमडी) बीमारी खासतौर पर छोटे-बड़े सभी दूध देने वाले पशुओं में होती है. इसके चलते डेयरी प्रोडक्ट तो प्रभावित होते ही हैं, साथ में भैंस और भेड़-बकरी के मीट पर भी इसका असर पड़ता है. बीमारी की रोकथाम के लिए वैक्सीनेशन पर करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं. 

नासि‍र हुसैन
  • Delhi,
  • Oct 24, 2025,
  • Updated Oct 24, 2025, 4:53 PM IST

Animal Disease FMD वैसे तो पशुओं को कई तरह की बीमारियां होती हैं. लेकिन एक खास बीमारी ऐसी भी है जिसके चलते दुनियाभर के पशुपालक डरे रहते हैं. कब और कहां ये बीमारी फैलना शुरू करती है इसका कोई पता नहीं चल पाता है. इस बीमारी के लगते ही पशुओं से लेकर पशुपालक और सरकार तक को नुकसान उठाना पड़ता है. वहीं जो ग्राहक पशु उत्पादों का इस्तेमाल करते हैं उनकी भी जाने जोखि‍म में बनी रहती है. इस बीमारी का नाम है खुरपका-मुंहपका (एफएमडी). ये बीमारी खासतौर पर उन छोटे-बड़े पशुओं को होती है जिनके खुर होते हैं और खुर के बीच में जगह (गैप) होती है. 

इस बीमारी के चलते पशुपालक और सरकार का वैक्सीनेशन और दवाईयों पर तो खर्च होता ही है, साथ में कई दूसरे एनिमल प्रोडक्ट के कारोबार पर भी असर डालती है. इसी को देखते हुए पशुओं की खुरपका-मुंहपका (एफएमडी) से उबरने के लिए केन्द्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्रालय एक बड़े प्लान पर काम कर रहा है. प्लान के तहत देशभर में एफएमडी फ्री जोन घोषि‍त किए जाएंगे. पशुपालक खुद इसकी घोषणा करेंगे. इसके बाद वर्ल्ड हैल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) जांच के बाद इस पर अपनी मुहर लगाएगा. 

ऐसे हजारों करोड़ का नुकसान कर रही एफएमडी 

एनिमल एक्सपर्ट और पूर्व साइंटिस्ट डॉ. सज्जन सिंह का कहना है कि एफएमडी जानलेवा बीमारी है. अगर ये बीमारी होने पर पशुओं की ठीक से देखभाल ना की जाए. बीमारी की रोकथाम के लिए जरूरी कदम नहीं उठाय जाएं तो पशु की मौत तक हो जाती है. संक्रमण रोग होने के चलते पशु शेड के दूसरे पशुओं पर भी इसका खतरा बना रहता है. इसके साथ ही पशु को ये बीमारी होने पर उत्पादन भी घट जाता है. कम दूध उत्पादन होने पर लागत भी बढ़ जाती है. क्योंकि अभी हमारा देश एफएमडी फ्री घोषि‍त नहीं हुआ है तो डेयरी प्रोडक्ट का एक्सपोर्ट भी उस मात्रा में नहीं हो पाता है जितना दूध का उत्पादन है. 

एफएमडी की वजह से नहीं बढ़ रहा बफैलो मीट एक्सपोर्ट 

मीट एक्सपोर्टर जीशान अहमद का कहना है कि दुनिया का ऐसा कौनसा देश है जहां भारत का बफैलो मीट पसंद नहीं किया जाता है. बहुत सारे ऐसे देश हैं खासतौर पर यूरोपियन वो बफैलो मीट खरीदना चाहते हैं, लेकिन पशुओं में एफएमडी और ब्रूसोलिसिस बीमारी के चलते नहीं खरीदते हैं. अगर देश एफएमडी फ्री घोषि‍त हो जाता है तो फिर मीट एक्सपोर्ट भी दोगुनी रफ्तार से बढ़ने लगेगा. 

देश के इन नौ राज्यों में चल रहा है काम 

मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के मुताबिक देश में कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र और गुजरात में सीरो-सर्विलांस के आधार पर जोन बनाने की तैयारी चल रही है. इन राज्यों को इसलिए चुना गया है क्योंकि यहां एफएमडी टीकाकरण एडवांस स्टेज में है. 

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