Barbari Goat Farming खासतौर पर मीट के लिए होने वाले बकरी (Goat) पालन में मुनाफे की बहुत संभावनाएं हैं. लेकिन बकरी पालन के दौरान सवाल ये उठता है कि अगर शहर में बकरे-बकरियां पालें तो फिर उन्हें चराने कहां ले जाएं. क्योंकिअब शहर तो छोडि़ए गांव में भी चारागाह (Grazing Land) कम हो गए हैं. यही वजह है कि शहर में बकरी पालन स्टॉल फीड पर होन लगा है. मतलब बकरे-बकरियों को घर पर ही रखो और वहीं उनको चारा (Fodder) खिलाते रहो. इस तरह के बकरी पालन के लिए खासतौर पर नॉर्थ इंडिया में ये सवाल पूछा जाता है कि घर पर पालने के लिए बकरियों की कौनसी नस्ल अच्छी है.
बरबरी नस्ल के बकरे-बकरियों की बड़ी पहचान उनके कान और रंग हैं.
बरबरी नस्ल के बकरे-बकरियों के कान ऊपर की ओर उठे हुए होते हैं.
बरबरी बकरी और बकरों के कान नुकीले, छोटे और खड़े होते हैं.
बरबरी बकरी बकरों का रंग सफेद रंग की खाल पर ब्राउन रंग के धब्बे होते हैं.
बरबरी बकरे-बकरी की नाक चपटी और पीछे का हिस्सा भारी होता है.
बरबरी बकरी 13 से 14 महीने की उम्र पर बच्चा देने लगती है.
बरबरी बकरी 15 महीने में दो बार बच्चे देती है.
बरबरी बकरी पहली बार में एक या दो बच्चे देती है.
दूसरी बार में बरबरी बकरी 90 फीसद दो से तीन बच्चे देती है.
10 से 15 फीसद तक बरबरी बकरी 3 बच्चे भी देती है.
बरबरी बकरी 175 से 200 दिन तक दूध देती है.
बरबरी बकरी रोजाना औसत एक लीटर तक दूध देती है.
बरबरी बकरा वजन में 25 से 40 किलो तक का हो जाता है.
देश के अलावा खाड़ी देशों में बरबरी बकरों की बहुत डिमांड है.
बरबरी बकरे को मीट के लिए बहुत पसंद किया जाता है.
सऊदी अरब, कतर, यूएई, कुवैत और ईरान-इराक में बहुत डिमांड है.
बकरीद पर बरबरी बकरों के मुंह मांगे दाम मिलते हैं.
यूपी में- 38.96 लाख
मध्य प्रदेश- 5.88 लाख
कर्नाटक- 73.6 हजार
हरियाणा- 63.3 हजार
उत्तराखंड- 43.7 हजार
बरबरी नस्ल के बकरे-बकरियों को दूध और मीट दोनों के लिए पाला जाता है. इस नस्ल के बच्चों की बहुत डिमांड रहती है तो बहुत सारे लोग इस नस्ल का ब्रीडिंग सेंटर भी चलाते हैं. इस नस्ल को हर तरह से पाला जा सकता है.
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