स्वाइन फ्लू के बाद बर्ड फ्लू का गहराया संकट, 4 लाख मुर्गिंयों की मौत से पोल्ट्री किसान परेशान

स्वाइन फ्लू के बाद बर्ड फ्लू का गहराया संकट, 4 लाख मुर्गिंयों की मौत से पोल्ट्री किसान परेशान

आंध्र प्रदेश के पश्चिमी गोदावरी जिले और आसपास के इलाकों में पिछले 45 दिनों में करीब चार लाख मुर्गियां मर गई हैं. पशुपालन विभाग ने मौत की वजह जानने के लिए नमूने जांच के लिए भेजे हैं. भोपाल और विजयवाड़ा की लैब में साइंटिस्ट जांच में जुटे हैं.

बीमारी की पुष्टि के लिए नमूने भोपाल और विजयवाड़ा की लैब भेजे गए हैं.बीमारी की पुष्टि के लिए नमूने भोपाल और विजयवाड़ा की लैब भेजे गए हैं.
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Feb 05, 2025,
  • Updated Feb 05, 2025, 4:14 PM IST

पशुपालकों के लिए संक्रामक बीमारियों ने मुश्किल बढ़ा रखी है. नवंबर 2024 में नॉर्थईस्ट के सुअर पालकों को अफ्रीकन स्वाइन फ्लू के प्रकोप से भारी नुकसान उठाना पड़ा. तो जनवरी में मध्य प्रदेश के 21 शहरों में स्वाइन फ्लू का प्रकोप देखा गया. यहां तक कि सुअरों को मारने का आदेश देना पड़ा. अब आंध्र प्रदेश में बर्ड फ्लू के खतरे ने पोल्ट्री किसानों की मुसीबत बढ़ा दी है. राज्य में बीते कुछ दिनों में 4 लाख मुर्गियों की मौत ने किसानों और पशुपालन विभाग को चिंता में डाल दिया है.   

आंध्र में 4 लाख मुर्गियों की मौत  

आंध्र प्रदेश के पश्चिमी गोदावरी जिले और आसपास के इलाकों में पिछले 45 दिनों में करीब चार लाख मुर्गियां मर गई हैं. पशुपालन विभाग के अधिकारी ने बुधवार को पीटीआई के बताया कि विभाग ने मौत की वजह जानने के लिए नमूने जांच के लिए भेजे हैं. पशुपालन विभाग के निदेशक दामोदर नायडू ने कहा कि इन मौतों का कारण बनने वाली बीमारी की पुष्टि के लिए नमूने भोपाल और विजयवाड़ा की उच्च सुरक्षा वाली प्रयोगशालाओं में भेजे गए हैं. पशुपालन विभाग के अनुमान के अनुसार दक्षिणी राज्य में पोल्ट्री फार्मों में 8 करोड़ व्यावसायिक मुर्गियां और में दो करोड़ घरेलू मुर्गियां हैं.

मृत मुर्गियों को खुले में फेकने से संक्रमण बढ़ा 

पशुपालन अधिकारी दामोदर नायडू ने कहा कि किसान जैव सुरक्षा उपायों की अनदेखी कर रहे हैं, जो बीमारियों के फैलने का मुख्य कारण है. उन्होंने कहा कि कुछ किसानों ने मृत पक्षियों को नहरों और सड़कों पर कूड़े के ढेर में फेंक दिया, जिससे संक्रमण फैल गया. उन्होंने कहा कि बुनियादी एहतियात की अनदेखी की गई, जिसके नतीजे में मुर्गियों की मौत हो गई है. उन्होंने कहा कि आमतौर पर यह घटना मौसमी होती है और हर साल देखी जाती है. लेकिन, प्रवासी पक्षियों की बढ़ती संख्या और पोल्ट्री किसानों की लापरवाही के चलते मौतों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है. उन्होंने कहा कि हम किसानों को जैव सुरक्षा के महत्व के बारे में बताने के लिए कई तरह की जागरूकता बैठकें कर रहे हैं. 

मध्य प्रदेश में मुसीबत बना था स्वाइन फ्लू

इस साल के पहले महीने जनवरी में मध्य प्रदेश में सुअर पालकों पर स्वाइन फ्लू ने कहर ढाया और सुअरों की मौत से उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा. जनवरी में मध्य प्रदेश के 21 शहरों में अफ्रीकन स्वाइन फ्लू बीमारी फैल गई थी. इसके बाद प्रकोप रोकने के लिए सूअरों को मारने के आदेश दिए गए थे. बीमारी की गंभीरता को देखते हुए सभी संबंधित विभाग अलर्ट हो गए थे. 

मणिपुर के बाद त्रिपुरा पहुंचा था स्‍वाइन फ्लू 

नवंबर 2024  अफ्रीकन स्वाइन फ्लू (एएसएफ) ने नार्थ ईस्ट में बड़ी संख्या में सुअरों की मौत की वजह बन चुका है. त्रिपुरा के बाद मणिपुर में स्वाइन फ्लू की वजह से सुअर पालकों ने नदी तक में सुअरों के शव बहा दिए थे और कई जगह पर सूअरों को मारने के बाद जमीन में दबाया गया था. फिर भी प्रकोप नहीं थमने पर दिल्ली से एनीमल हसबेंडरी टीम जांच के लिए पहुंची थी. 
 

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