भैंस वक्त से बच्चा दे दे और भरपूर मात्रा में दूध दे. हर पशुपालक एक भैंस से यही उम्मीद करता है. क्योंकि बात ये भी है कि जब तक भैंस बच्चा नहीं देगी तो दूध नहीं मिलेगा. एनीमल एक्सपर्ट की मानें तो कई ऐसी वजह होती हैं जिसके चलते कई बार भैंस वक्त से बच्चा नहीं देती है. इसके पीछे भैंस का बीमार होना भी होता है तो उसका खानपान भी इस वजह में शामिल है. इतना ही नहीं क्लाइमेट चेंज के चलते भैंस के व्यवहार में बदलाव आने से भी दूध उत्पादन कम हो जाता है.
लेकिन बफैलो साइंटिस्ट की मानें तो एक ऐसी रिसर्च शुरू हो चुकी है जिसके पूरा होने के बाद भैंस का दूध उत्पादन करीब चार गुना तक बढ़ जाएगा. बिना किसी परेशानी के भैंस बच्चा भी लगातार देगी. एक्सपर्ट के मुताबिक ये रिसर्च इसलिए भी जरूरी है कि हमारा देश दूध उत्पादन में नंबर वन है, लेकिन प्रति पशु दूध उत्पादन के मामले में काफी पीछे है. प्रति पशु दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए ही इस रिसर्च पर काम हो रहा है.
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सीआईआरबी के प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. अशोक बल्हारा का कहना है कि हमारी रिसर्च पर काम चल रहा है. हम एक ऐसी डिवाइस तैयार कर रहे हैं जो भैंस के यूरिन की मॉनिटरिंग करेगी. ये काम इस तरह से करेगी कि पशुपालक के मोबाइल में हमारे द्वारा तैयार की गई एक ऐप या सॉफ्टवेयर होगा. जब मोबाइल और डिवाइस दोनों एक-दूसरे की रेंज में होंगे तो डिवाइस द्वारा यूरिन का दिए जाने वाला डाटा उस सॉफ्टवेयर पर अपडेट हो जाएगा. इस डाटा को एक्सपर्ट पढ़ेंगे और देखने के साथ ही पशुपालक को पशु के संबंध में एडवाइजरी जारी कर दी जाएगी.
डॉ. अशोक ने बताया कि जब डिवाइस से भैंस के यूरिन की जांच की जाएगी तो वो चार खास विषयों पर डाटा देने का काम करेगा. ये चार विषय हैं भैंस का खानपान, हैल्थ, व्यवहार और भैंस का गर्भकाल. अगर भैंस को रोजाना खिलाए जा रहे हरे-सूखे चारे और मिनरल्स में से किसी एक में भी कोई कमी है तो वो जांच में आ जाएगा और एक्सपर्ट बता देंगे कि भैंस को खाने में कब, क्या और कितना देना है. अगर भैंस का व्यवहार बदल रहा है और वो सामान्य व्यवहार नहीं कर रही है तो ये भी इस डिवाइस से पता चल जाएगा. भैंस की हैल्थ से जुड़े सारे अपडेट भी इस डिवाइस की मदद से मिलते रहेंगे. साथ ही भैंस में कुछ सेंसर चिप भी लगाई जाएंगी. ये रिसर्च करीब पांच साल चलेगी और इसमे से दो साल भैंसों पर किए जाने वाले ट्रॉयल के भी शामिल रहेंगे.
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