भैंस पालन (Buffalo Farming) का डेयरी उधोग में काफी अहम योगदान रहा है. गाय की तुलना में भैंस ज्यादा दूध देती हैं. भारत में एक भैंस का औसत वार्षिक दुग्ध उत्पादन 491 लीटर है, जबकि गाय का दुग्ध उत्पादन 173 लीटर है. भारत में मुख्यतःतीन तरह की भैंसें मिलती हैं, जिनमें मुर्रा, मेहसना और सुरति प्रमुख हैं. भैंस पालन पारंपरिक रूप से तीन मुख्य उद्देश्यों के लिए जैसे दुग्ध, मांस व भारवाहक पशु के रूप में किया जाता है. ऐसे में आइये भैंस की प्रमुख नस्ल में शामिल मुर्रा नस्ल की भैंस के बारे में बताते हैं-
मुर्रा भैंस, विश्व की सबसे अच्छी भैंस की दुधारू नस्ल है. जिसका पालन दूध उत्पादन के लिए किया जाता है. यह भारत के सभी इलाकों में पाई जाती है. इसका गृह क्षेत्र हरियाणा के रोहतक, हिसार, जिन्द व करनाल जिले तथा दिल्ली व पंजाब है. यह जेट काला रंग की होती है. वहीं विदेशों में यह इटली, बल्गेरिया, मिस्र आदि में पाली जाती है. इस नस्ल की मुख्य विशेषता छोटे मुड़े हुए सींग तथा खुर व पूंछ के निचले हिस्से में सफेद धब्बे का होना हैं. वहीं इनका सिर छोटा होता है.
देसी भैंसों (desi buffaloes) की अपेक्षा इस नस्ल की भैंसों का आंख और सींग छोटे होते हैं. जिसको देखकर आप पहचान सकते हैं. मुर्रा भैंस की आयु लगभग 26 सालों की होती है. लगभग 6 सालों में पहले बच्चे को जन्म देती है. पहले और दूसरे बच्चों में लगभग 2 सालों का गैप होता है. अगर हाथ से सींग को छुएंगे तो इसका किनारा आपको काफी पतला महसूस होगा. गर्दन लंबी होती है जबकि इसके पीठ काफी चौड़े होते है.
हरियाणा में इसे 'काला सोना' भी कहा जाता है. दूध में वसा उत्पादन के लिए मुर्रा सबसे अच्छी नस्ल है. इसके दूध में 7% वसा पाई जाती है. मुर्रा भैंस की गर्भा अवधि 310 दिन की होती है और अयन विकसित तथा दूध शिराएं उभरी होती है.
आमतौर पर मुर्रा भैंस की कीमत 60 हजार से 2 ₹ लाख के बीच में होती है. यह भैंस प्रतिदिन 12 लीटर दूध दे सकती है. हाल ही में बिहार के अररिया जिले में मुर्रा नस्ल के भैंस की कीमत 80 हजार रुपेय बताई गई. जो एक दिन में 15 लीटर तक दूध दे सकती है. अगर भैंस 12 लीटर से ज्यादा दूध देने में सक्षम है तो उसकी कीमत 60-65 हजार से ज्यादा हो सकती है. भारत के अलग-अलग हिस्सों में इस के दामों में अंतर हो सकता है.