Organic: जैविक खेती करने वालों की हुई बल्ले-बल्ले, अब दूध से होगी मोटी कमाई  

Organic: जैविक खेती करने वालों की हुई बल्ले-बल्ले, अब दूध से होगी मोटी कमाई  

नई स्कीम के तहत गाय-भैंस ही नहीं बकरी और ऊंट के दूध को भी ऑर्गनिक का सर्टिफिकेट दिया जाएगा. अगर कोई भी पशुपालक राष्ट्रीय जैविक एंव प्राकृतिक खेती केन्द्र (एनसीओएनएफ) के बताए नियमों का पालन करता है तो उसे भी सर्टिफिकेट मिल सकता है. 

National Milk Day 2023National Milk Day 2023
नासि‍र हुसैन
  • नई दिल्ली,
  • Dec 03, 2023,
  • Updated Dec 03, 2023, 1:36 PM IST

नेशनल डेयरी डवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) और राष्ट्रीय जैविक एंव प्राकृतिक खेती केन्द्र (एनसीओएनएफ) जैविक खेती करने वाले किसानों के लिए खुशखबरी बनकर आए हैं. इन दोनों संस्थाओं की मदद से किसानों के झोले नोटों से भर जाएंगे. दोनों ही संस्थाएं देशभर में ऐसे किसानों की तलाश कर रहे हैं जो जैविक यानि ऑर्गेनिक खेती कर रहे हैं. दोनों संस्थाएं ऐसे किसानों की इनकम को डबल कराने में मदद करेंगी. लेकिन शर्त ये है कि आर्गेनिक खेती करने वाले किसान पशुपालन भी करते हों. अगर ऐसा है तो इस स्कीम से किसानों के दूध की कीमत बढ़ जाएगी. घर बैठे ही उनका दूध बिकने लगेगा. ऐसे किसान आर्गेनिक दूध बेचने वालों की लिस्ट में शामिल हो जाएंगे. दोनों संस्थाओं ने ऐसे किसानों को जोड़ने का काम शुरू कर दिया है. 

किसी भी पशु को ऑर्गनिक दूध का सर्टिफिकेट देने से पहले कई मानकों पर चेक किया जाता है. पहला तो यही कि गाय-भैंस हो या बकरी उसे आर्गेनिक चारा खाने में दिया जा रहा है या नहीं. दूसरा यह कि जहां भी वो ऑर्गनिक चारा उगाया जा रहा है उसके आसपास दूसरी फसल में पेस्टीसाइट का इस्तेमाल तो नहीं हो रहा है.

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क्योंकि नियमानुसार आर्गेनिक खेती और पेस्टी साइट वाली खेती के बीच एक दूरी का होना जरूरी होता है. इसके साथ ही पशुओं को दी जाने वाली वैक्सीजन और बीमारी में दी जा रहीं दवाओं को भी चेक किया जाता है. तय गाइड लाइन के हिसाब से ही पशुओं को दवा दी जाती है. कई खास बीमारियों में तो सिर्फ हर्बल दवा ही खाने को दी जाती हैं.

किसानों को इसलिए साथ जोड़ेंगे NDDB और NCONF

एनसीओएनएफ अभी तक जैविक और प्राकृतिक खेती करने वालों को सर्टिफिकेट देता है. यह कृषि एंव किसान कल्याण विभाग का एक संस्थान है. एनसीओएनएफ का उत्तर भारत का ऑफिस गाजियाबाद में है. लेकिन अब ये संस्थान दूध को भी ऑर्गनिक होने का सर्टिफिकेट देगी. इसके लिए तैयारियां शुरू हो गई हैं. संस्थान की एक खास स्कीम के तहत सबसे पहले जैविक और प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को जोड़ने का काम किया जा रहा है. एनसीओएनएफ और एनडीडीबी दोनों मिलकर ऐसे किसानों के पशुओं की जांच करेंगे. 

अगर जांच में यह पाया जाता है कि उनके दूध में किसी भी तरह का रसायन शामिल नहीं है तो उसे ऑर्गनिक दूध होने का प्रमाण पत्र दिया जाएगा. एनडीडीबी से जुड़े जानकारों की मानें तो अभियान की शुरुआत जैविक और प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों से इसलिए की जा रही है कि ये किसान अपने पशुओं को भी खेत में उगा चारा ही खिलाते होंगे. ऐसे में इनके चारे और दूध में किसी भी तरह का रसायन होने की संभावना न के बराबर रह जाती है. 

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दोनों संस्थाओं की मदद से किसानों को ऐसे होगा मुनाफा 

डेयरी एक्सपर्ट की मानें तो बाजार में गाय-भैंस ही नहीं बकरी का दूध भी ऑर्गेनिक बताकर बेचा जा रहा है. आनलाइन ऐसी बहुत सी कंपनी हैं जो दूध को ऑर्गेनिक बताकर बेच रही हैं. लेकिन उनके द्वारा बेचा जा रहा दूध ऑर्गेनिक है या नहीं इसका उनके पास कोई प्रमाण नहीं है, दूध ऑर्गेनिक होने का वो सिर्फ दावा कर रहे हैं. ऐसा इसलिए है कि अभी तक किसी भी सरकारी संस्थान ने दूध के ऑर्गनिक होने का प्रमाण पत्र किसी को नहीं दिया है. इसलिए जब जैविक खेती करने वालों को एनसीओएनएफ और एनडीडीबी ऑर्गनिक होने का प्रमाण पत्र देंगे तो उनके पशुओं का जो दूध अभी तक 60 रुपये लीटर बिक रहा था वो 75 से 80 रुपये लीटर के दाम पर आ जाएगा.

 

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