यूपी के मैदानी इलाकों में इन दिनों तापमान में तेजी से गिरावट के साथ घने कोहरे का दाैर जारी है. पश्चिमी यूपी, बुंदेलखंड, तराई क्षेत्र और पूर्वांचल के जिलों में पिछले 5 दिनों से धूप के दर्शन नहीं हुए हैं. कड़ाके की सर्दी और प्रचंड गर्मी को मौसम विज्ञान की भाषा में Extreme Weather Condition कहते हैं. मौसम की यह मार किसानों के लिए चिंता का विषय बन जाती है. खासकर रबी सीजन की मुख्य फसल गेहूं की फसल अभी Growing Stage में है, वहीं सरसों की फसल को पकने का इंतजार है. ऐसे में गेहूं के लिए रात में कड़ाके की सर्दी होना और सरसों काे पकने के लिए दिन में धूप होना जरूरी है. मगर, लगातार कोहरे के कारण धूप का न निकलना, इन दोनों फसलों के लिए नुकसानदायक होता है.
गेहूं की ही अगर बात की जाए तो इस मौसम का गेहूं की फसल पर लाभकारी और नुकसानदायक, दोनों तरह का असर देखने को मिलता है. इस स्थिति में फसल के बोने का समय अहम भूमिका निभाता है. झांसी के जिला कृषि अधिकारी के के सिंह ने बताया कि गेहूं की जो फसलें काफी देर से बोई गई हैं, उनके लिए कड़ाके की सर्दी का यह दौर बेहद नुकसानदायक है.
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वहीं, नवंबर के अंतिम सप्ताह और दिसंबर के पहले सप्ताह में बोए गए गेहूं के लिए यही शीत लहर बेहद लाभदायक होती है. इस समय तक गेहूं की फसल एक महीने की हो जाती है और Growing Stage में होने के कारण इसके लिए कड़ाके की सर्दी टॉनिक का काम करती है. खासकर मावठ की हल्की बारिश और सर्द रात की ओस गेहूं की फसल में नई ऊर्जा का संचार कर देती है.
सिंह ने बताया कि रबी की फसलों के लिए रात की सर्दी और सुबह का कोहरा सबसे बेहतर टॉनिक माना जाता है. वहीं, Extreme Weather Condition में जिस तरह से पिछले 5 दिनों से पूरे दिन कोहरा छाया है, यह स्थिति इस सीजन की फसलों के लिए खतरा पैदा कर देती है.
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ऐसे में देर से बोए गए गेहूं ही नहीं, बल्कि रबी सीजन की दूसरी मुख्य फसल सरसों के लिए भी यह स्थिति रोगों का वाहक मानी जाती है. सरसों को माहू रोग का खतरा होता है, वहीं बागवानी फसलों के लिए भी पाला पड़ने का खतरा पैदा हो जाता है. साथ ही जनवरी के पहले सप्ताह में Flowering Stage में पहुंचने वाली चना और मटर की फसलों में शीतलहर के कारण फूल झड़ने का संकट गहरा जाता है. ऐसा होने से उपज पर सीधा असर पड़ता है.
कुल मिलाकर मौसम की इस परिस्थिति को देखते हुए किसानों के लिए सबसे सुरक्षित और लाभकारी विकल्प यही है कि वे समय से रबी की फसलों की बुआई कर लें. फसल की Late sowing होने पर किसानों के लिए हर तरफ से जोखिम ही बरकरार रहता है.
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