Water for Goat-Sheep बेशक बकरी के दूध की डिमांड अब बढ़ने लगी है, लेकिन अभी भी खासतौर पर भेड़-बकरी पालन मीट के लिए किया जाता है. यही वजह है कि हर एक भेड़-बकरी पालक की कोशिश होती है कि उसके बकरे-बकरियों का वजन तेजी से बढ़े. बकरा ज्यादा से ज्यादा वजन का हो जाए. लेकिन बकरी पालकों की इस ख्वाहिश के बीच में आ जाती है पेट की बीमारियां. भेड़-बकरियों का पेट बहुत जल्दी खराब हो जाता है. हालांकि इसके पीछे बहुत सारी वजह हैं, लेकिन एक सबसे बड़ी और आम वजह है पीने का पानी.
हो सकता है आपको सुनकर थोड़ा अजीब लगे, लेकिन पशु उत्पादन के घटने और बढ़ने में पीने का पानी एक अहम रोल निभाता है. जिस तरह से साफ-स्वच्छ और ताजा चारे की जरूरत होती है, ठीक उसी तरह से भेड़-बकरियों के लिए ताजा और साफ-स्वच्छ पानी भी एक बड़ी जरूरत होती है. इतना ही नहीं पानी पिलाने के दौरान की साफ-सफाई भी बहुत अहमियत रखती है.
पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने सोशल मीडिया पर पशुओं को पीने के पानी से जुड़ी टिप्स देते हुए कहा है कि हर संभव कोशिश की जाए कि पशुओं को ताजा पानी ही पीने के लिए दें. जैसे सुबह उस बर्तन या जगह से पानी को खाली कर दें जहां पशु पानी पीता है. पानी खाली करने के बाद उस बर्तन और जगह की अच्छी तरह से सफाई कर दें. अगर पानी की उस जगह पर अल्गी और गंदगी लगी है तो उसे अच्छी तरह से साफ कर दें. जब ये लगे कि सफाई अच्छी तरह से हो गई है तो उसमे ताजा पानी भर दें. अगर सर्दियों का मौसम है तो एकदम ठंडा यानि खुले में रखा रात का पानी बिल्कुल भी न पिलाएं. नलकूप का निकला ताजा पानी ही पशुओं को पिलाएं.
जब पशुओं में पानी की कमी हो जाती है तो कई तरह के लक्षण से इसे पहचाना जा सकता है. जैसे पशुओं को भूख नहीं लगती है. सुस्ती और कमजोर हो जाना. पेशाव गाढ़ा होना, वजन कम होना, आंखें सूख जाती हैं, चमड़ी सूखी और खुरदरी हो जाती है और पशुओं का दूध उत्पादन भी कम हो जाता है. और सबसे बड़ी पहचान ये है कि जब हम पशु की चमढ़ी को उंगलियों से पकड़कर ऊपर उठाते हैं तो वो थोड़ी देर से अपनी जगह पर वापस आती है.
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